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दादरी अनाज मंडी से राहुल वोट की झोली भरकर लौटेंगे !

राहुल को लगता है कि नोटबंदी गरीबों और किसानों को उनके साथ खड़ा कर देगी.

Amitesh

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. मुद्दा है नोटबंदी का. लेकिन इस बार राहुल दिल्ली नहीं, दिल्ली से सटे पश्चिमी यूपी के इलाके में गए हैं.

मंगलवार सुबह राहुल गांधी सीधे दादरी अनाज मंडी पहुंच गए. वहां लोगों से हाल-चाल पूछा. नोटबंदी के बाद लोगों के दर्द को सुना और सीधे हमला प्रधानमंत्री मोदी पर बोला.


राहुल ने कहा, मोदी ने बैंकों को बचाने के लिए देश के लोगों को लाइन में लगा दिया. गरीबों का पैसा बैंकों को दे दिया. राहुल ने नोटबंदी को गरीबों के खिलाफ जंग तक कह डाला.

राहुल की नजर यूपी विधानसभा चुनाव पर

पश्चिमी यूपी में किसानों का प्रभाव ज्यादा है. दिल्ली से सटा नोएडा शहरी और औद्योगिक क्षेत्र के लिए जाना जाता है. लेकिन, नोएडा से आगे किसानों का प्रभाव ज्यादा है. राहुल की नजर इसी इलाके पर है.

यूपी में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं. राहुल की नजर यूपी विधानसभा चुनाव पर है.

और हो भी क्यों ना. चर्चा हो रही है उनके कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने की. लेकिन, नंबर दो की हैसियत से अब तक उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. हर मोर्चे पर अब तक पटखनी खानी पड़ी है.

अब नोटबंदी एक उम्मीद लेकर आया है. मोदी इसी नोटबंदी से गरीबों के हक की बात कर रहे हैं. लेकिन, राहुल को लगता है नोटबंदी गरीबों का हक मार रही है. उन्हें लगता है कि यही नोटबंदी एक बार फिर से गरीबों और किसानों को उनके साथ ला कर खड़ा कर देगी.

इस उम्मीद में सुबह की सर्दी के बावजूद राहुल दादरी अनाज मंडी पहुंच गए. शायद नोटबंदी का साइड इफेक्ट उनकी सियासी जमीन को फिर से वापस लौटा दे और यूपी का सालों पुराना सूखा कहीं खत्म हो जाए.

लेकिन, उनकी यह कोशिश नई नहीं है. जरा याद कीजिए, जुलाई 2011 की राहुल की किसान संदेश यात्रा को. उस वक्त पश्चिमी यूपी के दादरी से ही सटे इलाके भट्टा परसौल से राहुल ने यात्रा शुरू की थी.

उस वक्त मुद्दा था किसानों के भूमि अधिग्रहण का. राहुल ने इसे हाथों-हाथ लपक लिया और तत्कालीन मायावती सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया.

उस वक्त केंद्र में यूपीए सरकार थी. लेकिन, भूमि अधिग्रहण के मुद्दे को प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाकर राहुल ने किसानों के हक की लड़ाई बुलंद कर दी थी. उस वक्त भी चर्चा खूब हुई. राहुल ने सुर्खियां भी खूब बटोरी.

2012 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने भट्टा परसौल से अपनी यात्रा शुरू करते हुए अलीगढ़ तक खाक छान दिया.

उस वक्त भी राहुल की कोशिश थी कि पश्चिमी यूपी में मायावती के किले में सेंधमारी कर अपनी जमीन मजबूत की जाए. लेकिन उस वक्त भी उल्टा हुआ. कांग्रेस सिमट कर एक बार फिर से चौथे नंबर की ही पार्टी बनी.

लेकिन, पांच सालों में मुद्दा बदल गया है. सरकारें बदल गई हैं. लेकिन नहीं बदला है तो राहुल गांधी का वो अंदाज और नहीं बदली है तो यूपी को लेकर उनकी समझ. क्या यूपी में कांग्रेस के हालात में बदलाव हो पाएगा, इसे जानने के लिए इंतजार करना होगा.