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राहुल भ्रष्‍टाचार की जानकारी जांच एजेंसियों को क्‍यों नहीं दे रहे ?

राहुल गांधी ने अपने-आप को खुद के बनाए कटघरे में खड़ा कर लिया है.

सुरेश बाफना

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी होने का दावा करके भारतीय राजनीति में कुछ घंटों के लिए तूफान जैसी स्थिति पैदा कर दी है.

उनका कहना है कि मेरे पास प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार से जुड़ी निजी जानकारी है, जिसकी वजह से मोदी सरकार लोकसभा में उन्हें बोलने से रोक रही है.


आश्चर्य की बात यह है कि राहुल गांधी भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने के लिए संसद का कवर लेने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

जांच एजेंसियों से जानकारी साझा करना राहुल का फर्ज

भारतीय दंड संहिता के अनुसार किसी व्यक्ति ने भ्रष्टाचार किया है तो यह अपराध है. यदि किसी व्यक्ति के पास इस अपराध की जानकारी है तो उसकी नागरिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पुलिस या जांच एजेंसियों को तुरंत जानकारी उपलब्ध कराए.

राहुल गांधी न केवल लोकसभा के सांसद हैं बल्कि वे 131 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष भी है. इसलिए उनसे यह उम्मीद करना स्वाभाविक है कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध की जानकारी उनके पास है तो वे पुलिस या जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराएंगे.

राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान. (फोटो. पीटीआई).

भारतीय संविधान ने संसद के सदस्यों को यह विशेषाधिकार दिया है कि सदन के भीतर कही गई किसी बात पर उसके खिलाफ न्यायालय में कोई मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है.

यदि राहुल गांधी इस विशेषाधिकार का कवर लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी का खुलासा करना चाहते हैं तो यह माना जाएगा कि वो संभावित कानूनी दिक्कतों से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी निजी जानकारी होने का दावा करके राजनीति व मीडिया में सनसनी फैला दी है.

लेकिन इससे उनका राजनीतिक कद और भी छोटा हो गया है. कोई भी परिपक्व राजनेता किसी को धमकी देकर अपनी राजनीति आगे नहीं बढ़ाता है.

संसद में बस हंगामे और तमाशे ही हो रहे हैं

नोटबंदी को लेकर संसद के भीतर जारी गतिरोध व विवाद इस स्तर पर पहुंच गया है कि सरकार व विपक्ष के बीच राजनीतिक युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है.

दुर्भाग्य की बात है कि नेता संसद के बाहर भाषणबाजी कर रहे हैं. लेकिन संसद के भीतर शोरगुल व आपसी अविश्वास के अलावा कुछ नहीं बचा है.

पहले 17 दिनों तक कांग्रेस ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी और अब सरकारी पक्ष भी इसमें शामिल हो गया.

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राहुल गांधी की निजी आक्रामकता इस स्तर पर पहुंच गई है कि अब दोनों के बीच सामान्य मुलाकात भी संभव नहीं है.

आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति ने संसद की गरिमा व प्रतिष्ठा को बुरी तरह तहस-नहस कर दिया है. स्थिति यह हो गई है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की सलाह को भी नजरअंदाज किया जा रहा है.

राहुल गांधी से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि यदि शेष बचे दो दिन भी लोकसभा नहीं चलती है तो क्या वे मोदी के कथित भ्रष्टचार का खुलासा करने के लिए संसद के अगले सत्र का इंतजार करेंगे?

राहुल ने अपने-आप को खुद के बनाए कटघरे में खड़ा कर लिया है.