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राजस्थान विधानसभा चुनाव: तो क्या पत्नी की वजह से 2008 में सीएम नहीं बन पाए थे सीपी जोशी?

ब्राह्मण, राजपूत और गुर्जर बहुल नाथद्वारा विधानसभा सीट जोशी की परंपरागत सीट रही है. लेकिन 2008 के चुनाव में सीपी जोशी को राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा और उनके सीएम बनने का सपना भी टूट गया.

Himanshu Kothari

क्रिकेट के खेल में अगर कोई बल्लेबाज 99 रन के स्कोर पर खेल रहा हो और शतक पूरा करने से महज एक रन पहले ही अपना विकेट गंवा दे तो इसका दर्द काफी ज्यादा होता है. अगर कोई स्टूडेंट सिर्फ एक नंबर से पास होने से रह जाए और फेल हो जाए तो उसका पूरा साल बर्बाद माना जाता है. वहीं अगर चुनावों में किसी नेता की जीत-हार सिर्फ एक वोट से तय होती हो तो आने वाले पांच सालों तक किसी नेता को एक वोट का मलाल रहता है तो दूसरा नेता एक वोट से मालामाल हो जाता है. लेकिन अगर कोई नेता सिर्फ एक वोट से मुख्यमंत्री बनने से रह जाता हो तो उस नेता पर क्या बितेगी, इसका अंदाजा लगा पाना ही अपने आप में काफी रोचक और पीड़ादायक रहता है. रोचक इस लिहाज से कि मुकाबला टक्कर का था और पीड़ादायक इस मायने में कि एक वोट के कारण सीएम रेस से बाहर होना पड़ा.


राजस्थान में विधानसभा के लिए चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक पार्टियां अपनी कमर कस चुकी है. भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस तक हर कोई राज्य में खूब रैलियां कर रहा है. ऐसे में 200 विधानसभा सीटों वाले इस राज्यों में कई हॉट सीट भी है, जिन पर पूरा देश नजरें लगाए बैठा है. राजस्थान की इन्हीं सीटों में से एक है नाथद्वारा की सीट. मेवाड़ की राजनीति का मुख्य केंद्र माने जाने वाले राजसमंद के नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र से जहां कांग्रेस से वरिष्ठ नेता डॉ सीपी जोशी मैदान में है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी से महेश प्रताप सिंह सीपी जोशी के खिलाफ खड़े हैं. महेश प्रताप सिंह करीब 11 साल बाद बीजेपी में लौटे हैं. वह शेखावत सरकार में मंत्री रहे और शिवदान सिंह के भतीजे हैं. शिवदान सिंह वो नेता थे जिन्होंने साल 1990 में जोशी को हरा दिया था.

चार बार विधायक

नाथद्वारा सीट पर चार बार 1980, 1985, 1998 और 2003 के चुनाव में जीत दर्ज कर चुके सीपी जोशी के लिए यही सीट 2008 के विधानसभा चुनाव में एक बुरे सपने के रूप में सामने आ चुकी है. राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए चुनावी गणित ज्यादा मायने रखता है. चुनावी दंगल में अगर किसी राजनीतिक पार्टी का गणित सही बैठ जाए तो उनकी जीत को कोई लहर भी डिगा नहीं सकती है. लेकिन राजनीति में भी कभी कुछ अप्रत्याशित देखने को मिल जाता है. ऐसा ही कुछ साल 2008 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सीपी जोशी के साथ देखने को मिला. उस विधानसभा चुनाव में राज्य में मौजूदा बीजेपी सरकार से लोग तंग आ चुके थे और राज्य में कांग्रेस की लहर चल चुकी थी.

2008 के 13वीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में राज्य में सामने आई. इस चुनाव में कांग्रेस को 96 सीटें हासिल हुई, हालांकि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं होने के कारण कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 6 विधायकों और निर्दलीयों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. इस चुनाव में बीजेपी को 78 सीटें मिली. 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सरकार तो बना ली लेकिन ये चुनाव कांग्रेस के ही सीपी जोशी के लिए दिल दुखाने वाला रहा. यूपीए सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री और रेल राज्य मंत्री रह चुके जोशी को साल 2008 के विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस का सीएम उम्मीदवार माना जा रहा था. हर जगह चर्चा थी कि राहुल गांधी के नजदीकी सीपी जोशी ही राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री होंगे. उस दौरान नाथद्वारा से चुनाव लड़ रहे सीपी जोशी की जीत पक्की मानी जा रही थी. नाथद्वारा सीट पर सीपी जोशी का काफी प्रभुत्व माना जाता है. ब्राह्मण, राजपूत और गुर्जर बहुल नाथद्वारा विधानसभा सीट जोशी की परंपरागत सीट रही है. लेकिन 2008 के चुनाव में सीपी जोशी को राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा और उनके सीएम बनने का सपना भी टूट गया.

एक वोट का खेल

हालांकि बात ये नहीं थी कि सीपी जोशी चुनाव हार गए, बल्कि मुद्दा तो ये बना की सीपी जोशी को महज 1 वोट से चुनाव में मात मिली. इसी एक वोट से हार के कारण सीपी जोशी कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की दौड़ से भी बाहर हो गए. उस चुनाव में जोशी के सामने बीजेपी के कल्याण सिंह मैदान में थे. मुकाबले में सीपी जोशी का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा था क्योंकि राज्य में कांग्रेस की लहर थी और 2008 से पहले के दो चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी लगातार इस सीट पर जीत दर्ज करते आ रहे थे. इस बार उनका इरादा जीत की हैट्रिक बनाने का था. लेकिन, लोकतंत्र में आखिर में वही होता है जो मंजूर-ए-जनता होता है. राजनीति में आवाम का एक वोट कब पासा पलट दे, कहा नहीं जा सकता है. जब 2008 में इस सीट से चुनावी नतीजे सामने आए तो राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत की राजनीति में एक नया इतिहास लिखा जा चुका था. सीएम उम्मीदवार माने जा रहे सीपी जोशी एक वोट के चक्कर में फंसकर चुनाव हार चुके थे. इस चुनाव में कांग्रेस के सीपी जोशी को 62215 वोट मिले थे तो वहीं 62216 वोट हासिल कर बीजेपी के कल्याण सिंह चौहान बाजी मार चुके थे.

हालांकि इस पूरे चुनावी रण में जो सबसे दिलचस्प बात रही वो यह थी कि साल 2008 के चुनाव में सीपी जोशी की पत्नी डॉ. हेमलता जोशी ही अपने पति के लिए वोट नहीं डाल पाई थी. ऐसे में अपने घर का ही सिर्फ एक वोट न डालना सीपी जोशी के लिए भारी पड़ गया और जोशी सीएम बनते-बनते रह गए.