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उर्जित पटेल को दिखाए काले झंडे, कांग्रेस-तृणमूल-वाम का प्रदर्शन

उर्जित पटेल के खिलाफ कांग्रेस, तृणमूल व वाम का प्रदर्शन

FP Staff

नई दिल्ली. नोटबंदी के चलते आम जनता को हो रही परेशानी को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भारतीय रिजर्स बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. गुरुवार को उर्जित पटेल कोलकाता दौरे पर थे. इस दौरान कांग्रेसियों ने उन्हें काले झंडे दिखाए. दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों और राज्य के विधायकों ने लगातार दूसरे दिन कोलकाता स्थित रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के सामने धरना दिया. कार्यालय के बाहर ही मार्क्‍सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के भी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया.

प्रदेश18 के मुताबिक, 'कोलकाता एयरपोर्ट पर दिल्ली के लिए विमान पकड़ने पहुंचे उर्जित पटेल के साथ कांग्रेसियों ने धक्का मुक्की की भी कोशिश की. हालांकि सुरक्षा बलों ने उर्जित पटेल को विमान तक सुरक्षित पहुंचा दिया.'


कोलकाता स्थिति रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय से मीटिंग के बाद बाहर आते गवर्नर उर्जित पटेल. (फोटो: पीटीआई)

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस मंत्री और विधायक कोलकाता में नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने का विरोध कर रहे हैं. यह धरना ऐसे समय में दिया गया जब रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भवन के अंदर बैंक के प्रबंधन बोर्ड की बैठक में भाग ले रहे थे.

पार्टी के बड़े नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस के कई समर्थकों ने रिजर्व बैंक के गेट पर नारेबाजी की और काले झंडे दिखाए. वे केंद्र सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करने के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे.

कोलकाता के सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि नोटबंदी क्यों की गई? यदि यह आम आदमी के लाभ के लिए है तो 37 दिनों के बाद भी इतने लोग आरबीआई दफ्तर के सामने लाइन में क्यों खड़े हैं?

उन्होंने कहा कि यह विचित्र बात है कि जो फैसला रिजर्व बैंक के गवर्नर को करना चाहिए वह फैसला प्रधानमंत्री के स्तर से किया जा रहा है. कुल सात देश नोटबंदी करने का प्रयास कर चुके हैं और सभी बुरी तरह नाकाम रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि किस वजह से उन्होंने यह सोचा कि यह भारत जैसे बड़े देश में सफल होगा?

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता निर्मल घोष ने शहर में पटेल के दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि आरबीआई के गवर्नर को आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेने के बारे स्पष्टीकरण देने का अधिकार होना चाहिए. हम लोग इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं.