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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अक्टूबर में अध्यक्ष पद संभालेंगे

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि राहुल के अध्यक्ष बन जाने के बाद संगठन में निर्णय तेज़ी से होंगे

FP Staff

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 31 अक्टूबर तक अध्यक्ष पद संभाल लेंगे. कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति अगले महीने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तारीखें घोषित करेगी. फिलहाल पार्टी में राहुल गांधी के मुकाबले कोई उम्मीदवार नहीं है लेकिन चूंकि राहुल चुनाव लड़ कर ही अध्यक्ष बनना चाहते थे इसलिए चुनाव होगा. यही वजह है कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी के अध्यक्ष बनने के प्रस्ताव को राहुल पहले ही ठुकरा चुके हैं.

सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ही कांग्रेस पार्टी की कमान थामेंगे, ये तो तय है लेकिन कब? ये सवाल कई सालों से फ़िज़ा में तैर रहा है. लेकिन अब राहुल की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी नहीं टल सकती क्योंकि चुनाव आयोग की फटकार के बाद कांग्रेस संगठन में चुनावी प्रक्रिया ने रफ़्तार पकड़ ली है.


जानकारी के मुताबिक केंद्रीय चुनाव समिति ने ब्लॉक और जिला अध्यक्षों का चुनाव 3 अक्टूबर तक कराकर ये सूची पार्टी के मुख्यालय भेजने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद सभी प्रदेशों के हर ब्लॉक से कांग्रेस कमेटी के मेंबर चुने जायेंगे और यही मेंबर नया अध्यक्ष चुनेंगे.

अगले महीने के मध्य यानी 15 अक्टूबर के आस-पास अध्यक्ष पद के लिए कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा. अगर राहुल के मुकाबले किसी ने पर्चा दाखिल नहीं किया तो नामांकन की अंतिम तिथि के बाद उन्हें अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा.

नया अध्यक्ष चुनने के बाद कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन बुलाया जाएगा जिसे नया अध्यक्ष संबोधित करेगा. उसी वक़्त ज़रूरत पड़ने पर कांग्रेस कार्यकारिणी के 12 सदस्यों का चुनाव भी होगा. पार्टी संविधान के मुताबिक 25 सदस्यों वाली सीडब्ल्यूसी के आधे सदस्यों का चुनाव होना चाहिए या फिर पार्टी अध्यक्ष को ही इन सदस्यों को भी नामित करने का अधिकार दे सकती है. 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस राहुल गांधी को अध्यक्ष के रूप में पर्याप्त समय देना चाहती है. लिहाज़ा चुनाव की जल्दी पार्टी को भी है. बीजेपी इसे एक परिवार का आतंरिक मामला बताते हुए चुटकी ले रही है.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि राहुल के अध्यक्ष बन जाने के बाद संगठन में निर्णय तेज़ी से होंगे और नए जोश के साथ कार्यकर्ता चुनावी तैयारी में लग जाएंगे. पार्टी में सत्ता के दो केंद्र काफी दिनों से काम कर रहे थे. लेकिन राहुल के अध्यक्ष बन जाने के बाद अब सारी ताकत उनके पास होगी. राहुल के सामने न सिर्फ पार्टी के पुराने नेताओं से सामंजस्य बैठाने की चुनौती है बल्कि खुद को नेता साबित करने की भी. जाहिर है 2019 में मोदी से मुकाबला राहुल के लिए आने वाले वक़्त की सबसे बड़ी चुनौती है.

[न्यूज़ 18 इंडिया के लिए अरुण सिंह की रिपोर्ट]