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रामजस विवाद: लेफ्ट संगठनों ने डीयू में हिंसा के खिलाफ किया ‘सिटिजंस मार्च’

मार्च में मुख्य रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया

Bhasha

आरएसएस से से जुड़े एबीवीपी के खिलाफ  एक और मार्च निकाला गया जहां अभिव्यक्ति की आजादी के अलावा भी कई मुद्दे उठे. इस मार्च में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ उबलते असंतोष को रंगों, पोस्टरों और कविता के जरिए आवाज दी गई.

नॉर्थ कैंपस में 22 फरवरी को हुई हिंसा में एबीवीपी की भूमिका के खिलाफ ‘सिटिजंस मार्च’ एक ऐसे मंच में तब्दील हो गया जहां दलितों पर हमले से लेकर जेएनयू के लापता छात्र नजीब तक का मुद्दा उठा.


जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, शेहला राशिद शोरा और उमर खालिद भी इस मार्च में मौजूद थे. इसके अलावा गुजरात में दलितों के प्रतिरोध का चेहरा जिग्नेश मेवानी और नजीब की मां भी मौजूद थीं. राशिद और खालिद को रामजस कॉलेज में एक कार्यक्रम में बुलाए जाने का एबीवीपी ने विरोध किया था.

मार्च में मुख्य रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया. इसे माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, जदयू नेता के सी त्यागी, भाकपा के डी राजा और स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव समेत कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया.

छात्रों ने अपने चेहरे लाल, नीले और पीले रंगों से पोत रखे थे. उन्होंने एबीवीपी के खिलाफ नारे लगाए और उर्दू में हाथ में पोस्टर लेकर जातिवाद, पितृसत्तात्मकता और ‘फासीवाद’ से आजादी के नारे लगाए.

मंडी हाउस से संसद मार्ग तक चला मार्च 

मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक समूचे मार्ग पर प्रदर्शनकारियों ने रंगीन चॉक से प्रतिरोध का संदेश लिखा.

नजीब की मां नफीस ने कहा, ‘नजीब को जैसा गुरमेहर कौर को समर्थन मिला, उसी तरह का समर्थन मिलने की आवश्यकता है. उनके लिए लड़ते रहें. समूची दिल्ली पुलिस नजीब को नहीं ढूंढ सकती क्योंकि वह छात्रों पर लाठी चार्ज करने में व्यस्त है. छात्रों के साथ खिलवाड़ नहीं करें, वे आपको अपदस्थ कर सकते हैं. एबीवीपी देश में सबसे बड़ा राष्ट्र विरोधी संगठन है.’

येचुरी, राजा और त्यागी ने छात्रों को आश्वस्त किया कि उनके अधिकारों पर हमले का मुद्दा संसद में उठेगा और ‘विचारों’ को थोपे जाने के खिलाफ बोलने के लिए छात्रों की तारीफ की.

राष्ट्रीय राजधानी के दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में हुई हिंसा के खिलाफ कई रैलियां और जवाबी रैलियां हुई हैं.