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बीजेपी को टक्कर देने की कोशिश में कांग्रेस अपनी पहचान ना खो दे

कांग्रेस को नरेंद्र मोदी और बीजेपी को फॉलो करने के बजाय ओरिजनल स्ट्रैटेजी पर काम करना चाहिए

Pratima Sharma

कांग्रेस और बीजेपी में क्या फर्क है? एक पार्टी राजनीतिक रूप से सेकुलरिजम की परिपाटी वाली मानी जाती है और दूसरी की पहचान भगवा ध्वजवाहक के रूप में होती है. राजनीतिक नजरिए से दोनों पार्टियों में एक बड़ा फर्क है. लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी इसी फर्क को मिटाने की कोशिश में हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि धर्म और राजनीति का संबंध कितना गहरा है.

राहुल गांधी को शायद इस बात का पूरा भरोसा है कि धर्म के रास्ते वह अपना राजनीतिक मुकाम हासिल कर लेंगे. शायद यही वजह है कि वह मंदिर-मंदिर जाकर चुनावी चाय गर्म करने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी हर वो काम कर रहे हैं जिनके लिए बीजेपी जानी जाती है.


कहीं ऐसा ना हो जाए कि माया मिले ना राम

गुजरात चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर गए थे. वहां उनका नाम गैर हिंदू रजिस्टर में लिखा गया था. उसके बाद राहुल गांधी ने बाकायदा अपना जनेऊ दिखाकर पक्के हिंदू होने का सबूत दिया था. राहुल गांधी ने कर्नाटक में भी मंदिर कार्ड आजमाया.

इस साल के अंत तक राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले हैं. एक तरफ चुनाव नजदीक आ रहे हैं और दूसरी तरफ मंदिर सियासत शुरू हो गई है. राजस्थान में चुनावों का खासतौर पर ध्यान रखते हुए राहुल गांधी की यात्रा का ब्लूप्रिंट बनाया गया है. राजस्थान में वह 10 मंदिरों की यात्रा करेंगे. इन मंदिरों में जाने का मकसद भक्ति नहीं बल्कि वोट की शक्ति है. राहुल गांधी कैलादेवी मंदिर, तनोट माता मंदिर, करणी माता मंदिर, सालासर बालाजी, ब्रह्माजी मंदिर पुष्कर, गोविंद देवजी, सांवलिया सेठ, त्रिपुरी सुंदरी को शामिल किया गया है.

मंदिर-मंदिर क्यों भटक रहे राहुल गांधी 

अभी कुछ दिनों पहले राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए थे. वहां जाने के बाद वेज-नॉनवेज खाने पर बवाल हुआ. फिर कांग्रेस प्रवक्ता और पार्टी के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने राहुल गांधी को शिव बता दिया. बीजेपी के नॉनवेज के बयानों पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, आपका एक बेटा जो कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा है. वो मानसरोवर की यात्रा पर अकेले चले जा रहे हैं. दानवों और ब्राह्मणों की लड़ाई बरसों से चली आ रही है. जब भी कोई भोले शंकर की पूजा करता था, तो दानव उसमें खलल डालते थे. आज भी शिव भक्त कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भोले शंकर की यात्रा पर कैलाश मानसरोवर चले हैं तो बीजेपी उनकी यात्रा पर खलल डालने का प्रयास कर रही है.

सुरजेवाला इतने पर भी नहीं थमे. उन्होंने आगे कहा, 'मेरे एक सहयोगी ने पूछा था कि ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन राहुल गांधी की तस्वीर के साथ और कांग्रेस पार्टी के झंडे और तिरंगे को लेकर क्यों किया जा रहा है? इस पर मैंने कहा था कि मैं इसका जवाब एक दिन मंच से दूंगा. कांग्रेस वो पार्टी है, जिसके खून में ब्राह्मण समाज का डीएनए है.' उन्होंने कहा, आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत मंगल पांडे ने की थी. राम प्रसाद बिस्मिल, मदन मोहन मालविया, बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद, पंडित मोतिलाल नेहरू और पंडित जवाहर लाल नेहरू कौन थे. ये सब ब्राह्मण थे.

कब तक मोदी के पीछे-पीछे

भारत के लिए जातिगत राजनीति कोई नई बात नहीं है. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस बीजेपी के एजेंडे पर चल रही है उससे इस बात का डर बढ़ गया है कि कांग्रेस एजेंडालेस ना हो जाए. हर चुनाव प्रचार के दौरान वह मतदाताओं के सामने कुछ नया पेश करने के बजाय बीजेपी के एजेंडे को दुरुस्त करके या उनमें बदलाव करके पेश करती है.

राजस्थान में मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने हर महीने 3500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है. कांग्रेस बीजेपी पर लगातार इस बात का आरोप लगाती रही है कि वह युवाओं की अनदेखी कर रही है. उन्हें रोजगार मुहैया नहीं करा रही है. ऐसे में कांग्रेस ने रोजगार के नए मौके पैदा करने के बजाय बेरोजगारी भत्ता देने का चलन शुरू कर रही है. राहुल गांधी अगर अगले प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं तो उन्हें नरेंद्र मोदी की नकल करने के बजाय ओरिजनल रणनीति पर काम करना चाहिए.