रेलवे में अकाउंट्स सर्विस ऑफिसर रहे अखिलेश्वर सहाय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. हाल ही में हुई रेलवे दुर्घनाओं से आहत सहाय ने पीएम मोदी को रेलवे के हालातों को बताने के साथ ही रेलवे में सुधार की गुंजाइशों के बारे में लिखा है.
मोदी को लिखे खत में सहाय ने रेलवे की प्रमुख नौ समस्याओं के बारे में लिखा है. सहाय ने लिखा है कि आजादी के बाद से रेलवे मंत्रियों की जागीर समझी जाती रही है. अभी तक के कार्यकाल में एक भी ऐसा रेलमंत्री नहीं आया जिसने रेलवे के वर्तमान और भविष्य की चिंता की हो.
सहाय ने लिखा है कि रेलवे में तकनीक की बेहद कमी है. पुरानी टैक्नोलॉजी के सहारे पटरियों पर रेल दौड़ रही हैं इसलिए दुर्घटनाएं होती हैं. जो नीतियां बनती हैं, उनका अनुपालन नहीं होता. रेलवे की बेसिक जरूरतों के लिए कोई निवेश नहीं हो रहा है.
इसके साथ ही सहाय ने पत्र में आठ समाधान भी दिए हैं. उन्होंने कहा है कि रेलवे में काफी हद तक बदलाव की जरूरत है. कमियों को सुधारने की जरूरत है. वरना आज जो तूफान है कल को वह सुनामी में बदल सकता है.
यहां देखिए पत्र का कुछ अंश...
प्रिय, श्रीमान् प्रधानमंत्री जी
सर, मैं जीवनभर एक रेलवे कर्मचारी और नागरिक होने के नाते आपके जीरो टॉलरेंस फॉर एक्सीडेंट्स की पुकार का समर्थन करता हूं. लेकिन मुझे यहां उस कड़वे सच को बताने दीजिए कि बहुत सारी रेल दुर्घटनाओं के लिए ‘चलता है’ एटीट्यूड जिम्मेदारी है. जिसे इस साल स्वतंत्रता दिवस पर समूल खत्म करने की शपथ ली गई है.
हाल ही में हुए उत्कल एक्सप्रेस एक्सीडेंट को लेकर संदेह की सूई पहली नजर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की ओर घूमती है. वहीं कैफियत एक्सप्रेस ट्रेजडी तो रेलवे के कंट्रोल से ही बाहर थी. लेकिन हमें इन दुर्घटनाओं के मूलभूत कारणों को देखने और समझने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री जी से अपील है कि वे इसे निजी चुनौती के रूप में लें और रेलवे में सुधार के लिए आगे आएं.