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दिवाली के पहले राहुल के बयानों के 'बम' की चपेट में बीजेपी

राहुल को लोग भले ही राजनीति का कच्चा खिलाड़ी कह लें लेकिन गुजरात दौरे पर राहुल दिखा रहे हैं कि एक कच्चा खिलाड़ी धीरे-धीरे ही चैंपियन बनता है

Tulika Kushwaha

गुजरात यात्रा पर निकले राहुल गांधी वहां से एक के बाद एक बयानों के बम फोड़ रहे हैं. भाषणों के अलावा ट्विटर पर भी राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. मोदी सरकार पर उनकी तरफ से किया गया हर तंज लोगों का ध्यान उनकी तरफ खींच रहा है.

राहुल गांधी ने इस बार पीएम मोदी पर सबसे जोरदार तंज कसा है. गुजरात में 22 साल से सत्ता में रही बीजेपी सरकार की नाकामी का उन्होंने ट्वीट कर माखौल उड़ाया है. उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी की पार्टी 22 सालों से गुजरात में सत्ता में है और वो अब भी कहते हैं कि 2022 तक गुजरात से गरीबी मिटा देंगे.


राहुल ने इसके बाद भी पीएम मोदी पर करारा तंज कसते हुए कहा है कि मैं बताता हूं कि मोदीजी की अगली लाइन क्या होगी- मोदीजी 2025 तक गुजरात के लोगों को चांद पर पहुंचा सकते हैं, 2028 तक गुजरात के हर व्यक्ति को चांद पर एक घर दे देंगे और 2030 में चांद को ही धरती पर ले आएंगे.

पीएम मोदी के भाषणों के हिस्सों का ऑपरेशन कर रहे राहुल अब अपने कॉमिक सेंस पर भी काम कर रहे हैं. लगता है अब अपने भाषणों में लॉजिक के साथ-साथ वो सेंस ऑफ ह्यूमर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

राहुल जब से गुजरात गए हैं, तब से वो शब्दों के साथ-साथ बीजेपी के वादों और कामकाज के साथ भी खेल रहे हैं. उन्होंने वडोदरा में अपने भाषण से दिखा दिया है कि वो पूरी तैयारी से पीएम के गृहराज्य में पहुंचे हुए हैं और गुजरात चुनावों की आहट के साथ उन्हें तैयार रहना भी होगा.

क्या पीएम बोलेंगे?

विधानसभा चुनाव जितना नजदीक आ रहा है, ऐसा कहने वालों की कमी नहीं है कि इस बार बीजेपी की हालत गुजरात में उतनी मजबूत नहीं है. वहीं राहुल के वार भी बीजेपी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. ऐसे में, आमतौर पर राहुल गांधी को नजरअंदाज करने वाले मोदी इस बार बहुत वक्त तक चुप रहेंगे, ऐसा शायद ही हो.

नोटबंदी के वक्त और यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल इतने आक्रामक मुद्रा में आ गए थे कि लगने लगा था कि फिसड्डी चल रही कांग्रेस में राहुल ही जान फूंक सकते हैं, लेकिन इन सबके बाद छुट्टियां मनाने इटली के लिए निकलकर राहुल ने फिर से पार्टी की हवा निकाल दी.

नए फॉर्म में राहुल

लेकिन कहना होगा कि राहुल जब से अपनी अमेरिका यात्रा से लौटे हैं, तब से उनमें नई ऊर्जा सी आ गई है, जैसे वो किसी विपश्यना से लौटे हों. उनकी चर्चित बर्कले यूनिवर्सिटी की स्पीच का कड़कपन अब यहां रैलियों और भाषणों में भी दिख रहा है. अब वो बोलते नहीं जवाब देते हैं, सवाल करते हैं, वर्ना नहीं बोलते.

राहुल को लोग भले ही राजनीति का कच्चा खिलाड़ी कह लें लेकिन गुजरात दौरे पर राहुल दिखा रहे हैं कि एक कच्चा खिलाड़ी धीरे-धीरे ही चैंपियन बनता है. धीरे ही सही लेकिन कांग्रेस के उपाध्यक्ष और संभवत: अगले अध्यक्ष अपने पैर जमा रहे हैं. बस कांग्रेस को यही उम्मीद करनी चाहिए कि उनकी लिस्ट में गुजरात चुनाव के बाद कहीं एक और छुट्टी प्लान न हो रही हो.