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10 राजाजी मार्ग पर रह कर प्रणब दा क्या कलाम की राह अपनाएंगे?

भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति कहे जाने वाले अब्दुल कलाम के बंगले में अब प्रणब दा रहेंगे

Ravishankar Singh

देश के वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 24 जुलाई को राष्ट्रपति भवन से विदा ले रहे हैं. प्रणब मुखर्जी अब बाकी का जीवन राष्ट्रपति भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित 10 राजाजी मार्ग पर बिताएंगे.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजधानी दिल्ली में अपने जीवन का आधे से भी अधिक समय बिताया है. ऐसे में कम ही उम्मीद थी कि वो अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल वापस लौटें.


प्रणब मुखर्जी को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि प्रणब दा का वापस पश्चिम बंगाल जाना आसान नहीं था.

हालांकि, पूर्व के कई राष्ट्रपतियों ने राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद वापस अपने राज्य में जाकर शेष जीवन बिताया. हमारे पहले राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद भी रिटायर होने के बाद अपने राज्य बिहार वापस लौट गए थे.

नए राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति भवन नया ठिकाना होगा. ऐसे में वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नए आवास 10 राजाजी मार्ग पर विशेष तैयारी चल रही है.

राष्ट्रपति भवन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर बने इस बंगले में पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रहा करते थे.

साल 2015 में उनके निधन के बाद यह बंगला केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा को दिया गया था.

अब 10 राजाजी मार्ग को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हिसाब से तैयार करवाया जा रहा है. बंगले में पिछले काफी दिनों से रंगाई-पुताई का काम चल रहा था. यह बंगला अब पूरी तरह से नए रूप में तैयार हो गया है.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी अक्सर यहां आकर काम के प्रगति का जायजा लेती रहती थीं. राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी 13 तालकटोरा रोड पर स्थित बंग्ले में रहा करते थे.

फर्स्टपोस्ट हिंदी ने जब देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी से बंगले के बारे में जानना चाहा तो शर्मिष्ठा का कहना था, ‘देखिए 10 राजाजी मार्ग में मेरे पिताजी रहने जा रहे हैं. यह मेरा पर्सनल विषय है. मैं ये सार्वजनिक नहीं करना चाहती कि किस तरह से अंदर का डेकोरेशन करवा रही हूं. ’

हम आपको बता दें कि 23 जुलाई को शाम साढ़े पांच बजे संसद के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों के सांसद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को विदाई देंगे. इसके बाद 25 जुलाई को सुबह सेंट्रल हॉल में देश के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे.

23 जुलाई के समारोह में सरकार के तमाम लोगों के साथ विपक्ष और प्रणब मुखर्जी के नजदीकी लोगों को बुलाया गया है.

देश के नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेने राष्ट्रपति भवन से बग्गी वाला पूरा काफिला अकबर रोड स्थित उनके अस्थायी निवास पर जाएगा और उन्हें लेकर वापस राष्ट्रपति भवन आएगा.

इसके बाद से राष्ट्रपति भवन से दोनों (प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद) साथ-साथ संसद के सेंट्रल हॉल आएंगे.

सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति वाली सीट पर बैठेंगे. शपथ ग्रहण के बाद कुर्सियों की अदला-बदली की जाएगी. नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रणब मुखर्जी वाली जगह पर बैठ जाएंगे और समापन समारोह के बाद प्रणब मुखर्जी अपने 10 राजाजी मार्ग पर चले जाएंगे.

देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद 12 साल तक राष्ट्रपति के पद पर रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि राजेंद्र प्रसाद ने भूतपूर्व राष्ट्रपति के हैसियत से मिलने वाला बंगला लेने से इंकार कर दिया था.

