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कर्नाटक में कांग्रेस के 'संकटमोचक' डीके शिवकुमार को किस तरह खुश रख पाएंगे राहुल

उन्हें उम्मीद थी कि चुनाव नतीजों के बाद जिस तरीके से उन्होंने बीजेपी को चकमा देते हुए अपने विधायकों को संभाला उसे देखते हुए पार्टी उन्हें डिप्टी सीएम का पद जरूर देगी

FP Staff

दो सप्ताह पहले जब एचडी कुमारस्वामी और जी परमेश्वर ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. तब एक व्यक्ति नाखुश नजर आ रहे थे. वह चिढ़े हुए थे और उनके समर्थकों में नाराजगी थी.

वह व्यक्ति थे कांग्रेस के क्राइसिस मैनेजर डीके शिवकुमार. उन्हें उम्मीद थी कि चुनाव नतीजों के बाद जिस तरीके से उन्होंने बीजेपी को चकमा देते हुए अपने विधायकों को संभाला उसे देखते हुए पार्टी उन्हें डिप्टी सीएम का पद जरूर देगी.


लेकिन वह पोस्ट कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष जी परमेश्वर को मिल गई. परमेश्वर एक दलित नेता हैं. शिवकुमार ने भले ही खुले तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन उनके समर्थकों ने उनके साथ पार्टी के व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की.

डीके शिवकुमार के एक करीबी ने कहा कि जब भी पार्टी मुश्किल में आती है तो हाई कमान उनकी तरफ देखता है. उन्होंने पार्टी को कई बार बचाया है. पार्टी की सहायता करने में उन्हें खुद कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. पार्टी की वफादारी के चलते केंद्र सरकार इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई केस दिखाकर उन्हें डरा रही है. लेकिन हाई कमान ने बार-बार उन्हें निराश किया है.

दिल्ली स्थित सीबीआई हेडक्वार्टर

सात बार के विधायक शिवकुमार ने सरकार में पहले कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं. सबसे पहले 1990 में एस बंगरप्पा की सरकार में उन्हें कनिष्ठ मंत्री बनाया गया था. तब वह सिर्फ 29 साल के थे. वोक्कालिगा लीडर शिवकुमार ने बेंगलुरु ग्रामीण के देवगौड़ा के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में अपनी अलग जगह बनाई.

पिछले महीने 15 तारीख को नतीजे आने के बाद बीजेपी की नजर कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त पर थी. लेकिन तब शिवकुमार सामने आए और उन्होंने कांग्रेस विधायकों को एकजुट बनाए रखा. उनकी कोशिशों ने उन्हें नेशनल सेंसेशन बना दिया और कांग्रेस हाईकमान ने भी इसके लिए उनका आभार जताया.

लेकिन कर्नाटक कांग्रेस में शिवकुमार को जितना पसंद किया जाता है उतना ही उन्हें नापसंद भी किया जाता है. इसी के चलते पार्टी हाई कमान की मुसीबत बढ़ गई.

दौरे में राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों ने ही शिवकुमार को उनके बलिदान के बदले उचित पद दिलाने का आश्वासन दिया था. उन्होंने शिवकुमार को सांत्वना दी कि चूंकि कुमारस्वामी भी एक वोक्कालिगा नेता हैं ऐसे में एक और वोक्कालिगा नेता को डिप्टी सीएम का पद देना उचित नहीं होगा.

शिवकुमार के करीबियों की मानें तो उन्होंने महत्वपूर्ण विभाग और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद की मांग की है. हालांकि, लग नहीं रहा है कि ऐसा होने वाला है. प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उन्हें दो-दो पद दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. पिछली सरकार में शिवकुमार ऊर्जा विभाग संभाल रहे थे लेकिन नई सरकार में यह विभाग जेडीएस को मिला है.

माना जा रहा है कि शिवकुमार इसे लेकर नाराज हैं. उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में मीडिया से कहा था कि वह पार्टी वॉचमैन के रूप में अपनी जॉब से खुश हैं.

खबरों की मानें तो शिवकुमार को लगने लगा है कि पार्टी हाई कमान गौड़ा परिवार को खुश करने के लिए पिछड़ों की तरफ झुक रही है. उन्हें लगता है कि पार्टी ने पहले ही पिछड़ों को काफी स्पेस दे दिया है जिसका पार्टी को नुकसान हुआ है. अब उनकी मांग है कि उन्हें बेंगलुरु विकास या फिर जल संसाधन विभाग दिया जाए.

राज्य के कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यदि शिवकुमार को खुश नहीं रखा गया तो यह गठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह काफी कठोर हैं और सीधी बात करते हैं. कई लोगों को वह इसीलिए अच्छे नहीं लगते हैं. लेकिन जब मुश्किल वक्त आता है तो वह एकमात्र व्यक्ति हैं जिनपर पार्टी भरोसा करती है. हाई कमान को उनके महत्व का अहसास होना चाहिए और पार्टी की बेहतरी इसी में है कि उन्हें उचित रिवॉर्ड दिया जाए.

शिवकुमार के एक विश्वस्त सहयोगी ने कहा कि पार्टी को उन्हें अच्छा विभाग और केपीसीसी पोस्ट दोनों दे देने चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि पार्टी उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं करेगी जैसा असम हिमांता बिस्वा शर्मा के साथ किया गया. हम सभी को पता है कि उनके पार्टी छोड़ने के बाद उत्तर-पूर्व में पार्टी की क्या दशा हुई. यदि राहुल गांधी कांग्रेस को मजबूत रखना चाहते हैं तो उन्हें शिवकुमार की जरूरत होगी

शिवकुमार ने कहा कि उन्हें पार्टी हाई कमान पर पूरा विश्वास है. उन्होंने कहा कि हाई कमान को पता है कि पार्टी के लिए उन्होंने क्या-क्या किया है.

   (न्यूज 18 के लिए डी. पी. सतीश की खबर)