view all

यूपी चुनाव 2017: मैराथन रैलियों से यूपी में हवा बना रहे राजनाथ सिंह

राहुल ने लड़ाई के चार महीने पहले ही खाट पकड़ ली. फिर वो साइकिल की पिछली सीट पर सवार हो गए

Sanjay Singh

‘मुख्यमंत्री कहते हैं कि पापा ने काम नहीं करने दिया, चाचा ने काम नहीं करने दिया, तो आप मुख्यमंत्री ही क्यों बने रहे? क्यों बने रहे पांच साल? ..यानी चित भी मेरी.. पट भी मेरा और अंटा मेरे बाप का..’ गोंडा जिले के तराबगंज में एक जनसभा के दौरान जैसे ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस देसी जुमले का इस्तेमाल किया, वहां जमा लोगों की भीड़ ने इसका स्वागत तालियों से किया. वैसे भी गोंडा जिले ने विकास से काफी दूरी बनाई हुई है और इलाका पिछड़ा है.

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण के दौरान अखिलेश यादव के चुनावी नारे ‘काम बोलता है’ पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं गंवाया. उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में वहां जमा लोगों से सूबे में सड़क से लेकर पानी, बिजली, रोजगार, किसानों की हालत, स्कूल जैसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने को कहा. भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री को ये समझना चाहिए कि ‘काम बोलता नहीं, काम दिखता है.. तो फिर फायदा किसे हुआ’. वहां इकट्ठा भीड़ में से किसी ने कहा कि अखिलेश यादव को फायदा हुआ. जैसे ही राजनाथ सिंह ने तंज कसते हुए अखिलेश का नाम दोहराया, वहां खड़ी जनता हंस पड़ी.


किसानों का कर्ज माफ होगा

राजनाथ सिंह यहीं नहीं रुके. जनता से सीधा संवाद कायम करने के लिए उन्होंने हिंदी भाषा में ही बेहद प्रभावी शब्दों का जाल बुना. जनता के बीच उन्होंने ऐलान किया कि ‘हमारी सरकार आने दीजिए… कलम, नोंक और स्याही की एक बूंद से किसानों का कर्ज माफ हो जाएगा’. इसके बाद उन्होंने नोटबंदी पर लोगों से सहमति मांगी. हालांकि ऐसा उन्होंने कुछ तैयार सवालों के आधार पर किया जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी लोगों से पूछते रहे हैं.

यूपी चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी जोरशोर से बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं

राजनाथ सिंह अपनी जनसभाओं में बेहद चतुराई से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल कर लेते हैं. वो उनकी उपलब्धियों के बारे में भी जनता को बताते हैं. राजनाथ सिंह अच्छी तरह जानते हैं कि अभी भी कई समुदायों के लोग खास कर ब्राह्मण वर्ग अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति बेहद सम्मान का नजरिया रखते हैं. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी की तरफ से सबसे प्रमुख चुनाव प्रचारक हैं जिनकी पॉपुलारिटी दूसरे नेताओं के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

राजनाथ सिंह अपने कैंपेन टूर की 67वीं जनसभा गोरखपुर के शाहजनवा इलाके में कर रहे थे. यहां उन्होंने सीधे पूछ लिया कि आखिर कृषि और किसानों के कल्याण के लिए वो उनके काम को किस तरह आंकते हैं. सहमति में कई बुजुर्ग हाथ उठ जाते हैं.

राजनाथ इन चुनावों में काफी व्यस्त हैं. अकेले बुधवार को हेलिकॉप्टर से यात्रा कर उन्होंने गोंडा, गोरखपुर, संत कबीरनगर और सुल्तानपुर जिलों में पहुंच कर पांच चुनावी सभाएं कीं.

पाकिस्तान एक सिरदर्द पड़ोसी

मतदाताओं में राष्ट्रीयता की भावना को उकसा कर पार्टी के लिए सियासी फायदा बटोरने के मकसद से राजनाथ पाकिस्तान पर खुलकर बोलते हैं. वो रैली में आए लोगों को बताते हैं कि पाकिस्तान का रवैया अब तक कैसा रहा है? उनकी सरकार कैसे एक सिरदर्द पड़ोसी से निपट रही है? सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र आते ही रैली में इकट्ठा लोग चिल्ला कर अपनी सहमति जताते हुए नजर आते हैं. वो कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलना महत्वपूर्ण है. सभी लोगों के दिल में देश को आगे बढ़ाने की ख्वाहिश होनी चाहिए.

राजनाथ सिंह सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र कर जनता के अंदर देशभक्ति का भाव जगाने की कोशिश करते हैं

राजनाथ सिंह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की खाट सभा का मजाक उड़ाने से भी नहीं चूकते. वो कहते हैं कि उन्होंने अब तक ऑडिटोरियम, हॉल, मैदान में चर्चा आयोजित करने की बात तो सुनी है. लेकिन उन्होंने खाट पर चर्चा की बात इससे पहले कभी नहीं सुनी थी. खाट तो वैसे भी खाने और सोने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. लेकिन राहुल की बुद्धि कुछ और ही कहती है.

