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पंजाब में आप की जीत बदल देगी देश का राजनीतिक गणित

पंजाब में आम आदमी पार्टी जीतती है, तो गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस ताकतों के लिए बड़ी बात होगी.

Monobina Gupta

हाल में हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है. पंजाब में चुनावी जीत से आप को एक बड़ा राजनीतिक हथियार मिल जाएगा और पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर खुद को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

साथ ही, अगर ऐसा होता है तो आप और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच पहले से चली आ रही जंग और भी कड़वी हो सकती है. पंजाब में राजनीतिक समीकरण में कोई भी बदलाव इन दोनों पार्टियों के बीच कड़वाहट को और बढ़ाने वाला साबित होगा.


आप की संभावनाओं से वाकिफ है बीजेपी

पंजाब की अकाली दल-बीजेपी सरकार में जूनियर पार्टनर के तौर पर मौजूद होने के बावजूद बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना है. दरअसल बीजेपी को पता है कि आप में कितनी राजनीतिक संभावनाएं हैं. कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों के बावजूद आप ने जिस तरह से बीजेपी का विरोध किया है, उसमें और तेजी आने की पूरी संभावना है.

ऐसे वक्त पर जबकि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जश्न मना रही थी, उस वक्त केजरीवाल ने ही पार्टी को दिल्ली असेंबली चुनावों में हरा दिया था. ऐसा तब हुआ था जबकि केजरीवाल को राजनीति में आए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.

तब से ही दोनों पार्टियों के बीच में संबंधों में तेज गिरावट आई है. कई प्रत्यक्ष और परोक्ष कार्रवाइयां की गईं. कई काम राजनीतिक द्वेष की भावना से किए गए. इन सबसे बीजेपी और आप के रिश्ते तल्ख होते चले गए, खासतौर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बीजेपी का हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है.

राजनीतिक पहुंच का विस्तार होगा

पंजाब में आप की जीत पार्टी की राजनीतिक पहुंच का विस्तार करेगी. पार्टी का राजनीतिक भविष्य महज एक राज्य तक सिमटा हुआ नहीं रह जाएगा. पार्टी का अभी केवल एक राज्य दिल्ली में शासन है, जिसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं हासिल है.

आप के दिल्ली के अनुभव को केवल केंद्र सरकार के साथ रस्साकशी वाले रिश्तों के तौर पर ही देखा जा सकता है. बीजेपी ने यहां आप का रास्ता हर मामले में रोकने की कोशिश की है. बीजेपी को जब भी आप सरकार के नीतिगत निर्णय करने और प्रशासनिक कामकाज में रोड़े अटकाने का कोई भी मौका मिला है, तब-तब पार्टी ने ऐसा करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल किया है.

गवर्नेंस और नीतियां बनाने में मिलेगी स्वतंत्रता

आप दिल्ली से आगे निकलना चाहती है. गवर्नेंस के अपने अलग तौर-तरीकों और रुख का प्रदर्शन करने के लिए उसे एक और राज्य की जरूरत है.

दिल्ली एक मुश्किल टेस्ट केस साबित हुआ है. जबरदस्त बहुमत के साथ दिल्ली में जीतने के बावजूद आप इसके अर्धराज्य के दर्जे से बीच में लटक गई है. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने से ज्यादातर ताकतें उपराज्यपाल में निहित हैं. जिसके चलते राज्य सरकार की कई योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं.

दिल्ली में केंद्र के दखल से परेशान है आप

दिल्ली में कानून और व्यवस्था पर पूरा दखल केंद्रीय गृह मंत्रालय का है. गृह मंत्रालय खुलेआम दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल आप सरकार और इसके नेताओं को टारगेट करने के लिए करता है. आप के करीब एक दर्जन एमएलए को जेल में डाला गया है. पिछले साल एक वक्त पर आप के 67 चुने गए विधायकों में से 12 जेल भेज दिए गए थे.

अगर आप पंजाब जीत जाती है तो इसे दो महत्वपूर्ण चीजें हासिल होंगी. पहला, यह राजनीतिक और चुनावी तौर पर बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की स्थिति में आ जाएगी. इसका संकेत होगा कि पार्टी हाल-फिलहाल में बोरिया-बिस्तर समेटने वाली नहीं है.

दूसरा, पार्टी के पास अपनी सरकार चलाने और खुलकर अपनी नीतियां तय करने का मौका होगा, जैसा कि दूसरी पूर्ण राज्य वाली सरकारें करती हैं. इससे दिल्ली से थोड़ा ध्यान हटेगा जहां आप और बीजेपी के बीच खींचतान ही हावी रहती है.

केजरीवाल के लिए अहम है पंजाब जीतना

राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने के लिए केजरीवाल की पार्टी के लिए पंजाब जीतना जरूरी है. दिल्ली से आगे बढ़ना उनके लिए जरूरी है। इससे यह भी पता चलेगा कि पार्टी की वोटरों के बीच अभी भी कितनी अपील है और वह वोटरों को खींचने में कितनी सफल है. आज के वक्त में आप की वैसी इमेज नहीं रह गई है जैसी कि तीन साल पहले थी.

हालिया कैंपेन से जैसा दिखाई दिया, उस हिसाब से पार्टी में प्रोफेशनल्स और आउटसाइडर्स दोनों को साथ लाने की ताकत है. लोग एक नई पार्टी को आजमाना चाहते हैं.

आप के पंजाब कैंपेन ऑफिस के बारे में द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, ‘रसोइयों और ऑटो ड्राइवरों से लेकर आईआईटी ग्रेजुएट्स और मल्टीनेशनल प्रोफेशनल्स तक एकसाथ आकर बूथ मैनेजमेंट और कैंपेन का माइक्रो-प्लान बनाते हैं, दो मंजिला बंगले में चलने वाला दफ्तर बदलाव लाने की कोशिशों में लगा है.’

गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी गठबंधन होगा तैयार

पंजाब चुनाव के नतीजे आगामी संघीय मोर्चे पर भी असर डालने वाले होंगे. निश्चित तौर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद उत्सुकता से इन नतीजों का इंतजार कर रही होंगी. नोटबंदी के बाद से बीजेपी की केंद्र सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर ममता बनर्जी ही दिखाई दी हैं.

पंजाब में अगर आप की जीत होती है तो यह गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस ताकतों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा. ये सभी पार्टियां 2019 के लोकसभा चुनावों में एकसाथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश करेंगी.