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पटेल रहे याद, नेहरू को भूल गए: कोविंद के भाषण में दिखती है बदलती राजनीति की झलक

संबोधन के दौरान रामनाथ कोविंद ने नेहरू का नाम लिए बगैर पटेल के योगदान को याद किया

Amitesh

रामनाथ कोविंद ने देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है. संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कोविंद को शपथ दिलाई गई. कोविंद बीजेपी के राज्यसभा सांसद रहने के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और यूपी में संगठन के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी विराजमान रह चुके हैं.

2015 के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें गवर्नर बना कर भेज दिया गया था जिसके बाद अब बतौर राष्ट्रपति अपना काम संभाल रहे है.


शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपना पहला संबोधन देते हुए देशवासियों को नमन किया. इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी याद किया. देश की आजादी में योगदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भी याद किया.

रामनाथ कोविंद ने सरदार वल्लभभाई पटेल के देश के एकीकरण के प्रयास को भी सराहा. संविधान निर्माता बाबासाहब भीमराव अंबेडकर के योगदान को एक बार फिर से याद किया.

अपने संबोधन में उन्होंने कहा ‘हमारी स्वतंत्रता महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी. बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया. हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया.’

सरदार पटेल के योगदान को किया याद

इस मौके पर उन्होंने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ-साथ प्रणब मुखर्जी के पदचिह्नों पर चलने की बात कही. आजादी के बाद लौह पुरूष सरदार पटेल को याद कर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम तक न लेना दिखाता है कि किस तरह ये दौर अब बदल रहा है.

आजादी के बाद से लगातार कांग्रेस का देश की सियासत पर कब्जा रहा. इसमें भी गांधी-नेहरू परिवार का ही वर्चस्व रहा. कांग्रेस के लोग लगातार नेहरू परिवार के आजादी में योगदान को प्रचारित भी करते रहे हैं और इसे बताते भी रहे हैं.

लेकिन, कांग्रेस के विरोधी अक्सर मानते रहे हैं कि जवाहरलाल नेहरू के आगे सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को उस तरीके से प्रचारित नहीं किया गया जिसके वो हकदार थे. केंद्र में अब मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार आने के बाद सरदार पटेल की सियासी विरासत को हासिल करने की काफी हद तक कोशिश भी की गई. उनके योगदान को सराहा भी गया, प्रचारित भी किया गया.

इसे शिफ्ट ऑफ चेंज कहा जा रहा है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद रहे रामनाथ कोविंद का देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचना देश की बदलती सियासत और करवट लेते दौर का प्रतीक है. इसकी एक झलक आज देखने को भी मिल गई जब अपने पहले संबोधन के दौरान रामनाथ कोविंद ने नेहरू का नाम लिए बगैर पटेल के योगदान को याद किया.

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देश की सफलता का मंत्र है विविधता में एकता

रामनाथ कोविंद ने तमाम महापुरूषों को याद करते हुए विविधता में एकता की भारतीय संस्कृति और उसकी खूबसूरती को याद कर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की. आज देश के अलग-अलग हिस्सों में गोरक्षा के नाम पर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं जिससे देश में माहौल खराब हो रहा है. मॉब लिंचिंग के नाम पर किसी खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

लेकिन, विविधता में एकता की बात कर इस पर कुठाराघात करने वाले लोगों को एक सख्त चेतावनी भी देने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा, 'देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है. विविधता ही हमारा वो आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है. इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है. हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं.

देश आजाद हो गया है लेकिन आर्थिक और सामाजिक तौर पर आजादी के बगैर सही मायनों में आजादी की परिकल्पना संभव नहीं है. कोविंद ने विविधता में एकजुटता की दुहाई के साथ-साथ असमानता को खत्म करने की वकालत कर एक बड़ी लकीर खींच दी.

राष्ट्रपति का पहला संबोधन विविधता में एकता के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण को लेकर उनकी सोच को दिखाने वाला था. एक बेहतर कल के निर्माण और उस पर देश को विकास के रास्ते पर आगे जाने की कोशिश का एहसास उन्होंने अपने ही संबोधन में करा दिया.

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देश के हर नागरिक के योगदान की सराहना की

उन्होंने देश के हर नागरिक को राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के लिए प्रेरित भी किया और उसकी सराहना भी की. उन्होंने कहा देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है. हम में से प्रत्येक व्यक्ति भारतीय परंपराओं और मूल्यों का संरक्षक है और यही विरासत हम आने वाली पीढ़ियों को देकर जाएंगे. सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सैनिक से लेकर अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवानों तक या फिर तपती धूप में देश के लोगों के लिए अन्न उपजाने वाले किसानों तक सबको उन्होंने राष्ट्र निर्माता बताया.

देश के वैज्ञानिकों, शिक्षकों, डॉक्टरों और युवाओं के साथ-साथ महिलाओं को भी महामहिम रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र निर्माता बताया. उनके योगदान की तारीफ की.

राष्ट्र निर्माण को लेकर देश की 125 करोड़ जनता के योगदान की सराहना और उससे अपेक्षा की बात कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नए भारत के निर्माण की सरकार की परिकल्पना को फिर से सामने ला दिया है. लेकिन, रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह के बाद 'जय श्री राम' का नारा लगना भारत की करवट लेती राजनीति का एहसास कराने वाला है.