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सुपरस्टार रजनीकांत क्या राजनीति को बना पाएंगे 'रजनी'नीति?

फिल्मी हीरो राजनीति में आते रहे हैं और सफल भी हुए हैं पर बड़े कांटे हैं इस राह में

Prabhakar Thakur

सुपरस्टार रजनीकांत के राजनीति में आने की खबरें आज कल काफी चल रही हैं. अपने लाखों फैंस के बीच भगवान की तरह माने जाने वाले रजनीकांत ने मई के महीने में अपने फैंस को कहा था कि अगर ऊपर वाले ने चाहा तो वह राजनीति ज्वाइन कर लेंगे.

रजनीकांत ने कहा था कि वह राजनीति में आने का नहीं सोच रहे पर अगर वह आ गए तो सारे बेईमानों को बाहर का रास्ता दिखा देंगे. समर्थकों से मिलने-जुलने के 5 दिनों के अभियान में उन्होंने कहा था कि मौजूदा 'सिस्टम' सड़ चुका है जिसे बदलना जरूरी है.


साथ ही उन्होंने अपने फैंस से जंग के लिए तैयार रहने को भी कह दिया. उनका इतना कहना था कि कयास लगने शुरू हो गए कि अनेक फिल्मी सितारों के बाद क्या एक और सितारा भारतीय राजनीति के आसमान पर चमकने वाला है.

रजनीकांत राजनीति में आएंगे या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा पर उनके फैंस यह जानने को बेहद उत्सुक हैं कि आखिर रील लाइफ का यह हीरो रीयल लाइफ में भी लोगों का हीरो बनेगा या नहीं.

अमिताभ से मश्विरा करेंगे रजनीकांत

अब खबर आई है कि रजनीकांत अपने पुराने दोस्त और महानायक अमिताभ बच्चन से इस मामले में सलाह लेना चाहते हैं. रजनीकांत इस बारे में बिग-बी से क्या सलाह लेंगे उसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

अमिताभ जब 1984 में राजनीति में आए थे तब किसी फिल्मी एंट्री की तरह ही ऐसी आंधी चली कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज भी उसमें उड़ गए. इस जीत के बावजूद राजनीति अमिताभ को रास नहीं आई और उन्होंने यह कहते हुए राजनीति छोड़ दी कि राजनीति एक कीचड़ है.

मजे की बात ये कि फिल्मी दुनिया से राजनीति में आने वाले लोगों की लिस्ट लंबी है और उन्होंने अपनी जड़ें भी गहरी जमाई हैं. क्या बॉलीवुड और क्या दक्षिण भारतीय स्टार, सत्ता के करीब होने की चाहत कईयों को राजनीति में खींच लाई है.

आंध्र से तमिलनाडु तक हर जगह लोग आए फिल्मों से नेतागिरी में

दक्षिण भारत में एनटी रामा राव को फिल्मों में जोरदार सफलता हासिल हुई. फिल्मों में उनकी छवि लोगों के मसीहा के जैसी बन गई थी. 1982 में उन्होंने तेलगु देशम पार्टी की स्थापना की और इसके एक साल बाद 1983 से 1995 तक 3 बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनकी पार्टी की सफलता ऐसी रही कि आज भी आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार है.

आंध्र प्रदेश के ही चिरंजीवी ने फिल्मों में मसीहा टाइप रोल खूब किये. अपनी लोकप्रियता को देख वो भी राजनीति में कूद पड़े और पार्टी का नाम रखा प्रजा राज्यम पार्टी. हालांकि विधानसभा चुनाव में उन्हें खास सफलता नहीं मिली और 3 साल बाद उन्होंने पार्टी कांग्रेस में विलय करा दी.

तमिलनाडु की राजनीति में तो फिल्मी सितारे छाये रहे हैं. श्रीलंका में जन्मे एमजी रामचंद्रन ने एक झटके अपनी नई पार्टी बनाते हुए करूणानिधि जैसे दिग्गज को धूल चटा दी. इस कारनामे में फिल्मी सितारा होने के चलते मिली शोहरत का योगदान किसी से छुपा नहीं है.

यही हाल पार्टी की अगली बड़ी नेता जयललिता में मामले में भी रहा. जयललिता फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में भी सफलता का एक बेहतरीन उदहारण रहीं. उनको अम्मा कहकर बुलाने वाले लोगों के उनकी मौत पर आंसू बंद नहीं हुए.

राजनीति के दांव-पेंच हैं बड़े भारी

बॉलीवुड का तो राजनीति से गहरा रिश्ता रहा है. जया बच्चन से लेकर गोविंदा और शत्रुघ्न सिंहा से लेकर हेमा मालिनी तक ऐसे नामों की फेहरिस्त लंबी है.

अब ऐसे में राजनीति में आने की सोच रहे रजनीकांत अगर नेता बन गए तो कोई हैरत नहीं होनी चाहिए. उनकी लोकप्रियता का आलम देखते हुए उनको राजनीति में शुरूआती सफलता मिलनी तो तय है. दक्षिण में अपना आधार बढ़ाने में जुटी बीजेपी उन्हें अपनी ओर बुला भी रही है पर लंबी पारी खेलने के लिए उन्हें राजनीति और कूटनीति के दांव-पेंच जल्दी सीखने होंगे.