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मौजूदा संसद सत्र को गंभीरता से ले रहे राहुल

राहुल गांधी संसद के वर्तमान सत्र को काफी गंभीरता से ले रहे हैं

सुरेश बाफना

कांग्रेस उपाध्यक्ष व लोकसभा सांसद राहुल गांधी संसद के वर्तमान सत्र को काफी गंभीरता से ले रहे हैं. पिछले दस दिनों से विमुद्रीकरण के सवाल पर संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई ठप हो गई है.

राहुल प्रतिदिन ग्यारह बजे सदन में पहुंचकर मोदी सरकार के खिलाफ जारी विरोध में सक्रिय हिस्सेदारी कर रहे हैं. वे हो-हल्ले के बीच पास बैठे गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अक्सर बातचीत में व्यस्त रहते हैं या सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को कुछ निर्देश देते हुए दिखाई देते हैं.


पिछले दस दिनों से राहुल की दिनचर्या में टीवी बाइट देना भी जुड़ गया है. सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद लौटते समय वे टीवी पत्रकारों को बाइट देना नहीं भूलते हैं. कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रबंधक कुछ समय पहले टीवी पत्रकारों को सूचित कर देते हैं कि किस वक्त और किस गेट पर राहुल टीवी बाइट देंगे.

वेंकैया की सक्रियता

इन दिनों विमुद्रीकरण के सवाल पर संसद के दोनों सदनों में शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू की बढ़ती सक्रियता के चलते यह भ्रम की स्थिति बन गई है कि क्या वे अभी भी संसदीय मामलों के मंत्री हैं? कर्नाटक के अनंत कुमार को संसदीय मामलों का मंत्री बने कई महीने हो गए हैं, लेकिन उनका कामकाज वैंकेया नायडू की अति-सक्रियता की वजह से छुप गया है.

राज्यसभा में जब भी सरकार व विपक्ष के बीच विवाद की स्थिति बनती है तो संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के स्थान पर वैंकेया नायडू हस्तक्षेप कर अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं. नकवी इस बात से परेशान हैं कि नायडू अभी भी संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में हस्तक्षेप करते हैं.

बनी रहेगी समस्या

मोदी सरकार यह मानती है कि दिसम्बर माह के पहले दस दिन काफी संकट भरे होने की आशंका है. अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में नगदी की समस्या अभी भी बनी हुई है, जिसकी वजह से एटीएम मशीनों व बैंकों के काउंटर पर लाइन फिर लंबी हो सकती है.

रिजर्व बैंक में पुराने 500 व 1000 रुपए की जितनी राशि जमा हुई है कि उसका 20 प्रतिशत भी नए नोट के रूप में बाजार में सर्कुलेट नहीं हुआ है. जितने नए नोट बाजार में आए हैं, उनका एक बड़ा हिस्सा लोगों ने अपने पास बचाकर रखा है, जिसकी वजह से नगदी की समस्या से अपेक्षित राहत नहीं मिल पा रही है.

मोदी सरकार की तरफ से अब कहा जा रहा है कि जनवरी के अंत तक ही नगदी की समस्या का बहुत हद तक समाधान हो सकेगा.

संसद परिसर कैशलेस हुआ

नगदी के संकट की वजह से संसद की कैंटीन में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली टिप में 80 प्रतिशत तक की कमी हो गई है. कर्मचारियों का कहना है कि नगदी न होने की वजह से कई लोग भुगतान भी नहीं कर पा रहे हैं. आज संसद की कैंटीन में एसअोपी मशीन लगाकर कैशलैस करने की कोशिश हुई है, लेकिन चाय कॅाफी का भुगतान क्रेडिट या डेबिट कार्ड से करना मुश्किल है.