view all

गोवा रैली: सेल्फ गोल ही करते रहे राहुल

खांटी राजनेता बन जाने का यह मतलब नहीं कि राहुल जनता की नब्ज समझने वाले नेता भी बन गए हैं.

Ajay Jha

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी खांटी राजनेता बन ही गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को गोवा में अपनी पहली रैली की, जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. उनकी इस रैली से गोवा में कांग्रेस की चुनावी मुहिम का आगाज हुआ जहां उनकी पार्टी बीजेपी को सत्ता से बाहर करना चाहती है.

यह लगभग एक रिकॉर्ड ही है कि गांधी-नेहरू परिवार के इस चश्मो-चराग ने 33 मिनट तक भाषण दिया और वह भी जुबानी, बिना लिखा हुआ.


तीसरी बार सांसद बने राहुल का खांटी राजनेता बन जाने का यह मतलब कतई नहीं है कि वह जनता की नब्ज समझने वाले नेता भी बन गए है, जिसे भीड़ के मूड का अंदाजा हो, जो जगह को समझता हो, स्थानीय मुद्दों को जानता हो और जो वह कह रहा है, उसकी टाइमिंग को समझता हो.

चापलूसी की पुरानी परंपरा

रैली में राहुल गांधी को सुनने आई ठीक-ठाक भीड़ के लिए अकेला मनोरंजन था चुनावी अभियान की सीडी, जिसे राहुल गांधी ने कुछ देर पहले रिलीज किया था. संगीत और गोवा को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता.

गोवा रैली. (फोटो. inc.in)

सीडी के जोशीले गाने पर जब लोग नाचने लगे तो राहुल गांधी को अपनी कुर्सी से उठना पड़ा और जब तक गाना चला वो संगीत की ताल के साथ तालियां बजाते रहे.

राहुल गांधी गोवा की व्यावसायिक राजधानी मारगांव के फैटोरडा मैदान पर निर्धारित समय से पूरे 105 मिनट देरी से पहुंचे. वो आए, लोगों की तरफ हाथ हिलाया, जनता ने भी हल्का फुल्का उत्साह दिखाया.

इसके बाद राहुल मंच पर अपनी सीट पर जाकर बैठ गए और स्थानीय कांग्रेस नेताओं को खुशी-खुशी सुनने लगे, जो राहुल गांधी और उनके परिवार की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे.

उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि आजकल संकट झेल रही 131 साल पुरानी इस पार्टी को फिर से खड़ा करने की राह में चापलूसी ही सबसे बड़ी बाधा है.

गोवा से कितना गहरा नाता?

राहुल गांधी को खुश करने का सिलसिला गोवा राज्य कांग्रेस के प्रमुख लुइजिन्हो फलेरियो ने शुरू किया. उन्होंने अपना भाषण स्थानीय कोंकणी भाषा में शुरू किया. जब उन्हें कोई बात राहुल गांधी को समझानी होती तो अंग्रेजी बोलने लग जाते, जबकि भीड़ में मौजूद बहुत सारे लोगों को अंग्रेजी समझ में नहीं आती थी. उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार की जमकर तारीफ की.

राहुल गांधी की तारीफों के पुल बांधने से पहले उन्होंने इंदिरा गांधी, उनके बेटे राजीव गांधी और कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी की खूब प्रशंसा की. उन्होंने राहुल गांधी के गोवा दौरे को राज्य के लिए उनका प्यार बताया.

मजेदार बात यह है कि राहुल अब से पहले सिर्फ एक पर्यटक के तौर पर ही गोवा आए थे. यह पहला मौका है जब वह किसी राजनीतिक आयोजन के सिलसिले में वहां पहुंचे. ऐसे हालाकृत तब हैं, जब वह 2007 से कांग्रेस पार्टी में अपनी मां के बाद दूसरे नंबर के नेता हैं.

सीएम की सीट पर है सबकी नजरें

फलेरियो ने इन शब्दों के साथ अपना भाषण खत्म किया, 'हमने उत्तरी गोवा से दक्षिणी गोवा तक पदयात्रा की है लेकिन आपके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी दौड़ेगी.'

उनका इशारा पार्टी की 266 किलोमीटर लंबी जागृति पदयात्रा की तरफ था. दो हफ्ते लंबी इस यात्रा में गोवा के मतदाताओं को जगाया जाएगा. शुक्रवार को दो किलोमीटर लंबे रास्ते तक राहुल गांधी ने पदयात्रा का नेतृत्व किया.

गोवा की निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता और 70 साल की उम्र को पार कर चुके प्रताप सिंह राणे ने कोंकणी नहीं बल्कि हिंदी में अपनी बात कही, जिसे राहुल गांधी और वहां मौजूद जनता अच्छी तरह समझती थी.

गोवा रैली. (फोटो. inc.in)

राणे ने कहा, 'मैंने बचपन में आपके परनाना (जवाहरलाल) नेहरू को देखा था और अब आपको देख रहा हूं. हम आपको भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और वह दिन अब दूर नहीं है.'

अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो फलेरियो और राणे, दोनों ही गोवा का अगला मुख्यमंत्री बनने की रेस में शामिल हैं. फलेरियो दो बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि राणे को चार बार यह अवसर मिल चुका है.

इन लोगों के साथ-साथ मंच पर दिगंबर कामत और रवि एस. नाइक भी बैठे थे. ये दोनों भी पूर्व मुख्यमंत्री हैं.

