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चुनाव नतीजों के बाद राहुल गांधी ने फिर कहा ‘दिल तो बच्चा है जी’

विचारधारा की बात कर के राहुल ने ऑनलाइन चुटकुला उद्योग की विकास गति को कई गुना बढ़ा दिया है

Suresh Bafna

गोवा और मणिपुर में बीजेपी द्वारा सरकार बनाने की कोशिशों से दुखी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘हमारी लड़ाई बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ है. गोवा और मणिपुर में बीजेपी ने जो कुछ किया है, हम इसी विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे हैं.‘

देश का अनपढ़ आदमी भी इस बात से अच्छी तरह परिचित है कि विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद गोवा और मणिपुर में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जो कुछ हो रहा है या होने जा रहा है, वह सत्ता पर काबिज होने का संघर्ष है.


इस सत्ता-संघर्ष को विचारधारा का संघर्ष बताकर शायद राहुल गांधी देश की जनता को यह अहसास कराना चाहते हैं कि वे कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ-साथ विचारक भी है और वह बीजेपी की विचारधारा को अच्छी तरह समझते हैं. राहुल ने विचारधारा की बात करके इंटरनेट पर चलने वाले चुटकुला उद्योग की विकास गति को कई गुना बढ़ा दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चलते यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अभूतपूर्व सफलता मिली (फोटो: पीटीआई)

गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, लेकिन उसे बहुमत नहीं मिला. राजनीति शास्त्र का अध्ययन करने वाला 12वीं का छात्र भी यह जानता है कि त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में राज्यपाल उसी दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है, जो सदन में बहुमत होने का दावा करता है.

निर्दलियों का समर्थन 

गोवा और मणिपुर में नतीजे जाहिर होने के बाद कांग्रेस पार्टी के पास भी विकल्प था कि वह अन्य दलों और निर्दलीय सदस्यों का समर्थन जुटाकर राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करे. देश के संविधान में यह बात कहीं नहीं लिखी है कि सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का मौका दिया जाना चाहिए.

संविधान में राज्यपाल को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने विवेक के आधार पर यह तय करें कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कौन-सा दल सदन में बहुमत सिद्ध करने की क्षमता रखता है? गोवा में बीजेपी ने राज्यपाल को अपने समर्थक दलों और विधायकों की सूची पेश कर सरकार बनाने का दावा किया तो उसे सरकार बनाने का न्यौता दिया गया.

राहुल गांधी शायद अपनी पार्टी के भीतर की वास्तविकता से परिचित नहीं है कि गोवा में उनकी पार्टी के भीतर मुख्‍यमंत्री पद को लेकर पांच-छह दावेदारों के बीच राजनीतिक युद्ध शुरु हो गया था. कांग्रेस पार्टी के प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह और दूसरे स्थानीय नेता अन्य दलों से समर्थन जुटाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाए.

उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार में बहन प्रियंका ने भाई राहुल गांधी का पूरा साथ दिया था (फोटो: पीटीआई)

13 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा

इतिहास इस बात का गवाह है कि 1996 में राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से वाजपेयी सरकार को 13 दिन के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था.

देश के अगले राष्ट्रपति के आर नारायणन के सामने फिर ऐसी स्थिति बनी, जब उन्होंने शपथ दिलाने के पहले सरकार बनाने का दावा करने वाले दल से अपने समर्थकों की सूची मांगी थी. राष्ट्रपति के आर नारायणन ने राहुल गांधी की मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी अपने समर्थक सांसदों की सूची मांगी थी, जब उन्होंने दावा किया था कि उनको 272 लोकसभा सांसदों का समर्थन प्राप्त है.

बाद में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी का सरकार बनाने का सपना चकनाचूर कर दिया था. राहुल गांधी यदि अपने परिवार के ताजा इतिहास को ही यदि जान लेते तो विचारधारा के संघर्ष की बात नहीं करते.

मानसिकता से निकल नहीं पा रहे

राहुल गांधी ने कहा है कि, 'उत्तर प्रदेश में हम थोड़ा-सा डाउन हो गए हैं, इट्स फाइन, हम स्वीकार करते हैं.' राहुल गांधी की इस भाषा और अभिव्यक्ति से स्पष्ट होता है कि वे ‘यूपी के लड़के’ की मानसिकता से अभी भी निकल नहीं पा रहे हैं.

यूपी में राहुल गांधी और अखिलेश यादव गठबंधन कर चुनाव मैदान में गए थे (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी की जिस बुरी तरह पराजय हुई है, वह कांग्रेस पार्टी के लिए अस्तित्व का सवाल है. 131 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का दुर्भाग्य है कि इसके वर्तमान उपाध्यक्ष राहुल गांधी टीनेजर की भाषा बोल रहे हैं.