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राजीव गांधी की हत्या की पूरी कहानी, आखिर क्या हुआ था धमाके की उस रात

एक बड़े दायरे में मौजूद लोग सुन्न पड़ चुके थे. जहां राजीव खड़े थे, वहां और उसके इर्द-गिर्द खून, मांस और मानव अंगों के टुकड़े बिखरे पड़े थे

FP Staff

21 मई 1991: मद्रास से करीब 40 किमी दूर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में सभा के स्टेज से कुछ ही दूर पहले राजीव गांधी ने अपनी मां इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और स्टेज की ओर बढ़े. रात 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव ने अपनी कार से बाहर आकर हाथ उठाकर भीड़ का अभिवादन किया. वी राममूर्ति ने दो पत्रकारों के लिए रास्ता बनाया और फिर तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी द्वारा अरेंज की गई एक जीप में एक वीडियोग्राफर के साथ पहले स्टेज पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि राजीव बैरिकेड्स के पास रुक गए हैं और कुछ प्रशंसकों के साथ हाथ मिला रहे हैं.

कुछ ही दूर दो विदेशी पत्रकारों से घिरीं मरागथम को कार से उतरने में बहुत वक्त लगा लेकिन वह राजीव के पास पहुंचीं और उन्होंने कुछ समर्थकों को राजीव से इंट्रोड्यूस कराने की कोशिश की. इतने में राजीव रेड कारपेट की ओर बढ़ गए. वहां एक पार्टी कार्यकर्ता ने शॉल भेंट करते हुए राजीव के साथ एक फोटो की गुजारिश की और राजीव को दोनों बाहों में बांधना चाहा. मरागथम ने उस कार्यकर्ता को राजीव से दूर करने की कोशिश की लेकिन उन्हें धक्का लगा और वह संतुलन खो बैठीं.


इससे करीब एक घंटे पहले

मद्रास से करीब 40 किमी दूर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को होने वाली राजीव गांधी की सभा की तैयारियां 20 मई को युद्धस्तर पर थीं. आईजी आरके राघवन पूरी सभा में सुरक्षा प्रबंधों के ओवरआॅल इंचार्ज थे. 17 मई को जैसे ही तमिलनाडु में कुछ जगहों पर राजीव की सभाओं की पुष्टि हुई तो इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा के इंतजामों के लिए कमर कस ली थी.

20 मई को निर्देश जारी किए गए कि राजीव की श्रीपेरंबदूर सभा में शामिल होने वाली भीड़ को लेकर पुख्ता इंतज़ाम किए जाएं. 21 मई की रात एक सब इंस्पेक्टर की इस टीम में 2 सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेक्टर से लैस थे. लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया इस टीम का हिस्सा थीं. अनूसूया के साथ और भी महिला सुरक्षाकर्मी थीं जिन्हें सभा स्थल के रेड कारपेट एरिया के पास तैनात किया गया था ताकि राजीव के स्वागत-सत्कार करने आने वाली महिलाओं की सुरक्षा जांच की जा सके. इस पूरी भीड़ को काबू कर रहे सुरक्षाकर्मियों और इंतज़ाम को देख रहे आईजी राघवन ने नाखुशी जताई थी और बराबर निर्देश देते रहे थे.

लकड़ी के बैरिकेड्स दिए गए निर्देशों के मुताबिक नहीं थे, इस तरह की बातों पर आईजी ने नाराज़गी जताई. इस पूरे इंतज़ाम में कांग्रेस के कुछ स्थानीय कार्यकर्ता पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के साथ बराबर जुड़े हुए थे. इसी बीच, वेन्यू पर एंट्री लेने के लिए उत्साहित महिलाओं के हुजूम में लता कानन देखी गईं. लता कानन तमिलनाडु कांग्रेस की नेता मरागथम चंद्रशेखर की बेटी लता प्रियाकुमार की सहयोगी थीं और कुछ ही समय पहले कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में पार्टी से जुड़ी थीं. कानन अपनी बेटी कोकिला के साथ थीं.

