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चार्टर्ड प्लेन से शादी करने पहुंची थी बिहार, संसद में 'शाही खर्चे' पर अब उठा रही सवाल

राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद रंजीता रंजन शादियों में खर्च की सीमा तय करने वाला प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में पेश करेंगी

FP Staff

बिहार से कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करेंगी, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई परिवार विवाह के दौरान 5 लाख रुपये से अधिक राशि खर्च करता है, तब उसे गरीब परिवार की लड़कियों के विवाह में इसकी 10 प्रतिशत राशि का योगदान देना चाहिए.

सांसद रंजीत रंजन भले ही शादी में ज्यादा खर्च के खिलाफ हैं लेकिन उनकी खुद की शादी में खर्च के बारे में जानकर आप चौंक सकते हैं. रंजीत रंजन मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव की पत्नी हैं और दोनों का प्रेम विवाह है. दोनों की शादी भव्य तरीके से 6 फरवरी 1994 को हुई थी और पूरा पूर्णिया शहर गवाह बना था.


ऐसे हुआ था प्यार

पप्पू यादव के जीवन में रंजीत रंजन के आने की कहानी पूरी फिल्मी है. पटना की बांकीपुर जेल में बंद पप्पू अक्सर जेल अधीक्षक के आवास से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे. इन्हीं लड़कों में रंजीत के छोटे भाई विक्की भी थे. इन लड़कों से मिलने-मिलाने के दौरान विक्की से पप्पू यादव की नजदीकी बढ़ी.

लेकिन कहानी में ट्विस्ट उस समय आया जब पप्पू यादव ने विक्की के फैमिली एलबम में रंजीत की टेनिस खेलती तस्वीर देखी. पप्पू फोटो देखकर रंजीत पर फिदा हो गए.

पप्पू यादव जेल से छूटने के बाद रंजीत से मिलने के लिए अक्सर टेनिस क्लब में पहुंच जाते थे, जहां वो टेनिस खेला करती थीं. रंजीत को ये सब अच्छा नहीं लगता था. उन्होंने पप्पू यादव को कई बार मना किया लेकिन पप्पू यादव डटे रहे.

पप्पू यादव ने अपनी पुस्तक 'द्रोहकाल का पथिक' में लिखा है कि कैसे हताश-परेशान होकर उन्होंने एक बार नींद की ढेरों गोलियां खा लीं. उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद रंजीत का व्यवहार थोड़ा सामान्य हुआ और बात आगे बढ़ी.

एक धनी जमींदार परिवार से आने वाले पप्पू यादव का परिवार आनंद मार्गी है. रंजीत रंजन के पिता पटना गुरुद्वारे में ग्रंथी थे लिहाजा वो पटना में रहती थीं.

प्राइवेट बिल के बारे में रंजीत रंजन का ये कहना है

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि ये मेरा प्राइवेट मेंबर बिल है जिसको मैंने जुलाई 2016 संसद के सामने लाई थी. आज तक सभी प्राइवेट मेंबर बिल को कैबिनेट से मंजूरी के बाद लाया जाता था लेकिन पहली बार ऐसा हुआ राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लाया गया हो.

मुझे उम्मीद है ससंद में सभी दलों का समर्थन मिलेगा क्योंकि बहुत से सांसदों की भी ये पीड़ा है कि शादियों में होने वाली खर्च सीमा तय हो. हमलोग 6 बहनें थीं. पढ़ना लिखना सब अच्छा था लेकिन एक चिंता हमेशा रहती थी. अगर व्यक्ति शादी में पांच लाख से ज्यादा खर्च करता है उसका 10 प्रतिशत एक कोष बनाकर डाला जाए जिससे गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में मदद मिल सके.

इस बिल को कैसे और ज्यादा पारदर्शी बनाया जाए ये सरकार का काम है. लेकिन इस बिल से लोगों में एक डर जरूर बनेगा. मुझे उम्मीद है कि युवा वर्ग इसका समर्थन करेगा. सरकार अगर इस बिल को संसद में पास कराती हैं तो मेैं संसद में खड़ी होकर सरकार को सैल्यूट करूंगी. क्यूंकि ये बिल आम आदमी से जुड़ा हुआ मुद्दा है.

(न्यूज़ 18 हिंदी से साभार)