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10 फीसदी आरक्षण का फैसला मास्टर स्ट्रोक, अभी और सिक्सर आना बाकी: रामदास अठावले

लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने एक बड़ा दांव खेला है. उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकार ने सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है.

FP Staff

लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने एक बड़ा दांव खेला है. उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकार ने सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने इस फैसला का स्वागत करते हुए इसे मास्टर स्ट्रोक करार दिया है.

रामदास अठावले ने कहा 'यह एक मास्टर स्ट्रोक है. हालांकि अभी और भी शानदार फैसलों का ऐलान होना बाकि है. पीएम मोदी एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और अभी और भी चौके और छक्के लगना बाकी है.' अठावले काफी वक्त से ऊंची जाति के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे थे. वहीं मोदी सरकार के जरिए यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब आम चुनावों के लिए कुछ ही महीनों का वक्त बाकी रह गया है.


रिपोर्ट्स के मुताबिक इस आरक्षण का फायदा ऐसे लोगों को मिलेगा जिनकी कमाई सालाना 8 लाख रुपए से कम है. इससे पहले गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग को एससी और एसटी की सियासत करने वाले कई नेता भी जायज ठहरा चुके हैं. इन नेताओं में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और मायावती भी शामिल हैं. इन लोगों ने गरीब सवर्णों को 15 से 25 फीसदी तक आरक्षण देने की बातें कही थीं.