टीनेजर कोकिला ने राजीव गांधी के लिए एक कविता का अनुवाद किया था और लता चाहती थीं कि कोकिला उस कविता का पाठ राजीव के सामने करे. रात करीब सवा नौ बजे लता प्रियाकुमार वैन्यू पर पहुंची तो कानन ने उनसे कोकिला की सिफारिश की गुज़ारिश की. प्रियाकुमार के कहने पर राजीव से मिलने वाले लोगों की क्लियरेंस लिस्ट में कोकिला का नाम शामिल कर लिया गया. इसके बाद प्रियाकुमार इंदिरा गांधी की प्रतिमा के पास पहुंची जहां उन्हें राजीव का स्वागत करना था.

चश्मे वाली एक महिला की मौजूदगी

अब तक क्लियर्ड लोगों की जो सूची तैयार थी उसमें 23 नाम थे जिनमें से कोकिला के अलावा सभी पुरुष थे. लता कानन का नाम भी इस सूची में आ गया था और वह भी राजीव का स्वागत करने वाले खास लोगों की सूची में थीं. लता के पीछे संदल की हार लिए हुए चश्मा लगाए एक महिला थी जिसने हरे और नारंगी रंग की सलवार कमीज़ पहनी थी, उस पर शायद किसी का ध्यान नहीं था. इस महिला को कुछ देर पहले ही लता कानन के साथ देखा गया था. इसके साथ एक फोटोग्राफर पत्रकार हरिबाबू सहित तीन और साथी थे.

लता कानन जब क्लियरेंस का इंतज़ार कर रही थीं तब यह चश्मे वाली महिला अपने साथियों के साथ उनसे मिली और राजीव को हार पहनाने की इच्छा ज़ाहिर की. वहां मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने फैशनेबल साड़ी पहने हुई किसी महिला ने उस महिला की इच्छा को रखा. कुछ ही दूरी पर जहां लता कानन और कोकिला कुछ और लोगों के साथ प्रतीक्षा में खड़ी थीं, कुछ देर बाद वह चश्मे वाली महिला भी वहां पहुंच गई. हरिबाबू अपने कैमरे को फोकस कर चुका था और उसने वैन्यू पर पहली तस्वीर क्लिक की.

आखिरी वक्त पर गहमागहमी

लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया कांस्टेबल के साथ रेड कारपेट के पास चेक पॉइंट पर थीं. उनके इर्द-गिर्द काफी भीड़ थी. ऐन वक्त पर गहमागहमी मची हुई थी. जिनके नाम क्लियर्ड लिस्ट में थे, वे अंदर जाने के लिए उतावले थे और ऐसे कई लोगों की भीड़ थी जिनके नाम क्लियर्ड लिस्ट में नहीं थे. पुलिस के पास लिस्ट थी और वह नाम चेक करते हुए कुछ को मेटल डिटेक्टर से जांचकर अंदर जाने दे रही थी.

सुरक्षा एजेंसियों के कई लोग आयोजकों के साथ मशगूल थे और वे मान रहे थे कि पार्टी कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी है कि वह आखिरी समय पर वैन्यू पर किसी किस्म का बवाल नहीं करेंगे और साथ ही यह भी मान लिया गया था कि पुलिस अपना काम करते हुए उन लोगों को संरक्षित क्षेत्र से हटा देगी जिनका नाम क्लियर्ड सूची में नहीं है. इसी वक्त राजीव के वेन्यू पर पहुंचने की सूचना आई और निर्देश जारी किया गया कि जिनका नाम स्वागत सूची में आ चुका है, वे स्टेज के पास बने रेड कारपेट एरिया में अपनी जगह ले लें.

इन निर्देशों के बावजूद स्वागत के इच्छुक हुजूम को देखते हुए कन्फ्यूज़न बना हुआ था और लिस्ट में शामिल के अलावा भी कई लोग भीतर दाखिल हो चुके थे. कोकिला के साथ उस खास पल का इंतज़ार कर रही लता कानन इस बात से बेखबर और बेपरवाह थीं कि उनके पास ही वह चश्मे वाली महिला चंदन का हार लिए हुए खड़ी हुई थी.