राजनाथ कहते हैं कि ‘राहुल ने लड़ाई के चार महीने पहले ही खाट पकड़ ली. फिर वो साइकिल की पिछली सीट कैरियर पर सवार हो गए. वो भी एक ऐसी साइकिल जो मुलायम सिंह यादव ने पहले से ही पंक्चर कर रखी थी’.

राजनाथ सिंह ने कई चुनाव देखे हैं. सालों तक जनसभाओं को संबोधित करने और लोगों की प्रतिक्रिया का जायजा लेने का उन्हें लंबा अनुभव है. जनता से उन्हें जो प्रतिक्रिया मिल रही है उससे उनका उत्साह दोगुना हो गया है. वो लोगों की प्रतिक्रिया को बीजेपी के लिए बेहतर मान रहे हैं.

सत्ता से हट जाने का समय

रैली में इकट्ठा भीड़ में पीछे खड़े युवा लड़कों की टोली में से एक युवा कहता है कि वो तो मोदी के पक्ष में मतदान करेगा. उनकी नजर में राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को नेतृत्व देने में सबसे सक्षम हैं. जब उनसे पूछा गया कि अखिलेश के बारे में आप लोगों का क्या ख्याल है? सवाल पूछते ही एक लड़के ने तपाक से जवाब दिया कि ’जैसी करनी, वैसी भरनी’. उनकी राय में अखिलेश यादव के लिए अब सत्ता से हट जाने का समय है.

राजनाथ सिंह अपनी रैलियों में 'यूपी के लड़के' अखिलेश यादव और राहुल गांधी पर निशाना साधते हैं

लेकिन क्या वो ऐसी बातें सिर्फ इसलिए कर रहे थे क्योंकि वो बीजेपी की रैली में हिस्सा लेने आए थे? क्या वो बीजेपी समर्थक हैं? वहां खड़े एक दूसरे युवा ने जवाब दिया कि, ‘हम 2014 में ही मोदी के समर्थक बन गए थे और आज तक हैं. इस राज्य ने मायावती, मुलायम और अखिलेश का दौर देख लिया है. इस बार बीजेपी को मौका मिलना चाहिए. हम भी ये देखना पसंद करेंगे कि आखिर ये पार्टी क्या करती है. आखिर केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सत्ता होने पर क्या बदलाव आता है?’.

इधर मंच से राजनाथ कहते हैं कि, ‘हम आंख में धूल झोंक कर वोट नहीं मांगेंगे. बल्कि आंख से आंख मिलाकर मांगेंगे’. राजनाथ आगे कहते हैं कि ‘अपराधी और भ्रष्टाचारियों की जगह जेल में है. कोई कितना भी ऊंची हैसियत वाला और ताकतवर क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा’.

यूपी के सबसे कद्दावर नेता

उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह सबसे कद्दावर नेता हैं. वो राज्य में पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं. मुख्यमंत्री भी रहे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के साथ वो अब केंद्र में गृह मंत्री हैं. लखनऊ के 4 कालिदास मार्ग पर मौजूद अपने आवास से जैसे ही वो अपनी सुबह की शुरुआत करते हैं. सैकड़ों बीजेपी समर्थक उनके यहां जुटे जाते हैं. राजनाथ सिंह किसी को निराश नहीं करते. बावजूद इसके कि ज्यादा लोग उनके प्रति सम्मान जताना चाहते हैं.

राजनाथ पार्टी की संभावना के बारे में कुछ लोगों से चर्चा करते हैं. जबकि कुछ वरिष्ठ पार्टी नेताओं से फोन पर वो चुनावी रणनीति पर चर्चा करते हैं. इन व्यस्तताओं के बावजूद उन्हें अपने गृह मंत्रालय से संबंधित कार्यों को भी पूरा करना होता है.

राजनाथ सिंह एक बार पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं

वो कहते हैं कि. ‘2014 भारत के इतिहास में वॉटर मार्क की तरह है. यह पहला मौका था जब देश में गैर-कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत से बनी. लेकिन ये मुमकिन नहीं होता अगर यूपी ने बीजेपी को 73 सांसद नहीं दिए होते. इसलिए एक बार फिर इतिहास बनाना है’. विधानसभा चुनाव में अपनी तरह का एक अलग किस्म का इतिहास.

सुल्तानपुर की रैली में राजनाथ सिंह थोड़ी जल्दबाजी में दिखते हैं. क्योंकि सूर्यास्त से पहले लखनऊ में उनके हेलिकॉप्टर को उतारना है.