केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा है कि यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अगर वह अकेले भी लड़ते हैं तो फायदा एनडीए को ही होगा. पासवान ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी के साथ बातचीत में कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस बाबत उनसे बात भी की है और कहा है कि अगर वो सभी सीटों पर लड़ते हैं तो इसका फायदा दोनों को होगा. पेश है रामविलास पासवान से बातचीत के अंश...
फ़र्स्टपोस्ट: यूपी समेत बाकी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में आपकी पार्टी क्या अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी या फिर बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेगी?
रामविलास पासवान: हमारी पार्टी पहले से भी हर चुनाव में लड़ती रही है. अभी भी हमारी पूरी तैयारी है. हमारे सामने तीन रास्ते हैं. पहला रास्ता है कि एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ें. दूसरा रास्ता है कि अकेले चुनाव लड़ें और तीसरा रास्ता है कि हम चुनाव न लड़ें और बीजेपी का समर्थन करें. लेकिन, जो भी फैसला हमारी पार्टी का होगा उसमें बीजेपी के साथ किसी तरह का मतभेद नहीं होगा. बीजेपी के साथ भी बैठकर हमलोग बात करेंगे. अगर बीजेपी को लगता है कि समझौता करने से उन्हें फयदा होगा तो समझौता कर सकते हैं. अभी हम इसको लेकर खुला दिमाग रख रहे हैं.
फ़र्स्टपोस्ट: पहले भी आपलोग बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिल चुके हैं. किस तरह की बात हुई थी उस वक्त?
रामविलास पासवान: हमने उस वक्त भी कहा था कि हम रिजिड नहीं हैं. हम चाहते हैं कि हर हाल में उत्तर प्रदेश में एनडीए की सरकार बने. यही हम पंजाब के बारे में भी चाहते हैं. उस समय हम थे, सुखबीर सिंह बादल थे. हम फिर अमित शाह जी से मिलेंगे.
फ़र्स्टपोस्ट: लोकजनशक्ति पार्टी का स्टेक यूपी और पंजाब में कुछ खास नहीं है. लेकिन, आपने पहले भी कहा था कि अगर हम साथ मिलकर लड़ें तो हमारा प्रभाव ज्यादा रहेगा.
रामविलास पासवान: हमारे पास कार्यकर्ता और उम्मीदवारों की कमी नहीं है. अब चुनाव काफी महंगा हो गया है और लोगों का माइंडसेट भी यूपी में तीन-चार खेमे में बंट चुका है. इसलिए हमने कहा कि हम नहीं चाहेंगे कि हमारे लड़ने से एनडीए कमजोर पड़े. इसलिए हम आपस में बैठकर अपनी रणनीति बनाएंगे.
फ़र्स्टपोस्ट: अगर बीजेपी आपसे कहे कि आप चुनाव मैदान में अकेले उतर जाएं तो आपके चलते मायावती के वोटबैंक में सेंधमारी हो जाएगी और फायदा बीजेपी को हो जाएगा. तो क्या आप तैयार हैं?
रामविलास पासवान: जहां तक मायावती का सवाल है जाटव वोट बैंक पर उनका पकड़ रहेगी. लेकिन, बाकी वोट बैंक को तो हम तोड़ लेंगे. पासवान और पासी का वोट है, खटीक का वोट है, धोबी का वोट है, निषाद का वोट है. ये सभी के सभी वोट हैं. इसके अलावा भी मंडल कमीशन का मामला है.
फ़र्स्टपोस्ट: अगर आप अलग लड़ेंगे तो बीजेपी को फायदा होगा?
रामविलास पासवान: ये बीजेपी को सोचना है. प्रकाश सिंह बादल से बातचीत हुई तो उन्होंने भी कहा कि आप क्यों नहीं हर सीट पर लड़ते हैं. तो मैंने कहा कि प्रधानमंत्री और अमित शाह जी से पूछिए. अगर प्रेस में आएगा कि रामविलास पासवान केंद्र में हैं और एनडीए के खिलाफ स्टेट में लड़ रहे हैं तो हम कहां-कहां सफाई देते फिरेंगे?