वीडियोग्राफरों को बंद करने पड़े कैमरे

रात 10 बजकर 10 मिनट पर जब राजीव गांधी कार से उतरकर स्टेज की ओर आ रहे थे और उनके साथ फोटो खिंचाने की गुज़ारिश कर राजीव से लिपटने की कोशिश करने वाले एक व्यक्ति को दूर हटाने में मरागथम ने अपना संतुलन खोया तभी पुलिसकर्मियों ने राजीव गांधी के इर्द-गिर्द सुरक्षा घेरा बना दिया और बाकी पुलिसकर्मी भीड़ को काबू में रखने की कोशिश करने लगे लेकिन यह बहुत मुश्किल हो रहा था. स्टेज पर खड़े वीडियोग्राफरों ने बहुत कोशिश की लेकिन अंतत: उन्हें कैमरे बंद करने पड़े क्योंकि स्टेज के पास एक ही पावर सॉकेट था और स्टेज की ओर आते हुए राजीव को बेतहाशा भीड़ ने घेर रखा था इसलिए कैमरे में ठीक से कुछ कैद भी नहीं हो पा रहा था.

और टाइम हुआ रात 10 बजकर 20 मिनट

पार्टी के पुरुष कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत सत्कार के बाद राजीव महिलाओं की कतार की तरफ मुड़े. तब पार्टी की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. कोकिला ने वह कविता सुनानी शुरू की. कोकिला के ठीक पीछे वह चश्मे वाली महिला थी जो अगले ही पल राजीव की ओर आगे आई. अनुसूया ने उस महिला को राजीव तक पहुंचने से रोकना चाहा लेकिन चंदन का हार लिए उस महिला को रोकने से मना करते हुए राजीव ने इशारा किया. अनुसूया पीछे हट गई और वह महिला अब राजीव के ठीक सामने थी.

उस महिला ने चंदन का वह हार राजीव के गले में डाला और राजीव के पैर छूने के लिए नीचे झुकी. बुलेट प्रूफ कार से उतरे हुए राजीव को दस मिनट हो चुके थे और अब समय था रात के 10 बजकर 20 मिनट. जैसे ही वह महिला नीचे झुकी वैसे ही अचानक एक कानफोड़ू शोर वाला धमाका हुआ और जहां राजीव खड़े हुए थे वहां से आग और धुएं का एक बगूला उठा. करीब 20 फीट तक उठी लपटों और धुएं के बाद उस जगह जहां राजीव खड़े थे, उसके आसपास चीथड़े पड़े हुए थे.

राजीव गांधी की अंतिम यात्रा की तस्वीर.

एक बड़े दायरे में मौजूद लोग सुन्न पड़ चुके थे. जहां राजीव खड़े थे, वहां और उसके इर्द-गिर्द खून, मांस और मानव अंगों के टुकड़े बिखरे पड़े थे. राजीव, लता कानन, कोकिला, हरिबाबू, राजीव के निजी सुरक्षा अधिकारी और हरे व नारंगी रंग की सलवार कमीज़ पहने चश्मा लगाए वह महिला मौके पर ही खत्म हो चुके थे. राजीव और उनके साथ कई लोगों की आखिरी तस्वीरें खींचने वाला हरिबाबू का वह कैमरा कई यार्ड दूर एक गूंगे गवाह के तौर पर पड़ा हुआ था.

वेन्यू पर ऐसे आई चश्मे वाली यह महिला

दो हफ्तों से नलिनी के घर पर कुछ और लोगों के साथ यह महिला रुकी हुई थी. जैसे ही रची गई साज़िश को अंजाम देने का दिन आया यह महिला बीमार हो गई थी. लेकिन उसकी एक साथी ने उसे असाइन किया हुआ काम पूरा करने के लिए कहा और उसके शरीर पर बेल्ट बम बांधा. इन सभी को अभी तक यही पता था कि वरदराजा पेरूमल की हत्या की योजना बनाई गई है. 21 मई की शाम इन लोगों ने श्रीपेरंबदूर के लिए सरकारी बस पकड़ी.

इसी बीच नलिनी ने एक महिला को उस चश्मे वाली महिला से कहते सुना कि वह इतिहास रचने जा रही है तब नलिनी को समझ आया कि यह पेरूमल नहीं बल्कि राजीव गांधी की हत्या का प्लैन था. रात करीब 8 बजे ये सभी श्रीपेरंबदूर पहुंचे और साथ में डिनर किया. इसके तुरंत बाद इन लोगों ने राजीव की सभा के स्टेज के पास पहुंचने का सफर शुरू किया.

(न्यूज 18 के लिए भावेश सक्सेना की रिपोर्ट)