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विदेशी अखबार में राहुल का वार, 'नोटबंदी से इनफॉर्मल सेक्टर तबाह'

राहुल ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि मोदी ने बेरोजगारी और आर्थिक अवसरों की कमी से पनपे गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को नुकसान पहुंचाया है

Bhasha

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी के 1 साल पूरे होने पर अंग्रेजी अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में अपने लेख में मोदी सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने लिखा है कि इस फैसले के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समय फूल-फल रही अर्थव्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास का सफाया कर दिया है.

राहुल गांधी ने नोटबंदी के कारण भारत के दो प्रतिशत जीडीपी खत्म होने, इनफॉर्मल सेक्टर के तबाह होने और कई लघु और मध्यम उद्योगों के बंद हो जाने का दावा किया.


राहुल ने बुधवार को यह बात फाइनेंशियल टाइम्स में ‘मोदीज रिफॉर्म हैव रॉब्ड इंडिया ऑफ इट्स इकोनॉमिक प्रोवेस (मोदी के सुधारों के कारण भारत के आर्थिक ताकत का सफाया)’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में कही है. उन्होंने कहा कि एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय रिजर्व बैंक की अनदेखी कर और ‘अपने मंत्रिमंडल को एक कमरे में बंद कर’ अपनी एकतरफा और मनमानी वाले नोटबंदी योजना की घोषणा की थी और देशवासियों को महज चार घंटे का नोटिस दिया.

पहले से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था जीएसटी से धड़ाम

उन्होंने लिखा, ‘प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनके निर्णय का लक्ष्य भ्रष्टाचार का सफाया है. बारह महीनों में केवल यही चीज हुई है कि उन्होंने एक समय फूलती-फलती हमारी अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास का सफाया कर दिया.’ लेख में कहा गया कि नोटबंदी के कारण दो प्रतिशत जीडीपी का सफाया हो गया, अनौपचारिक क्षेत्र तबाह हो गया और कई छोटे और मध्यम व्यापार बंद हो गए. इसने लाखों परिश्रमी भारतीयों के जीवन को तबाह कर दिया.' उन्होंने कहा कि ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के आंकलन के अनुसार, नोटबंदी के बाद पहले चार महीनों में 15 लाख लोगों ने रोजगार गंवा दिया.

उन्होंने कहा, ‘इस साल जल्दबाजी में लागू किए गए और खराब तरीके से निर्धारित किए गए जीएसटी के कारण हमारी अर्थव्यवस्था पर एक और हमला हुआ है. नौकरशाही और जटिलताओं के कारण इसने लाखों लोगों की रोजी-रोटी तबाह कर दी. इसने आधुनिक समय का ‘लाइसेंस राज’ पैदा कर दिया जिससे कड़े नियंत्रण लग गए और सरकारी अधिकारियों को व्यापक अधिकार मिल गए.’

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा ‘श्री मोदी ने बेरोजगारी और आर्थिक अवसरों की कमी से पनपे गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने अपने को छिछले और घृणा से भरे राजनीतिक विमर्श के पीछे छिपाकर रखना पसंद किया. क्रोध के कारण हो सकता है कि मोदी सत्ता में आ गए हों पर इससे नौकरी पैदा नहीं हो सकती और न ही भारत के संस्थानों की समस्याएं दूर हो सकती हैं.’

चीन के दबदबे को खत्म करना होगा

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि ये दोनों कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब वैश्विक ताकतों की भारतीय आर्थिक मॉडल से बड़ी अपेक्षाएं थीं. राज्य की यह एक पहली जिम्मेदारी होती है कि उसके लोगों को रोजगार मिले. श्रम प्रधान नौकरियों में चीन के वैश्विक एकाधिकार ने अन्य देशों के लिए चुनौतियां पैदा की हैं. इसके कारण लाखों कामगार उत्साहहीन और नाराज हो गए और उन्होंने ईवीएम पर अपनी खीझ उतारी चाहे वह मोदी, ब्रेक्जिट या डोनाल्ड ट्रंप को मिले वोट ही क्यों न हों.

उन्होंने कहा, ‘मोदी जैसे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए निरंकुश व्यक्ति के उदय को दो कारकों से बल मिला. कनेक्टिविटी में बड़ी वृद्धि और संस्थानों पर उसका गंभीर प्रभाव और दूसरा ग्लोबल जॉब्स मार्केट में चीन का दबदबा.’ राहुल ने कहा कि चीन की रोजगार चुनौती का सामना करने की ताकत देश के लघु और मझौले उद्योगों का हमारा विशाल नेटवर्क है. हमें इनके नेटवर्क को शक्तिसंपन्न बनाने और उन्हें पूंजी और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है लेकिन उनकी मदद करने की बजाय मोदी सरकार ने नोटबंदी और गलतियों से नए टैक्स (जीएसटी) के कारण उन्हें घातक रूप से घायल कर दिया है.