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राबड़ी को क्या सच में खुद जैसी बहू चाहिए!

तेज और तेजस्वी ने अपने दम पर क्या हासिल किया है, जो उन्हें 'एलिजबल बैचलर' बनाता है

Ankita Virmani

राबड़ी देवी जी जरा ये बताइए क्या आपके लड़के इस काबिल हैं कि मॉल जाने वाली, खुदके दम पर अपनी पहचान बनाने वाली, दुनिया घूमने वाली लड़की क्यों आपके बेटों से शादी करेंगी?

नौंवी फेल तेजप्रताप और शौकिया क्रिकेट खेलने वाले तेजस्वी ने ऐसा कौन सा कद्दू में तीर मारा है. पिता की राजनीतिक विरासत के दम पर दोनों मंत्री बन गए. बस यही इनकी काबिलियत है कि ये लालू यादव के बेटे हैं. लालू के नाम पर तो राबड़ी देवी भी सीएम बन गईं. तो क्या राबड़ी जी को सच में अपनी जैसी ही बहू चाहिए.


ये तो जान लीजिए राबड़ी देवी 

लेकिन क्या राबड़ी ये जानती हैं कि आजकल लड़कियां क्या चाहती हैं. लड़कियों को सबसे पहले ऐसा परिवार चाहिए जिसमें नारी का पूरा सम्मान हो. लड़का ऐसा चाहिए जो बाप की छाया से निकलकर भी कुछ करने का माद्दा रखता हो. सिर्फ पुश्तैनी जायदाद के भरोसे जिंदगी चलाने वाले लड़कों से कोई भी काबिल लड़की शायद ही ब्याह करना चाहे.

इस पैमाने के हिसाब से आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि लालू के लाल को कैसी लड़कियां मिलेंगी. चलिए हम आपको इन दोनों प्रिंस चार्मिंग के बायोडाटा की एक झलक दे देते हैं.

नौवीं फेल तेज प्रताप यादव

नौवीं में ही फुस्स होने वाले तेज प्रताप यादव का पटना में मोटरसाइकिल शोरूम है. फिलहाल ये अपने पिता की मेहरबानी से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं. ये सिर्फ कहने को समूचे राज्य के मंत्री हैं. इनको सबसे ज्यादा फिक्र अपने पिता के सेहत की है. इसीलिए उनकी सेवा में तीन डॉक्टर 10 दिनों तक लगे रहे.

दूसरे हैं तेजस्वी यादव. क्रिकेट खेलने का शौक था लेकिन ये जनाब भी कुछ कर नहीं पाए. पिता की बदौलत ये राज्य के डिप्टी सीएम हैं. इसके अलावा इन दोनों ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसके बारे में बताया जा सके.

अब जरा सोचिए! लालू के लाल होने के अलावा क्यां इनमें कोई भी खूबी है.  शादी जिंदगी भर का मामला है और सरकार 5 साल का. अब 5 साल के लिए कोई जिंदगी भर का रिस्क तो लेगा नहीं.

काबिल लड़कों का किस्सा

इन काबिल लड़कों का एक किस्सा है. बात 31 दिसंबर 2007 की है. नए साल का जश्न मनाने के लिए तेज और तेजस्वी दोनों दिल्ली में थे. दोनों पर लड़कियों ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. जिसके बाद कुछ नौजवानों ने दोनों की जमकर धुनाई की.

राबड़ी देवी के सारे नियम अपनी बहुओं के लिए हैं. बेटियों के बारे में हम बात ना करें वो ही बेहतर है. लेकिन कुछ सवाल हैं, जिसका जवाब राबड़ी को देना चाहिए. मसलन, यह किसने कहा है कि मॉल जाने वाली लड़की घर नहीं चला सकती? थियेटर जाने वाली लड़की क्या बड़े बुजुर्गों का ख्याल नहीं रखती? क्या आपके दामादों ने भी यही शर्त रखी थी?

समाज के बदलाव में सबसे बड़ा रोल महिलाओं का होता है. ऐसे में महिलाओं को दबाकर राबड़ी किस युग को वापस लाना चाहती हैं, ये तो राबड़ी जाने या फिर राम जाने!