राजेंद्र बाबू पटना के सदाकत आश्रम में रहना शुरू किया. एक बार जब जयप्रकाश नारायण वहां उनसे मिलने गए तो उस कमरे की हालत देखकर हिल गए थे. उस कमरे में सीलन था और सीलन की वजह से राजेंद्र बाबू का दमा तेज हो गया था. उन्होंने अपने मित्रों व सहयोगियों से कहकर उस कमरे को कामचलाऊ रहने लायक बनवाया. उसी कमरे में रहते हुए राजेंद्र बाबू की 28 फरवरी 1963 को निधन हो गया.

राजेन्द्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू

डॉक्टर एस राधाकृष्णन जब राष्ट्रपति भवन से मुक्त हुए तो मद्रास (अब चेन्नई) में जाकर रहने लगे.

देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का कार्यकाल बहुत सीमित रहा. वह राष्ट्रपति पद पर ही थे कि उनका असमय निधन हो गया.

उनके बाद राष्ट्रपति बने वी वी गिरि राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद मद्रास चले गए. वहां 24 जून 1980 को उनका निधन हो गया.

पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का निधन भी कार्यकाल के दौरान ही हो गया था. उनकी पत्नी बेगम आबिदा अहमद को भारत सरकार ने अकबर रोड पर बंगला दिया. वह उस बंगले में 2004 तक रहीं.

राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद ज्ञानी जैल सिंह दिल्ली में ही रहे. ज्ञानी जैल सिंह जब राष्ट्रपति के पद से मुक्त हुए थे तो उस दौर में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था. शायद इसी को ध्यान में रख कर उन्होंने दिल्ली में ही रहना पसंद किया. उन्हें नई दिल्ली के सर्कुलर रोड पर सरकारी बंगला दिया गया.

शंकर दयाल शर्मा भी राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद दिल्ली में ही रहना पसंद किया. 1999 में उनकी मृत्यु के बाद उनका सरकारी आवास उनकी पत्नी विमला शर्मा के नाम पर आवंटित कर दिया गया.

के आर नारायणन ने भी अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद नई दिल्ली में ही रहना पसंद किया. के आर नारायणन निधन से पहले तक पत्नी ऊषा नरायणन के साथ दिल्ली के 34 पृथ्वीराज रोड पर रहे.

एपीजे अब्दुल कलाम रिटायर होने के बाद 10 राजाजी मार्ग पर रहे थे. राष्ट्रपति के तौर पर और पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा काफी सक्रिय रहे.

उनकी लोकप्रियता रिटायर होने के बाद भी बनी रही. कार्यकाल पूरा होने के बाद भी वह लेखन करते रहे. देश भर में होने वाली गोष्ठियों और सेमिनारों में भाग लेते रहे. यह काम उन्होंने अंत तक किया.

27 जुलाई 2015 को जब वह शिलांग के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में ‘जीने लायक धरती का निर्माण’ विषय पर व्याख्यान देने के लिए जा रहे थे, तो विमान पर चढ़ते समय उनकी तबीयत खराब हुई. बाद में भाषण के दौरान ही उनकी तबीयत फिर से खराब हुई और उनका निधन हो गया.

उनके बाद राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने वाली प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के कार्यकाल की तरह ही उनका रिटायरमेंट भी विवादों से भरा रहा. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद जब पुणे के अपने निवास में वापसी की तैयारी की तो कहा गया कि इस विशाल निवास की साज-सज्जा में काफी सरकारी धन खर्च किया गया.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो जाएगा.10 राजाजी मार्ग का सरकारी आवास 11 हजार 776 स्क्वायर फीट में बना हुआ है. इस बंगले में 8 बेडरूम है. इस बंगले के पहले तल पर लाइब्रेरी है.

प्रणब मुखर्जी के बारे में कहा जाता है कि वह पढ़ने के काफी शौकीन हैं. प्रणब दा के उसी शौक पर एक बार देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उनसे कहा था कि आप पढ़ते बहुत ज्यादा हैं लिखते कम हैं. अब आप लिखिए ज्यादा और पढ़िए कम. शायद यही बात प्रणब दा को कलाम के आवास तक खींच तक ले आई.