मोदी पर वार

तारीफ से गदगद राहुल गांधी को लगा कि उन्हें अपने भाषण में अपनी मां सोनिया का भी जिक्र करना चाहिए. उन्होंने भीड़ को बताया कि उनकी मां को गोवा की प्रदूषणमुक्त हवा और यहां के लोगों की गर्मजोशी बहुत पसंद है.

राहुल ने 33 मिनट के अपने भाषण में बार-बार एक ही आदमी की आलोचना की, जो 2014 के आम चुनाव में उनके और प्रधानमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा के बीच में आया- मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

अपने भाषण में उन्होंने कहा कि मोदी की धन्नासेठ अमीरों से साठगांठ है और नोटबंदी का कदम उन्हीं को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया है, जबकि गरीबों और मध्य वर्ग को पीसा जा रहा है.

राहुल गांधी ने गोवा की रैली का इस्तेमाल वह बात कहने के लिए किया जो शायद वह संसद में नोबंटी पर बहस के दौरान कहना चाहते थे, जो शीतकालीन सत्र में हो ही नहीं पाई.

जिस भूचाल की बात उन्होंने की थी गोवा में वह तो नहीं आया. लेकिन इस बात को लेकर जरूर संदेह पैदा हो गया कि वह मोदी का गुब्बारा फोड़ने के काबिल हैं भी या नहीं.

अनजाने में अपनी ही पार्टी को घेरे में लिया

कांग्रेस उपाध्यक्ष का सारा ध्यान सांकेतिक मोदी गुब्बारा फोड़ने पर ही था. राहुल ने उन्हें झूठा कहा, फेकू कहा, मोदी के हंसने के अंदाज पर भी उन्हें आपत्ति थी.

समझ में नहीं आ रहा था कि वह गोवा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे हैं या फिर आम चुनावों के लिए. एक बार भी उन्होंने गोवा में बीजेपी सरकार की बात नहीं की, जिसके बारे में रेली में मौजूद लोग और कांग्रेस कार्यकर्ता सुनना चाहते थे.

उन्होंने गोवा के मछली उद्योग के खात्मे और पर्यटन उद्योग की बदहाली के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया. इससे पता चलता है कि उन्हें स्थानीय हालात की जानकारी नहीं है.

गोवा में इस बार हाल के सालों के मुकाबले बहुत अच्छा पर्यटन सीजन है. होटल लगभग पूरे भरे हुए हैं. क्रिसमस और नए साल के अलावा पूरे जनवरी में भी बुकिंग फुल है और मध्य एशिया देशों के बहुत से रूसी भाषी पर्यटक फिर गोवा आने लगे हैं.

जब रैली में आई भीड़ का एक हिस्सा बोर होकर वहां से जाने लगा तो राहुल को याद आया कि वह तो गोवा में हैं और उन्हें अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने हैं. लेकिन यहां भी वो लड़खड़ाने लगे.

उन्होंने जमीन और कसीनो को दो बड़े मुद्दे बताया. वह भूल गए कि कसीनो कांग्रेस पार्टी के शासन में ही खोले गए थे. एक तरह से उन्होंने मान लिया कि गोवा में उनकी पार्टी के नेता भ्रष्ट हैं.

उन्होंने अपने भाषण का समापन यह कहते हुए किया कि फरवरी-मार्च में होने वाले चुनाव के बाद गोवा में उनकी पार्टी की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई होगी.

गोवा रैली. (फोटो. inc.in)

कांग्रेस कार्यकर्ता हुए मायूस

अपना नाम विंसेंट बताने वाले एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा, 'अच्छा भाषण था. लेकिन मुझे कहीं न कहीं निराशा हुई. उन्होंने गोवा की बीजेपी सरकार की कोई बात नहीं की. मुझे नहीं पता कि आगे चलकर इसका क्या असर होगा क्योंकि बीजेपी गोवा में मोदी के नाम पर वोट नहीं मांग रही है.'

वहीं मारगांव के एक कारोबारी हमसित ने कहा, 'मैं राहुल गांधी को देखने और सुनने आया था. सिर्फ नकारात्मक प्रचार और मोदी की ओलचना करने भर से कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं मिलेंगे.'

खुद को कांग्रेस पार्टी का पक्का कार्यकर्ता बताने वाले मारियो डी’कोस्टा ने कहा, 'हम 450 साल पुर्तगाली तानाशाही में रहे हैं. बीजेपी की तानाशाही के पिछले पांच साल उससे भी बुरे थे. मुझे उम्मीद थी कि राहुल गांधी इस बारे में बोलेंगे कि बीजेपी की सरकार ने किस तरह गोवा के भविष्य को बर्बाद कर दिया है और मतदाताओं से वादा करेंगे कि कांग्रेस पार्टी नए और ईमानदार लोगों को टिकट देगी. लेकिन लगता है कि फिर उन्हीं पुराने नेताओं को प्राथमिकता मिलेगी जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.'

ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने 2014 के आम चुनावों में मिली हार से कोई सबक नहीं लिया है. उस वक्त उन्होंने मोदी को लगातार निशाना बनाया और नतीजा सब जानते हैं.

गोवा में उनकी रैली से पार्टी कार्यकर्ताओं में शायद एक गलत संदेश गया कि देश में सारी बुराइयों के लिए ढाई साल पुरानी मोदी सरकार को कोसने से कांग्रेस को खासकर गोवा में तो सत्ता नहीं मिल सकती.