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शायराना राहुल गांधी और सोशल मीडिया की मसखरी

राहुल वाकई बोलना सीख रहे हैं. वे शेरो-शायरी का सहारा लेकर भी श्रोताओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

Krishna Kant

राहुल गांधी ने अपनी दो रैलियों में शेर पढ़कर अपने समर्थकों की दाद बटोरी, तो ट्वीटर के ट्वीटबाजों ने थोड़ी खाज-खुजली भी अता कर दी. राहुल की शायरमिजाजी का कई लोगों ने मजाक उड़ाया.

हाल की दो रैलियों में राहुल ने मिर्जा गालिब और बशीर बद्र का शेर पढ़ा. बस फिर क्या था! ट्वीटर पर #RahulGandhiPoetry ट्रेंड करने लगा रहा है. इसी हैशटैग से कई लोगों ने ट्वीट किया.


शुक्रवार को अल्मोड़ा रैली के दौरान राहुल ने बशीर बद्र का शेर पढ़ा- 'लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में. तुम तरस नहीं खाते, बस्तियां जलाने में.'

जवाब में परेश रावल के एक पैरोडी अकाउंट से लिखा गया, 'लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, मेरे जीजा देर नहीं करते उन घरों को हथियाने में.'

रोहित याज्ञनिक ने ट्वीट किया, 'लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, और हम देश लूट लेते हैं नेशनल हेराल्ड में बहाने में.'

मोदी और भाजपा विरोधियों ने भी इस हैशटैग का फायदा उठाया. फकीर बाबा नाम के एक फेक अकाउंट से ट्वीट किया गया, 'लोग टूट जाते है एक घर बनाने में, शाह जी एक पल नहीं लगाते उन घर के चराग बुझाने में.'

हिमांशु पारीक ने ट्वीट किया, 'दिल्लीवाले अपनी बेइज्जती बर्दाश्त कर सकते हैं, पर ग़ालिब की नहीं. ग़ालिब का एक शेर इतना बेढंगा सुनाया कि एलजी इस्तीफा दे गए.

हाल ही में बनारस में अपनी रैली के दौरान इस बात पर खुशी जाहिर की थी कि राहुल बोलना सीख रहे हैं. राहुल वाकई बोलना सीख रहे हैं. वे अब शेरो-शायरी का सहारा लेकर भी श्रोताओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

अल्मोड़ा रैली से एक दिन पहले राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के बहराइच में मिर्जा गालिब का शेर पढ़ा था- 'हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है, तुम्हीं कहो कि ये अंदाज-ए-गुफ्तगू क्या है.'

अल्मोड़ा रैली में राहुल ने नमक हलाल फिल्म में अमिताभ पर फिल्माए गए गीत की लाइन भी मोदी पर तंज करने के लिए पढ़ी- 'आपका तो लगता है बस यही सपना, राम-राम जपना गरीब का माल अपना.'