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अब तो राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बन ही जाना चाहिए

पिछले कई मौकों पर हर बार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात उठती रही है

Vivek Anand

एक बार फिर से चर्चा चल पड़ी है. राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. ऐसी चर्चा के बहाने ही राजनीति में राहुल गांधी का बाजारभाव बनाए रखने की कवायद चलती रहती है. हालांकि ऐसे हर मौके के बाद उनके प्रमोशन की तारीख आगे ही बढ़ती रही है.

उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग के बावजूद कांग्रेस हाईकमान इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष बना दे. पिछले कई मौकों पर हर बार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात उठती है और हर बार राजनीतिक नब्ज को भांपते हुए इस बड़े फैसले को अगली बैठक तक के लिए मुल्तवी कर दिया जाता है.


राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का मसला ऐसा नाजुक जान पड़ता है कि पार्टी के नेता खुलकर कुछ बोलने से हिचकते हैं. मानों अगर बात लीक हो गई तो जैसे पता नहीं राहुल गांधी को नजर न लग जाए और कोई पेंच न पैदा हो जाए.

मंगलवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक की सही-सही रिपोर्ट तक नहीं मिल पा रही कि आखिर इस बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ है या नहीं.

राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना लगभग तय है

मंगलवार को हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ खुद राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, ए के एंटनी, पी चिदंबरम और गुलाम नबी आजाद जैसे कांग्रेस के भारीभरकम नेता मौजूद थे. लेकिन इस नाजुक दौर में जब कांग्रेस के सामने मौजूदा राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की चुनौती सबसे बड़ी है. राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने के संवेदनशील मसले पर कोई खुलकर बोलने को तैयार तक नहीं है.

कांग्रेस सीडब्ल्यूसी बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने पर भी हुई थी चर्चा

सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर दो तरह की रिपोर्ट सामने आ रही है. एक रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि मंगलवार की सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की बाकायदा चर्चा हुई है.

ईटीवी को दिए अपने इंटरव्यू में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने कहा कि इस साल के आखिर में सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के बतौर ताजपोशी हो जाएगी. पीएल पुनिया ने कहा, ‘हमलोग आंतरिक चुनाव करने वाले हैं. एक बार राज्यों के आतंरिक चुनाव हो जाएं उसके बाद राहुल गांधी पार्टी प्रेसिडेंट के तौर पर स्थापित किए जाएंगे. ये इस साल के आखिर तक हो जाएगा.’

एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में पार्टी के आंतरिक चुनावों पर तो चर्चा हुई है लेकिन राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने को लेकर कोई बात नहीं हुई. बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की कोई चर्चा नहीं हुई है. हालांकि ये तय है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव इस साल के अक्टूबर में होने हैं.

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सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद पार्टी के सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने संगठन चुनाव के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है लेकिन उन्होंने साथ में ये भी जोड़ा कि राहुल के प्रमोशन को लेकर कोई विशेष तौर पर चर्चा नहीं हुई.

हालांकि ये सब जानते हैं कि सारी कमियों और कमजोरियों के बावजूद राहुल गांधी अध्यक्ष पद की कुर्सी के सबसे स्वाभाविक दावेदार हैं और ऐसी स्थिति इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार की मौजूदगी में इस सरनेम से अलग किसी का नाम आगे करने की हैसियत किसी में है ही नहीं, भले ही दावेदार के तौर पर राहुल गांधी कितने भी कमजोर हों.

इसलिए अक्टूबर में अगर संगठनात्मक चुनाव हो रहे हैं तो फिर राहुल गांधी का पार्टी अध्यक्ष बनना तय है. कांग्रेस के लिए ये उसके सबसे कठिन दौर में सबसे कठिन फैसला होगा. हालांकि इसके अलावा पार्टी के पास कोई चारा भी नहीं बचा है.

पिछले काफी वक्त से सीडब्ल्यूसी की हर बैठक के बाद राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की सुगबुगाहट तेज हो जाती है. लेकिन मामला सिर्फ पार्टी का नहीं परिवार का भी है. पार्टी के भीतर से जितनी आवाजें उठे आखिर में फैसला मां-बेटे को ही करना है कि इस जिम्मेदारी को संभालने का ठीक वक्त कब होगा.

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सवाल ये भी उठता है कि क्या राहुल गांधी इस पद को संभालने के इच्छुक हैं भी या नहीं. सक्रिय राजनीति से अचानक छुट्टियों पर निकल जाना, जिसकी भनक तक बड़े-बड़ों को नहीं मिलती और जिसकी वजह से उन्हें विपक्ष के तीखे बयानों का सामना करना पड़ता है, उनकी राजनीति को हल्का कर देती है. नतीजा ये होता है कि राहुल गांधी की परिपक्वता पर उठ रहे सवालिया निशान से घबराकर कांग्रेस हाईकमान इस मामले पर दो कदम आगे बढ़कर एक कदम पीछे हट जाती है.

राहुल गांधी ने कांग्रेस सीडब्ल्यूसी बैठक की अध्यक्षता भी की थी

40 की उम्र में कांग्रेस अध्यक्ष और 58 साल के होते ही प्रधानमंत्री बन गए थे जवाहर लाल नेहरू

पिछले साल नवंबर में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी सदस्यों ने एकमत से यह मजबूत भावना व्यक्त की थी कि राहुल को पार्टी की कमान सौंपी जाए. पिछली बार सोनिया गांधी अपनी खराब तबियत की वजह से सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल नहीं हो पाई थी. राहुल गांधी ने बैठक की अध्यक्षता भी की थी. लेकिन उसके बाद यूपी, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड जैसे अहम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस बड़े फैसले को लेने से हिचकती रही.

गांधी परिवार के मजबूत राजनीतिक विरासत के एकलौते वारिस हैं राहुल गांधी. लेकिन उपलब्धियों का ऐसा टोटा है कि कोई टोटका भी काम नहीं करता. राहुल गांधी 47 साल के हो चुके हैं. उनकी दादी के पिता जवाहर लाल नेहरू 40 साल की उम्र में कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके थे और 58 साल की उम्र में देश के पहले प्रधानमंत्री भी बने.

दादी इंदिरा गांधी 42 साल की उम्र में कांग्रेस अध्यक्ष बन चुकी थी और 49 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनी.

पिता राजीव गांधी सिर्फ 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन चुके थे और 41वें साल में कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके थे. वहीं राहुल गांधी अपने 47वें वसंत में राजनीति से ज्यादा अपने अटपटे बयानों के लिए सुर्खियां बटोरते हैं. एक बार फिर से चर्चा चल पड़ी है कि राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है. लेकिन फर्क किसे पड़ता है...क्या कांग्रेस पार्टी को? यकीनन नहीं...