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कांग्रेस में बदलाव: किसका कटेगा पत्ता, किसको मिलेगी जिम्मेदारी

अगले कुछ दिनों में कांग्रेस के संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव और पार्टी में नाराजगी भी उभर कर सामने आने वाली है

Ravishankar Singh

पिछले कुछ सालों से कांग्रेस पार्टी के लगातार गिरते प्रदर्शन ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की सुगबुगाहट तेज कर दी है. इसी का परिणाम है कि पार्टी ने हाल ही में कुछ राज्यों के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव किए हैं.

पार्टी नेताओं का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में पार्टी में बड़े पैमाने पर फेरबदल किए जाएंगे. इस फेरबदल में कई बड़े नेताओं के पर कतरे जाएंगे. पार्टी के बड़े नेताओं को राष्ट्रीय स्तर से हटा कर उन्हें उनके राज्यों तक सीमित कर दिया जाएगा.


कांग्रेस पार्टी में इसी साल संगठन के चुनाव होने जा रहे हैं. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि संगठन चुनाव से पहले पार्टी राज्यों के अधिकांश प्रदेश अध्यक्षों को भी बदल देगी. इसके लिए पार्टी के बड़े नेताओं ने काम करना शुरू कर दिया है.

किन राज्यों में हो सकता है फेरबदल?

बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, दिल्ली और झारखंड जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अध्यक्षों को बदलने की कवायद जोर-शोर से चल रही है.

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी पिछले कई सालों से प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. जी. परमेश्वर कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ राज्य सरकार में मंत्री पद पर भी हैं.

कर्नाटक में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है ऐसे में पार्टी एक पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने पर जोर-शोर से विचार कर रही है.

कांग्रेस के कई प्रदेश अध्यक्ष ऐसे हैं जो पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. पार्टी ने उन नेताओं और अध्यक्षों के इस्तीफे देने के बाद की स्थिति अभी तक साफ नहीं की है. ऐसे में पार्टी के अंदर आत्ममंथन चल रहा है कि कांग्रेस आलाकमान उनको पद पर बरकरार रखे या फिर नए चेहरे की तलाश करे.

दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम और उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, फिर भी पार्टी अभी तक कोई निर्णय नहीं कर पाई है.

ऐसा माना जा रहा है कि झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत के जगह भी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है. पिछले कुछ दिनों से भगत के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस में काफी असंतोष उभर कर सामने आए हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर भी हो सकता है बदलाव 

कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मोर्चों पर पार्टी के संगठन में बदलाव करने जा रही है. पार्टी में पिछले कई सालों से काम कर रहे लोगों को अब संगठन के कामों से अलग करने का खाका तैयार किया जा रहा है.

कांग्रेस पार्टी कई राज्य प्रभारियों को भी बदलने जा रही है. हाल ही में दिग्विजय सिंह से गोवा और कर्नाटक का प्रभार ले लिया गया था. पिछले दिनों गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने के बाद भी सरकार नहीं बना सकी थी.

कांग्रेस पार्टी ने बेहद चौंकाने वाले निर्णय में केसी वेणुगोपाल को कर्नाटक का प्रभारी बना दिया था. केसी वेणुगोपाल को पार्टी में महासचिव का पद भी दिया गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पिछले कुछ सालों से लगातार बीमार चल रही हैं. सोनिया गांधी की बिगड़ती तबियत ने पार्टी के रणनीतिकारों के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है.

क्या राहुल गांधी होंगे अगले अध्यक्ष?

पार्टी सूत्रों का मानना है कि अक्टूबर-नवंबर महीने में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. राहुल गांधी को पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर पद संभालने की बात सामने आ रही है. पर, पार्टी के अंदर एक वर्ग ऐसा भी है जो राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बैठाने से संकोच कर रहा है.

ऐसे लोगों का मानना है कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बैठने के बाद भी अगर गुजरात और ओडिशा विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार होती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के मनोबल पर इसका असर पड़ेगा.

पार्टी के एक वर्ग जो राहुल गांधी के भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहता है उस वर्ग के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अभी सोनिया गांधी ही रहेंगी. वैसे भी राहुल गांधी ही अभी सारे निर्णय ले रहे हैं और अध्यक्ष पद बैठने के बाद भी वही निर्णय लेंगे.

पार्टी ने एक बड़े फेरबदल करते हुए पिछले दिनों राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को महासचिव बना दिया है. साथ ही अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभारी भी बना दिया गया है. पार्टी में मधुसुदन मिस्त्री को महासचिव पद से हटा कर चुनाव कराने वाली समिति में डाल दिया है.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार दिग्विजय सिंह, मधुसुदन मिस्त्री, कमलनाथ, बी के हरिप्रसाद, मुकुल वासनिक, जैसे नेताओं के काम के दायरा को और बढ़ाया और घटाया जा सकता है.

राहुल गांधी के करीबी नेताओं का पद और उनके काम करने का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है. राहुल के करीबियों को सचिव बनाया जा रहा है. पार्टी में कुछ वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है तो कुछ वरिष्ठ नेताओं को युवाओं के साथ तालमेल बैठा कर चलने को कहा जा रहा है.

कांग्रेस में होने जा रहे बड़े बदलाव से संगठन से बाहर किए जा रहे कुछ पुराने नेता नाराज हो रहे हैं. अगले कुछ दिनों में कांग्रेस के संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव और पार्टी में नाराजगी भी उभर कर सामने आने वाली है.