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विपक्ष के पास भ्रष्टाचार, विकास पर बोलने के लिए कुछ नहीं: पासवान

कथित गौरक्षा के नाम पर विरोधी दल एक ही समुदाय को विषय बनाकर शोर मचा रहे हैं

Bhasha

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथ लिया है. पासवान ने कहा कि विपक्ष के पास भ्रष्टाचार और विकास जैसे बुनियादी मुद्दों पर बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है. इसलिए वो कथित गौरक्षा के नाम पर एक ही समुदाय को विषय बनाकर शोर मचा रहे हैं. उन्होंने लोकसभा में इस तरह घटनाओं की निंदा करते हुए इनके खिलाफ सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित किये जाने का भी सुझाव दिया.

पासवान ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि आदमी एक समय बचपन में लड़खड़ाता है और बाद में जवानी की दौड़ लगाता है. दूसरी बार बुढ़ापे में आदमी के पैर लड़खड़ाते हैं और फिर वह कब्र में जाता है. इसी तरह ‘कांग्रेस अब कब्र में जा रही है.’


केंद्रीय मंत्री देश में अत्याचारों और भीड़ द्वारा हिंसा में जान से मारने की कथित घटनाओं से पैदा हुई स्थिति के बारे में सोमवार को लोकसभा में नियम-193 के तहत बहस में हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के पास भ्रष्टाचार और विकास जैसे मूलभूत मुद्दों पर बोलने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वह इस तरह के मुद्दे को उठा रहा है, जो विषय है ही नहीं.

विरोधियों के पास बोलने के लिए कुछ नहीं

पासवान ने कहा कि विपक्ष ने दलितों पर अत्याचार की बात की लेकिन देश का राष्ट्रपति एक दलित बन गया है तो इस पर भी विरोधियों के पास बोलने के लिए कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘एक ही मुद्दा बचा, गौरक्षा का. तो उसे एक समुदाय में बांधकर हथियार बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है.’ उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कार्रवाई के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि एक तरफ विपक्ष संघीय ढांचे की बात करता है और दूसरी तरफ सारी जिम्मेदारी केंद्र पर डाल देता है. दोनों चीजें साथ में नहीं चल सकतीं.

पासवान ने कहा, ‘राज्यों की सरकार नहीं सुनती तो क्या प्रधानमंत्री फौज भेजें.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सवा तीन साल की सरकार में एक भी बार बाबरी मस्जिद, राम मंदिर, अनुच्छेद 377 और समान नागरिक संहिता की बात नहीं की है. वो हर बार ‘विकास’ की ही बात उठाते हैं.

पासवान ने कहा कि सदन को गौरक्षा के नाम पर और मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित करना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को देश के सभी राज्यों से अपील करनी चाहिए कि इस तरह की कोई भी घटना होने पर 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करें. और दोषी को जेल में डाला जाए. उनपर मुकदमा दर्ज कराया जाए.