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'कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद विपक्षी एकता में नई जान फूंकेंगे राहुल'

राज्यसभा सदस्य शिवा ने कहा कि राहुल गांधी की अगुवाई में यदि गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता है तो निश्चित तौर पर इससे विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी

Bhasha

अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी लगभग तय होने के बीच अनेक विपक्षी दलों का मानना है कि वह बीजेपी को केंद्र की राजनीति में कड़ी टक्कर देने और क्षेत्रीय दलों की आपसी विसंगतियों को साधकर उन्हें साथ लेकर चलने में अपनी मां और मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरह ही कारगर साबित होंगे.

इन दलों का मानना है कि गुजरात चुनाव में यदि कांग्रेस के पक्ष में 'अच्छे परिणाम' आए तो वह विपक्ष की एकता में नए प्राण फूंकेंगे.


कुछ विपक्षी नेताओं का यह मानना है कि विपक्षी दलों के ऊपर इस बात का दबाव है कि यदि वे मिलजुल कर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उनके अस्तित्व पर खतरा आ सकता है. इसलिए राहुल को विपक्ष की एकता कायम करने में अधिक दिक्कत नहीं आनी चाहिए.

राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार रह गए हैं. 11 दिसंबर को पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है. पार्टी संविधान के अनुसार, इसके बाद ही नए अध्यक्ष के निर्वाचित होने की घोषणा की जाएगी.

राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की औपचारिक घोषणा से पहले ही आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घोषणा कर दी है कि उन्हें राहुल के साथ काम करने में कोई कठिनाई नहीं है.

विपक्षी एकता कायम रखने में राहुल कितने कारगर होंगे. इस सवाल पर द्रमुक नेता तिरूचि शिवा ने कहा, 'राहुल गांधी एक होनहार युवा नेता हैं. वह कांग्रेस के लिए मूल्यवान साबित होंगे. सोनिया गांधी की ही तरह राहुल गांधी के भी उनकी पार्टी और उसके नेतृत्व के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं.'

एसपी नेता नरेश अग्रवाल का मानना है कि किसी के बारे में पहले से ही आंकलन करना गलत है. उन्होंने कहा 'जब आदमी किसी पद पर बैठता है तो कुर्सी आदमी को खुद ही लायक बना देती है. इस काम में मुझे नहीं लगता कि कोई दिक्कत आनी चाहिए. जब सभी (विपक्षी दलों) का लक्ष्य है कि बीजेपी को हराओ तो इसमें दिक्कत क्या आएगी? '

राज्यसभा सदस्य शिवा ने कहा कि राहुल गांधी की अगुवाई में यदि गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता है तो निश्चित तौर पर इससे विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी.