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कैंपस में अलग विचारधारा के नाम पर देशविरोधी विचार जायज नहीं: एबीवीपी महासचिव

यूनिवर्सिटी कैंपस में हुई घटनाओं के बीच एबीवीपी फिर से विवादों में घिरता जा रहा है.

Debobrat Ghose

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से संबंधित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक बार फिर सुर्खियों में है. साल 2016 में रोहित वेमुला आत्महत्या के बाद जेएनयू मामला और फिर देश के अलग अलग हिस्सों में यूनिवर्सिटी कैंपस में हुई घटनाओं के बीच एबीवीपी फिर से विवादों में घिरता जा रहा है.

इस बार मामला दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से जुड़ा हुआ है. एबीवीपी के देशभर में कुल 27 लाख सदस्य हैं और देशभर के 6,753 कैंपस तक उसकी पहुंच है.


एबीवीपी के छात्र नेताओं ने ये साफ कर दिया है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में किसी भी तरह की देशद्रोही या देश बांटने वाली गतिविधियों को नहीं सहा जाएगा और रामजस कॉलेज इससे अलग नहीं किया जा सकता था.

फर्स्टपोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव विनय बिद्रे ने कहा कि अलग-अलग कैंपसों में जो कुछ घटित हो रहा है, वो दो विचारधाराओं के बीच मतभेद होने की वजह से नहीं है. बल्कि ये लड़ाई राष्ट्रभक्त और देशद्रोही ताकतों के बीच है.

एबीवीपी के खिलाफ प्रदर्शन करते दिल्ली विवि और जेएनयू के छात्र

संपादित अंश:

फंर्स्ट़पोस्ट:  दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में होने वाले सेमिनार में एबीवीपी ने जेएनयू के छात्रों उमर खालिद और शेला राशिद को क्यों शामिल होने नहीं दिया?

एबीवीपी महासचिव: पहले इसे स्पष्ट कर दूं कि कॉलेज की छात्र इकाई और छात्र समुदाय ने इसका विरोध किया था. एक राष्ट्रभक्त और जिम्मेदार छात्र संगठन होने के नाते हमने इसका समर्थन किया.

इसे भूलना नहीं चाहिए कि जेएनयू का छात्र उमर खालिद ही वो शख्स था जो तमाम राष्ट्रीयता से जुड़े विवाद के केंद्र में रहा और जिसके बारे में रिपोर्ट कहती है कि उसने पिछले साल कैंपस में देशद्रोही नारे लगाए थे. इसी के बाद इस पूरे मामले ने बड़े विवाद का रूप ले लिया. उसके खिलाफ तो देशद्रोह का मुकदमा भी दायर किया गया था.

फ़र्स्टपोस्ट: एबीवीपी पर आरोप है कि कॉलेज कैंपस में ये संगठन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल कर असहनशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है. आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?

एबीवीपी महासचिव: एबीवीपी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ कभी भी नहीं है. देश के कानून और नागरिकों के संवैधानिक अधिकार की हम इज्जत करते हैं. लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर एक किस्म के अलगाववादी और कम्युनिस्ट ताकतें देश विरोधी विचारधारा और घृणा फैला रही हैं. हम इस महत्वपूर्ण हक के बेजा इस्तेमाल की आलोचना करते हैं. दरअसल वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोग असहनशील हैं और वही छात्रों के बीच एबीवीपी की बढ़ती स्वीकार्यता को पचा नहीं पा रहे हैं.

फ़र्स्टपोस्ट: क्या एबीवीपी यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैंपसों में अलग अलग विचारधाराओं को पनपने देने की संस्कृति को दबाना चाहती है?

एबीवीपी महासचिव: नहीं, शैक्षणिक संस्थानों में अलग-अलग विचारधाराओं को पनपने से हम नहीं रोक रहे हैं. हमारी कोशिश शिक्षा की खूबसूरती को बरकरार रखने की है, जैसा कि ऋगवेद में बताया गया है कि, 'हर ओर से अच्छे विचार हम तक पहुंच सकें.' अलग-अलग विचारधाराओं के नाम पर देशविरोधी विचारों को जायज नहीं ठहराया जा सकता.

एबीवीपी महासचिव विनय बिद्रे

फ़र्स्टपोस्ट: परंपरागत तौर पर आप लोगों की लड़ाई वाम दलों से रही है. लेकिन हाल की घटनाओं को देखकर यही लगता है कि आप उनलोगों के विरोध में भी है जो सैद्धांतिक रूप से अलग हैं?

