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राजस्थान चुनाव: घोषणा पत्र में 'गोरखधंधा' शब्द मिटाने का वादा कर BJP किसे खुश करना चाहती है

राजस्थान में बीजेपी के संकल्प पत्र में नाथ संप्रदाय को तवव्जो दी गई है. दरअसल, मतदान से पहले ध्रुवीकरण की उम्मीद सिर्फ आदित्यानाथ योगी पर टिकी है

FP Staff

बुरे या गलत या अनैतिक कामों के लिए अब तक राजस्थान में एक प्रचलित शब्द था गोरखधंधा. बीजेपी फिर सत्ता में आई तो गोरखधंधा शब्द का इस्तेमाल करने वालों को जेल जाना पड़ सकता है. बीजेपी ने राजस्थान गौरव संकल्प पत्र के नाम से जारी अपने घोषणा पत्र में ये वादा किया कि गोरखधंधा शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाएगी. कानून की पालना न करने वालों को सजा दिलाने का प्रावधान होगा.

ये सुनकर सिर चकरा गया होगा कि आखिर बीजेपी को अचानक इस शब्द से आपत्ति क्यों हुई. दरअसल, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ संप्रदाय के मंहत है. गोरखनाथ पीठ के मंहत. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि योगी को खुश करने के लिए घोषणा पत्र में ये बात जोड़ी. सुरेजवाला ने कहा कि ये महाराज गोरखनाथ का अपमान नहीं है.


बीजेपी के संकल्प पत्र में गुरु गोरखनाथ का सम्मान यहीं नहीं थमा. घोषणा पत्र के बीसवें अध्याय में गुरु गोरखनाथ की जीवनी को राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की पुस्तकों में शामिल किया जाएगा. गोरखनाथ के प्राचीन योग को पुस्तकों में छात्रों को पढ़ाया जाएगा.

गुरु गोरखनाथ के सम्मान के लिए उनका राजस्थान में राष्ट्रीय स्मारक भी बनाया जाएगा. गौरव संकल्प पत्र में आगे लिखा कि गुरु गोरखनाथ के पुराने योग और तंत्र के ग्रंथों को रखने के लिए लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी.

गुरु गोरखनाथ से जुड़े नाथ संप्रदाय के मठ और आसन (गद्दी) बीकानेर से लेकर बाड़मेर और जालोर समेत कई जिलों में हैं. अनुयायियों की तादाद भी काफी अधिक है. नाथ संप्रदाय का पश्चिम राजस्थान में अच्छा खास प्रभाव है. इसी असर को देखते हुए गुरु गोरखनाथ के सम्मान के साथ संकल्प पत्र में जोड़ा गया कि नाथ समाज के मठों और आसनों का पुनरोद्धार और जीर्णोद्धार किया जाएगा.

दरअसल, राजस्थान में बीजेपी की मतदान से पहले ध्रुवीकरण की उम्मीद सिर्फ योगी आदित्यानाथ पर टिकी है. योगी की सभाएं राजस्थान की मुस्लिम बहुल और नाथ संप्रदाय के असर वाले इलाकों में कराई जा रही हैं. योगी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. चुनाव को राष्ट्रवाद के ऐजेंड पर ले जाने की. जिससे सत्ता विरोधी लहर हिंदू राष्ट्रवाद में बह जाए. संकल्प पत्र में नाथ संप्रदाय को तवव्जो का एक मकसद ये भी है.

संकल्प पत्र में नामी मंदिरों और मठों को लुभाने की भी कोशिश की गई है. मंहतों की लंबे समय की जा रही मांग को संकल्प पत्र में शामिल किया गया है. मंदिरों की देखभाल और पूजा के लिए मंदिर की जमीन का चालीस फीसदी भाग के व्यायसायिक उपयोग की छूट देने का वादा. यानी बीजेपी सत्ता में लौटी तो मंदिर की जमीन पर व्यायसायिक परिसर खड़े होने का रास्ता साफ हो सकता है.

राजस्थान में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की तादाद ज्यादा नहीं है. बावजूद इसके घोषणा पत्र में जिक्र किया है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर देश से बाहर भेजने की व्यवस्था की जाएगा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक महीने पहले राजस्थान में चुनाव अभियान के आगाज के दौरान इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था.

इसी तरह संकल्प पत्र में गौ तस्करी रोकने के लिए गौ रक्षा चौकियों की संख्या बढ़ाने, हर जिले में गौशाला खोलने और गौ अभ्यारण्य बनाने का जिक्र किया गया है.

घनश्याम तिवाड़ी के बीजेपी से अलग होकर पार्टी बनाने के बाद से ही चर्चा रही कि राजपूतों की तरह बाह्मण समुदाय भी बीजेपी से खुश नहीं है. इसी को देखते हुए भगवान परशुराम बोर्ड बनाने का वादा किया गया है. वैसे अलग-अलग जातियों और वर्गों को खुश करने के लिए आधा दर्जन बोर्ड बनाने का वादा घोषणा पत्र में किया गया है. इसके बारे में जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पूछा गया कि पहले गठित बोर्ड में ही नियुक्तियां पूरी तरह नहीं हुई तो नए बोर्ड का वादा क्यों? इस पर सीएम ने कहा कि जहां जरूरत नहीं वहां बोर्ड ही बंद कर दिए हैं. इसी तरह पिछड़ी जातियों को खुश करने के लिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग विकास आयोग के गठन से लेकर आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों के लिए छात्रवृतियों से लेकर कई सुविधाएं देने का वादा कर डाला है.

( साभार: न्यूज 18 के लिए भवानी सिंह की रिपोर्ट )