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संसद डायरी: विपक्ष को साधेंगे राजनाथ

सरकार ने तय किया है कि विपक्ष के साथ विचार-विमर्श करके जारी गतिरोध खत्म किया जाए

सुरेश बाफना

पिछले 20 दिनों से नोटबंदी पर विपक्ष के साथ वाक-युद्ध करने के बाद अब मोदी सरकार ने तय किया है कि विपक्षी नेताअों के साथ विचार-विमर्श करके संसद में जारी गतिरोध को खत्म किया जाए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी दी है कि वे विपक्षी नेताअों के साथ बातचीत करके संसद की कार्यवाही को पटरी पर लाएं. इस संदर्भ में केन्द्र सरकार ने पांच मुख्यमंत्रियों की एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया है जो ग्रामीण इलाकों में नोटबंदी से हो रही परेशानियों पर विचार करके सरकार को सुझाव देगी. इस कमेटी में नीतीश कुमार, शिवराजसिंह चौहान, चंद्रबाबू नायडू, नारायण सामी व मानिक सरकार को शामिल होने का अनुरोध किया गया है.

चंद्रबाबू की नाराजगी


नोटबंदी पर शुरु में मोदी सरकार का खुलकर समर्थन करनेवाले आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पिछले चार-पांच दिनों से मोदी सरकार के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं. उनका कहना है कि रिजर्व बैंक व अन्य सरकारी बैंकों ने आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में नगदी की समस्या का समाधान करने की दिशा में अपेक्षित कदम नहीं उठाए हैं. तेलुगु देशम के सांसदों ने अरुण जेटली से मिलकर अनुरोध किया है कि वे निजी तौर पर आंध्र प्रदेश के किसानों व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की समस्याअों का समाधान निकालें.

जीएसटी पर संकट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व वित्त मंत्री अरुण जेटली अब इस बात पर चिन्तित हैं कि यदि नोटबंदी पर जारी विवाद का समाधान नहीं निकाला तो जीएसटी से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करना संभव नहीं होगा. यदि विधेयक वर्तमान सत्र में ये विधेयक पारित नहीं हुए तो 1 अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू नहीं पाएगा.

जीएसटी से संबंधित विधेयक पारित नहीं होने पर प्रधानमंत्री मोदी की वित्तीय परियोजनाअों पर भी संकट के बादल मंडराने लगेंगे. वर्तमान सत्र में अब 11-12 दिनों का कामकाज होना शेष है, इसलिए मोदी सरकार की कोशिश होगी कि नोटबंदी विवाद पर बहस के माध्यम से पटाक्षेप किया जाए और जरुरी विधेयकों को पारित कराया जाए.

स्थगन प्रस्ताव का रगड़ा

आज लोकसभा में कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी विपक्षी दल चाहते थे कि नोटबंदी पर बहस शुरू की जाए. विपक्षी दलों की एक ही मांग थी कि बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में मौजूद रहें. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के नेताअों को आश्वस्त किया है कि प्रधानमंत्री अधिकतम समय सदन में मौजूद रहेंगे, लेकिन यह संभव नहीं होगा कि वे निरन्तर मौजूद रहें.

अब विवाद केवल इसी बात पर है कि किस नियम के तहत चर्चा शुरू की जाए. विपक्ष चाहता है कि स्थगन प्रस्ताव के तौर पर बहस हो, ताकि अंत में मत विभाजन कराया जा सके. कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को लगता है कि एनडीए का बाहर से समर्थन करने वाले दल मोदी सरकार के इस कदम के विरोध में वोट दे सकते हैं.