फ़र्स्टपोस्ट: मतलब बादल साहब की बात से भी साफ है कि अगर आप अलग चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा एनडीए को होगा?
रामविलास पासवान: उनका कहना है कि दोनों आदमी को फायदा होगा. उनका कहना है कि जो आपके वोटर हैं आपके नाम पर जाएंगे ही आपके साथ. हमें भी फायदा होगा.
फ़र्स्टपोस्ट: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को लेकर आपका क्या कहना है? सरकार इस वक्त कैसा काम कर रही है?
रामविलास पासवान: हमने पहले ही कहा था कि सरकार दो से ढाई साल तक चलेगी. ये मजबूरी का मिलन है. शहाबुद्दीन ने ठीक ही कहा था कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. क्योंकि लालू यादव जो हर पार्टी को खा जाते थे और उसकी पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा हो और वो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री मान कर चलें ये संभव नहीं है.
इतनी बड़ी बेइज्जती हुई है. पटना में प्रोग्राम था प्रकाश दिवस का तो उस कार्यक्रम में लालू यादव नीचे बैठे हुए थे. कहते हैं जमीन के नेता हैं तो क्या नीतीश कुमार आकाश के नेता हैं. उनके बेटे डिप्टी सीएम तेजस्वी नीचे बैठे थे. वो अपना रास्ता अलग खोज रहे हैं. नीतीश भी समझ रहे हैं. लालू यादव की प्लानिंग है. आरजेडी, कांग्रेस के अलावा कुछ इधर-उधर से तोड़कर शरद यादव के साथ कुछ एमएलए हैं. उन्हें तोड़कर अपनी सरकार बना लो. इस बात को नीतीश कुमार भी समझते हैं.
नीतीश कुमार इसीलिए सिग्नल दे रहे हैं कि देखो हमारे सामने भी ऑप्शन खुला हुआ है.
फ़र्स्टपोस्ट: सिग्नल तो प्रधानमंत्री की तरफ से भी हो रहा है. वो भी वहां गए तो सिग्नल देकर आ गए?
रामविलास पासवान: हमलोग तो स्वागत कर ही रहे हैं. नीतीश आ जाएं तो उनका स्वागत है. लेकिन, नीतीश कुमार इस वक्त बेबस हैं. किसी भी स्टेट का मुख्यमंत्री इतना बेबस कभी नहीं होगा जितना कि नीतीश कुमार हैं. जैसे क्रिकेट में होता है कि विकेट भी बचाना है और रन भी बनाना होता है. तो इमेज भी बचाकर रखना चाहते हैं और लालू यादव को नाराज भी नहीं करना चाहते हैं.
इसलिए कानून-व्यवस्था का ग्राफ लगातार गिर रहा है. बिहार में लगातार पत्रकारों की हत्या हो रही है. जब ये मामला आता है तो नीतीश कुमार, लालू यादव की तरफ देखना शुरू कर देते हैं. इस वक्त लालू यादव का हाथ दबा हुआ है. सोचते हैं कि हाथ ऊपर आ जाएगा तो फिर देखेंगे.
फ़र्स्टपोस्ट: बिहार में खराब कानून-व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है?
रामविलास पासवान: समस्तीपुर वाली घटना में जेडीयू नेता का हाथ है. सीवान में पत्रकार की हत्या मामले में आरजेडी नेता शहाबुद्दीन का हाथ है. गया वाले में आरजेडी का हाथ है. दो महीने पहले सासाराम में जो धर्मेन्द्र की हत्या हुई उसमें आरजेडी के लोगों का हाथ है. एक भी घटना में ऐसा नहीं जिसमें आप ऐसा कह सकते हैं कि विपक्षी पार्टी के लोगों का हाथ हो. हर जगह सत्ताधारी आरजेडी और जेडीयू का ही नाम क्यों आ रहा है? शराबबंदी इन्होंने लागू किया लेकिन, शराब रखने वाले जितने भी लोग हैं वे सभी इनके सरकारी लोग ही हैं.