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तेजस्वी-तेजप्रताप की बहू वही जो मॉल नहीं जाए तभी राबड़ी मन भाए

ऐसा लगता है कि मॉल की मिट्टी का मामला राबड़ी देवी ने दिल पर ले लिया

Kinshuk Praval

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी मॉल जाने वाली बहू नहीं चाहिए. राबड़ी देवी ने मन की बात कहते हुए एक ऐसी आदर्श संस्कारी बहू का सपना देखा है जो न तो शॉपिंग करने मॉल जाती है और न ही फिल्में देखने सिनेमाघर.

राबड़ी ने कहा कि ‘सिनेमा हॉल और मॉल जाने वाली लड़की नहीं चाहिए. घर चलाने वाली, बड़े-बुजुर्ग का आदर करने वाली, जैसे कि हम हैं. वैसी लड़की चाहिए.'


राबड़ी के ये अरमान अपने दोनों सेट हुए बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप यादव की शादी को लेकर बाहर आए हैं.

क्योंकि राबड़ी भी कभी बहू थी 

राबड़ी देवी चाहती हैं कि उनकी बहू भी उनकी ही तरह घरेलू हो. आखिर क्यों न हों क्योंकि राबड़ी भी कभी बहू थीं.

लेकिन मॉल को लेकर राबड़ी देवी की च्वाइस का मामला कुछ दूसरे सवाल खड़े करता है कि आखिर राबड़ी देवी को मॉल से क्या परेशानी है.

वो भी तब जब उनके परिवार पर आरोप लगा है कि उनका अपना शानदार मॉल बन रहा है. बिहार के बीजेपी नेता सुशील मोदी ने लालू यादव और उनके परिवार पर मॉल की मिट्टी बेचने का आरोप लगाया है.

सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि पटना में बन रहे एक मॉल की मिट्टी को संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना के चिड़ियाघर को सप्लाई किया. चूंकि पटना का चिड़ियाघर वन एवं पर्यावरण विभाग के अधीन काम करता है जिसके मंत्री राबड़ी की बड़े बेटे तेजप्रताप यादव हैं.

राबड़ी के बयान के बयान के बाद सोशल मीडिया में कमेंट्स, ट्वीट्स और रिट्वीट्स की बाढ़ सी आ गई है. किसी ने कहा कि ‘राबड़ी देवी को मॉल जाने वाली नहीं बल्कि माल बनाने वाली बहू चाहिए’. किसी ने कहा कि ‘राबड़ी अनपढ़ बहू चाहती हैं’ ताकि कोई टेंशन न हो तो किसी ने सुझाया कि ‘राबड़ी को किसी बिहार टॉपर को अपनी बहू बना लेना चाहिए’. सोशल मीडिया पर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या मॉल और सिनेमाघर जाने वाली लड़कियां संस्कारी नहीं होती हैं?

राबड़ी के पैमाने का मतलब

ऐसा लगता है कि मॉल की मिट्टी का मामला राबड़ी देवी ने दिल पर इस तरह लिया कि उन्हें मॉल जाने वाली लड़कियों में अपनी बहू नहीं दिखाई देती.

खैर! ये तो हर मां की अपनी पसंद का सवाल है. आखिर उनके दोनों बेटे इतने योग्य हैं. एक डिप्टी सीएम तो दूसरा स्वास्थ मंत्री. दोनों योग्य बेटों की शादी की चिंता राबड़ी देवी को सता रही हैं. वो नहीं चाहतीं कि घर में अल्ट्रा मॉडर्न बहू आए जिसे घर के ठेठ देसी संस्करण से ऐसी दिक्कत हो कि वो बेटों के साथ अलग हो जाए.