एबीवीपी महासचिव: दरअसल, हम छात्र समुदाय की बेहतरी सोचने वाले संगठन है जिसका सिद्धान्त है, ‘पहले देश’. ये लड़ाई लेफ्ट, राइट, सेंटर या फिर न्यूट्रल के बीच नहीं है. ये लड़ाई दो तरह की विचारधारा रखने वाले छात्र समुदाय की है. जिसके एक तरफ वैसे छात्र हैं जो अपनी मातृभूमि की पूजा करते हैं, उसकी समृद्ध संस्कृति और विरासत के गौरव को बचाने के लिए काम कर रहे हैं. जबकि, दूसरी ओर वैसे छात्र हैं जिनका झुकाव वामदलों की तरफ है और जो देश विरोधी हैं. रामजस कॉलेज में भी कॉलेज की छात्र इकाई, जिसका चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ है और जो स्वतंत्र संगठन है उसने भी राष्ट्रीयता और एकता का पक्ष लिया है.

फ़र्स्टपोस्ट: वर्ष 2014 में जब से नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है तब से अलग-अलग यूनिवर्सिटी कैंपस मे झड़प की घटनाएं हुई हैं, जिसके केंद्र में एबीवीपी है. मसलन...रोहित वेमुला मामले में, जेएनयू, जादवपुर यूनिवर्सिटी, असम, देहरादून, वड़ोदरा, औरंगाबाद आदि. क्या इससे मोदी सरकार की छवि को नुकसान नहीं पहुंचा है? आप इस नाकारात्मक बदलाव को किस नजरिए से देखते हैं?

एबीवीपी महासचिव: अलगाववादी ताकतों के खिलाफ आवाज बुलंद करना कभी नकारात्मक बदलाव नहीं कहा जा सकता है और सरकारें कोई भी हों इससे इसका कुछ लेना-देना नहीं है. जहां कहीं भी देश विरोधी गतिविधियां होंगी एबीवीपी वहां लाल पताका फहराएगा.

फ़र्स्टपोस्ट: क्या आपको नहीं लगता है कि कई मामलों में एबीवीपी अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया है? जैसे गुरमेहर कौर ने जब बलात्कार करने की धमकी देने का आरोप मढ़ा या फिर पिछले वर्ष जेएनयू विवाद के दौरान या रोहित वेमुला खुदकुशी मामला जब तूल पकड़ा था?

एबीवीपी महासचिव: हमारी छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसी वजह से एबीवीपी ने गुरमेहर कौर धमकी मामले में आज एफआईआर दर्ज करवाई है. ये सिर्फ किसी मुद्दे पर स्टैंड लेने का सवाल नहीं है. बल्कि, ये मामला देश विरोधी ताकतों के भंडाफोड़ करने का है. एबीवीपी ऐसे तत्वों से लगातार संघर्ष करता रहेगा. सच तो ये है कि गुरमेहर ने खुद को ऑनलाइन बहस से अलग कर लिया है जिसका स्तर एक दूसरे पर कीचड़ उछालने तक सीमित रह गया था. जो ग्रुप गड़बड़ी फैलाने में जुटा था वो अब अलग-थलग पड़ चुका है. ये बात उन लोगों के गलत मकसद की ओर इशारा करती है, कि कैसे वो लोग गुरमेहर के बयान का इस्तेमाल कर विवाद खड़ा करना चाहते थे.

फ़र्स्टपोस्ट: मौजूदा समय में देश भर में 30 से 40 फीसदी मतदाता युवा हैं. ये आंकड़ा ऐसा है जो 2019 में जब लोकसभा का चुनाव होगा तब और बढ़ेगा ही. क्या एबीवीपी इस शक्ति को अपनी ओर मिलाने की किसी योजना पर काम कर रहा है? क्या एबीवीपी सदस्यता अभियान या किसी दूसरी तरह की गतिविधि करने जा रहा है?

एबीवीपी महासचिव: जैसा कि आप जानते ही हैं कि एबीवीपी प्रगतिशील, राष्ट्रवादी और देश में सबसे बड़ा छात्र संगठन है. संगठन से करीब 30 लाख सदस्य और छात्र जुड़े हुए हैं. कोई भी पार्टी हो या फिर कैसे भी नतीजे हों, हम लोकतांत्रिक नतीजों का सम्मान करते हैं. चुनावों के मद्देनजर हमारी कोई खास योजनाएं नहीं हैं. ना ही हमारी सदस्यता अभियान का चुनावों से कुछ लेना देना है.

फ़र्स्टपोस्ट: देश भर में छात्र समुदाय से एबीवीपी क्या कहना चाहता है?

एबीवीपी महासचिव: देश के साथ खड़े होने के लिए मैं छात्र समुदाय को बधाई देना चाहूंगा. आज पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों के कॉलेज कैंपस में जो भी हो रहा है वो दो सिद्धान्तों में मतभेद का नतीजा नहीं है. बल्कि ये लड़ाई राष्ट्रवादी और देश विरोधी ताकतों के बीच है. मैं छात्रों से गुजारिश करता हूं कि वो मुद्दों के प्रति जागरूक रहें और राष्ट्रवादी सिद्धान्तों के पक्ष में खड़े हो सकें.