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बहस कोई भी हो महफिल लूट लेने की कला सीख गए हैं राहुल गांधी?

शुक्रवार को लोकसभा में पेश अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 मिनट बोलकर अपनी आरजू पूरी कर ली.

Ravishankar Singh

शुक्रवार को लोकसभा में पेश अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 मिनट बोलकर अपनी आरजू पूरी कर ली. बता दें कि पिछले कई दिनों से राहुल की यह आरजू मीडिया की सुर्खियां बन रही थी. राहुल गांधी की आरजू थी कि वह सदन में लगातार 15 मिनट तक बोलें. राहुल का यह सपना लोकसभा में शुक्रवार को पूरा हो गया.

अब सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी का भाषण विपक्ष के लिए कितना असरदायक और उत्साहवर्धक साबित हुआ. राहुल गांधी बोले तो पूरे दिलोदिमाग से और पब्लिक के मूड को भांप कर. लेकिन, उनके भाषण में तारतम्यता का अभाव नजर आया. इसके बावजूद राहुल गांधी का यह भाषण जोशीला था. लोकसभा में भाषण के दौरान राहुल गांधी पहले की तुलना में कुछ ज्यादा ही परिपक्व नजर आ रहे थे.


सत्ता पक्ष के सदस्यों के द्वारा टिप्पणी और शोर-शराबे के बीच भी राहुल गांधी ने अपने आप पर नियंत्रण रखा. यूपीए शासनकाल में यह अक्सर देखा गया था कि विपक्षी पार्टियों के टिप्पणी के बाद राहुल बैठ जाते थे या फिर अपना भाषण समाप्त कर देते थे. इस बार यह चीज देखने को नहीं मिली.

राहुल गांधी के भाषण के दौरान सदन में हल्के-फुल्के अंदाज में हंसी के फुहारे भी छूटे. राहुल गांधी के बोलने के क्रम में एक समय ऐसा भी आया है जब राहुल की जुबान फिसल गई. राहुल गांधी पीएम मोदी के विदेश दौरों पर बात करते बोल दिया कि पीएम 'बार' जाते हैं. यहां पर बार बोलने का मकसद था पीएम मोदी हमेशा बाहर जाते हैं. बाद में जब राहुल को गलती का अहसास हुआ तो अग्रेजी में एब्रॉड शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा ओबामा और ट्रंप से मिलने जाते हैं. इस बात पर सदन में खूब ठहाके लगे.

राहुल गांधी के भाषण देने के तरीके और बॉडी लैंग्वेज में काफी बदलाव नजर आया है. राहुल गांधी अपने भाषणों के जरिए अब मैनेजमेंट करना भी सीख लिया है. राहुल गांधी को शायद अब समझ में आने लगा है कि लंबा बोलने से अच्छा है कुछ ऐसा कर दो, जो सामनेवालों को समझ में न आए.

राहुल गांधी भी अब मीडिया के सुर्खियों में बने रहने के लिए मुख्य मुद्दों को भटका कर अपना एजेंडा तय करने कुछ हद तक कामयाब हो रहे हैं. शुक्रवार को संसद में उनकी जादू का झप्पी या आंख मारने की घटना को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है. यह कला कभी पीएम मोदी तो कभी केजरीवाल ने भी आजमाया करते थे.

टीडीपी के द्वारा लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव में राहुल गांधी तीसरे वक्ता के तौर पर लोकसभा में बोलने के लिए सामने आए. राहुल गांधी से पहले टीडीपी के जयदेव गल्ला और बीजेपी के राकेश सिंह बोल चुके थे.

कांग्रेस पार्टी को इस अविश्वास प्रस्ताव में 33 मिनट का समय दिया गया. इस 33 मिनट में राहुल गांधी ही लगभग 15 मिनट बोले. राहुल ने नोटबंदी से लेकर राफेल डील तक सरकार को जमकर घेरा. इस बीच राफेल डील मुद्दे पर उन्होंने कुछ ऐसी बात कर दी जो सदन की मर्यादा के खिलाफ भी लगा, जिसे स्पीकर ने सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने बारे में पहली बार पप्पू शब्द का जिक्र किया. राहुल गांधी ने भाषण के अंत में कहा कि आप लोगों के अंदर मेरे लिए नफरत है. आप मुझे पप्पू और बहुत गालियां दे कर बुला सकते हैं, लेकिन मेरे अंदर आपके लिए नफरत नहीं है. यानी कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के लिए पप्पू शब्द का इस्तेमाल एक गाली की तरह है.

देश की मीडिया और सोशल मीडिया पर अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा गायब हो गया है. सोशल साइट्स पर राहुल गांधी की जादू की झपकी और आंख मारने की घटना की चर्चा है. राहुल जब अपनी सीट पर बैठे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ देख कर ऐसी आंख मारी मानो वह किला फतह कर आए हों? इसके बाद सोशल साइट्स पर राहुल की तस्वीर के साथ प्रिया प्रकाश वॉरियर की तस्वीर वायरल हो गई.

राहुल गांधी ने पीएम मोदी से जादू की झप्पी लेने के बाद जो हरकत कर दी, उससे उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर बहस छिड़ सकती है. जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी ने राफेल डील सहित कई मामलों पर ऐसी बातें बोल दीं, जो आगे चल कर झूठ भी साबित हो सकती हैं. फ्रांस के साथ जिस गोपनीय समझौते का जिक्र राहुल गांधी कर रहे हैं, उसका अगर प्रमाण उनके पास है तो संसद में क्यों नहीं रखा? बीजेपी अब इस मसले को सदन के विशेषाधिकार हनन का मामला बता कर राहुल को घेरने में लग गई है.