लेकिन बहू का पैमाना उन करोड़ों लड़कियों को सोचने को मजबूर करता है जो शॉपिंग के लिये मॉल जाती हैं तो फिल्में देखने के लिये सिनेमाघर भी जाती हैं. राबड़ी का ये पैमाना देश की उन तमाम कुंवारी लड़कियों को कनफ्यूज कर सकता है जो तेजप्रताप और तेजस्वी से शादी का सपना देख रही हैं.

हाल ही में तेजस्वी के लिए कई लड़कियों ने सोशल मीडिया पर शादी का प्रस्ताव भेजा था. अब वो भी ये जान चुकी होंगीं कि तेजप्रताप या तेजस्वी की पसंद या नापसंद से पहले उन्हें राबड़ी देवी के सबसे बड़े इंटरव्यू से गुजरना होगा.

लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए तुरंत ही डिप्टी-सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर राबड़ी के बयान की व्यापकता को समझाने की कोशिश की.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'संस्कारी बहू का मतलब व्यापक संदर्भ से है. मीडिया अनावश्यक रूप से इसे लेकर अपना मतलब थोप रहा है. असली मुद्दों पर बात करने की जरूरत है.'

राबड़ी के बयान का सियासी अर्थ 

अब सवाल ये है कि तेजस्वी कौन से असली मुद्दों पर बात करने पर जोर दे रहें है.एक तरफ राबड़ी देवी मॉल जाने वाली लड़की को बहू नहीं बनाएंगी, दूसरी तरफ बीजेपी नेता सुशील मोदी लालू परिवार पर मॉल के निर्माण के वक्त हुए मिट्टी घोटाले का आरोप लगा रहे हैं.

राबड़ी का मानना है कि मॉल और सिनेमाघर जाने वाली लड़कियां बड़े-बुजुर्गों का आदर नहीं करती हैं.

उन्होंने कहा कि हमें बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने वाली बहू चाहिए.

ऐसे में मॉल वाली बहू के प्रति राबड़ी देवी की सोच में सियासी असर भी दिखाई दे रहा है.

दरअसल सियासत में राबड़ी देवी ने दलों का गठबंधन भी देखा है और दलों का टूटना भी. वो ये जानती हैं कि रिश्तों का गठबंधन भी कई शर्तों पर टिका होता है. ऐसे में उन्हें ऐसी बहू कतई नहीं चाहिए जिसके आने के बाद परिवार में बिखराव की स्थिति हो और मॉल और सिनेमा जाने वाली बहुओं के बीच महाभारत हो जिससे दोनों भाइयों का गठबंधन टूटे.

बेचैन क्यों है लालू परिवार  

शायद मॉल की मिट्टी के मामले की वजह से राबड़ी देवी की सोच का ये व्यापक रूप सामने आया है. जाहिर तौर पर लालू परिवार में इस वक्त दिक्कत न सिर्फ चारा घोटाले की वजह से है बल्कि बेनामी संपत्ति का मामला भी सबको बेचैन किये हुए है.

बेटी मीसा भारती इनकम टैक्स के समन के बावजूद पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हो रही है. मीसा भारती सुरक्षा का हवाला दे कर पूछताछ से बच रही हैं. मीसा को भी ये डर है कि न मालूम पूछताछ में क्या गलत निकल जाए.

आखिर मीसा भी किसी घर की बहू हैं. मीसा भले ही मॉल नहीं जा रही हों लेकिन उनसे मॉल की मिट्टी के मामले में भी शायद आईटी डिपार्टमेंट पूछताछ कर सकता है.

लेकिन एक सवाल खुद राबड़ी देवी से भी बिहार की जनता पूछ सकती है. खासतौर से वो मां-बाप जो अपनी बेटियों के रिश्ते भेजने की तैयारी कर रहे होंगे. वो लालू प्रसाद यादव से ये पूछ सकते हैं कि बिना जनता के पूछे उन्होंने कैसे सिर्फ चौथी पास राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बना दिया था? बिहार की जनता ने तो कभी राबड़ी देवी को सीएम बनाने के लिये वोट नहीं किया था.