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लगातार 9वें दिन बाधित हुई राज्यसभा की कार्यवाही, बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग, तमिलनाडु में कावेरी बांध के निर्माण और बुलंदशहर हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई

Bhasha

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग, तमिलनाडु में कावेरी बांध के निर्माण और बुलंदशहर हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.

सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन के पूर्व सदस्यों एन राजंगम और जय नारायण निषाद के निधन की जानकारी सदन को दी. इसके बाद सदस्यों ने दिवंगत दोनों पूर्व सदस्यों के सम्मान में कुछ देर का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. राजंगम ने उच्च सदन में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व किया था जबकि निषाद ने उच्च सदन में बिहार का प्रतिनिधित्व किया था.


इसके बाद सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर पेश किए जाने के तुरंत बाद एआईएडीएमके, टीडीपी, एसपी सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने अपने अपने मुद्दों पर हंगामा शुरू कर दिया. एआईएडीएमके और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर अपने अपने मुद्दे उठा रहे थे.

शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही नहीं चल पा रही कार्यवाही

एआईएडीएमके के सदस्य कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध कर रहे थे वहीं टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे. एसपी के सदस्य बुलंदशहर हिंसा से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास कर रहे थे.

हंगामे के बीच ही तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन और एसपी के रामगोपाल यादव ने कुछ बोलने का प्रयास किया. लेकिन सदन में शोर-गुल के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी.

सदन में हंगामा देखकर सभापति ने सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की. हंगामा शांत नहीं होते देखकर उन्होंने कहा, ‘लगता है कि सदन चलने देने में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं है. मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है.’ अपनी इस टिप्पणी के बाद नायडू ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

उच्च सदन में शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण लगातार अवरोध बना हुआ है. सदन में इस सत्र के दौरान हंगामे के कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल सुचारू रूप से नहीं चल पाया है.