view all

राहुल के मोदी पर लगाए इन आरोपों से भूकंप तो नहीं आने वाला

राहुल गांधी पीएम नरेंद्र मोदी पर कोई नए आरोप नहीं लगा रहे हैं

सुरेश बाफना

गुजरात के मेहसाणा की सभा में राहुल गांधी ने जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नए आरोप नहीं लगाए हैं. लेकिन इन आरोपों को यदि सरकार गंभीरता से नहीं लेती है तो इससे मोदी सरकार की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान खड़ा होगा.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया है कि गुजरात के मुख्‍यमंत्री के तौर पर उन्होंने सहारा ग्रुप और बिरला औद्योगिक घराने से करोड़ों रुपए की राशि प्राप्त की थी. यह आरोप पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ था.


इसी संदर्भ में वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि इन आरोपों के संदर्भ में कोई तथ्यात्मक आधार उपलब्ध नहीं कराया गया है. सिर्फ किसी डायरी में दी गई इंट्री के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि किसी ने रिश्वत ली है.

चर्चित जैन हवाला कांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय में भी कहा गया था कि सिर्फ डायरी में इंट्री के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. हवाला मामले में कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, शरद यादव व माधवराव सिंधिया सहित कई बड़े राजनेताओं को दोषमुक्त किया था.

नई बात यह है कि राहुल गांधी ने जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ पहले से ज्ञात आरोपों को दोहराया है. उनका यह कहना है कि इस सिलसिले में उपलब्ध दस्तावेजों पर आयकर अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं.

इसका अर्थ यह है कि सहारा व बिरला ग्रुप पर पड़े छापों में मिली डायरी के आधार पर आयकर विभाग ने तत्कालीन मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच की थी. यह मामला मनमोहन सिंह सरकार के जमाने का है, इसलिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं को इस बात की जानकारी जरूर होगी कि जांच किस स्तर पर पहुंची थी?

भाजपा ने कहा-निराधार हैं आरोप

भाजपा की तरफ से बुधवार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल के आरोपों को आधारहीन बताते हुए पूरी तरह खारिज कर दिया. प्रसाद ने कहा कि सरकार आयकर के छापे में मिले दस्तावेजों के आधार पर जांच हुई होगी. यदि जांच हुई है तो उसके नतीजों से आम जनता को अवगत कराया जाना चाहिए.

लेकिन राहुल द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब भाजपा की तरफ से नहीं बल्कि मोदी सरकार की तरफ से आना चाहिए. यदि गैर-कानूनी ढंग से किसी को पैसा दिया जाता है तो यह दंडनीय अपराध है. इस अपराध की जांच आयकर विभाग नहीं कर सकता है. क्या आयकर विभाग ने यह मामला सीबीआई को सौंपा था? इस तरह के कई सवाल उठते हैं, जिनका जवाब मोदी सरकार को देना चाहिए.