कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय के 12 बुद्धिजीवियों से मुलाकात की. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी की इस मुलाकात को कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.
इस मीटिंग में राहुल गांधी को मुस्लिम समुदाय की बातों से हटके गरीबी, एजुकेशन जैसे मुद्दों पर चर्चा करने की सलाह दी गई थी.
96 फीसदी मुसलमानों के मुद्दे भी वही हैं, जो इस देश के आम लोगों के मुद्दे हैं
एएनआई से हुई बातचीत में इस बात की पुष्टि करते हुए इतिहासकार एस.इरफान हबीब ने कहा, हम नहीं चाहते थे कि राहुल गांधी मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर बातचीत करें क्योंकि इसके बाद उन्हें एक विशेष समुदाय का हितैशी समझा जाएगा. जो हम बिल्कुल भी नहीं चाहते. देश के लगभग 96 फीसदी मुसलमानों के भी वही मुद्दे हैं, जो इस देश के आम लोगों के मुद्दे हैं इसलिए राहुल ने गरीबी, एजुकेशन जैसे बेसिक मुद्दों पर बातचीत की. केवल चार फीसदी मुसलमान ही तीन तलाक जैसे मुद्दों से प्रभावित होते हैं, जिसका बीजेपी फायदा उठाती आई है.
इस मुलाकात में राहुल ने एक ओर जहां मुस्लिम बुद्धिजीवियों के विचार सुने, वहीं वह सरकार पर हमला करने से भी नहीं चूके. मीटिंग को सियासी रंग देने से बचने की कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमला करने से नहीं चूके. उन्होंने कहा कि यह सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए लोगों के गुस्से को धार्मिक उन्माद में बदलने का काम कर रही है.
हम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहे
हालांकि मीटिंग की सबसे अनोखी बात यह रही की राहुल ने वहां आए लोगों के सामने इस बात को कबूला कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रही, जिसकी वजह से 2014 के चुनाव में कांग्रेस हारी.बैठक में राहुल ने कहा, 'हमसे भी गलतियां हुई हैं, हम देश की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाए, इसी वजह से हम हारे.
बता दें कि राहुल से मुलाकात करने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवियों में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिसर्विटी के पूर्व अध्यक्ष जेड के फैजान, जेएनयू की प्रोफेसर जोया हसन, इतिहासकार इरफान हबीब,सच्चर कमिटी के पूर्व सदस्य जफर महमूद के अलावा कई लोग शामिल थे.