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किसे मिलेगा रायसीना का ताज: चुनावी एलान के बाद सियासी सुगबुगाहट शुरू

राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान तो हो गया है लेकिन अभी उम्मीदवारों को लेकर संंशय बना हुआ है

Amitesh

रायसीना हिल्स की लड़ाई के लिए तारीख का ऐलान हो गया है. राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज गया है. दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को होगा. मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. इसके पहले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

तारीख का ऐलान हो गया है लेकिन, अबतक इस पद के दावेदारों का नाम सामने नहीं आ पाया है. केवल कयास ही लगाए जा रहे हैं.


वोटों के गणित के हिसाब से तय लग रहा है कि इस बार सत्ताधारी एनडीए अपनी पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद पर बैठाने में कामयाब होगी. फिलहाल एनडीए के घटक दलों के अलावा एआईएडीएमके, टीआरएस और जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की उम्मीद के बाद सत्ताधारी एनडीए के पास 55 फीसदी वोट हो जाएंगे.

एनडीए का रास्ता ज्यादा आसान दिख रहा है

मतलब साफ है कि राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत को लेकर एनडीए को कोई खास परेशानी नहीं होने वाली है. लेकिन, अबतक किसी नाम को लेकर कोई खास चर्चा नहीं हुई है. अलबत्ता कयासों का बाजार गर्म है.

उधर, ज्यादा सरगर्मी विपक्षी दलों की तरफ से देखने को मिल रही है. विपक्षी दलों को लग रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ही सही मोदी विरोध के नाम पर सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाया जा सकता है. इसकी कवायद भी चल रही है.

गैर-एनडीए दलों को एक साथ लाने की कोशिश में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी पहले ही भोजन पर विपक्षी नेताओं को बुला चुकी हैं. इसके अलावा अलग-अलग दलों के नेताओं से भी उनकी बातचीत जारी है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक सबने सोनिया गांधी से मुलाकात की है. सबकी कोशिश है विपक्ष की तरफ से एक साझा उम्मीदवार उतारने की.

विपक्ष की तरफ से जिन नामों पर चर्चा शुरू हुई थी उनमें एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, जेडीयू नेता शरद यादव, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते गोपाल गांधी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था.

कोशिश थी कि शरद पवार के नाम को आगे कर मराठी मानुष के नाम पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना को एनडीए से अलग कर लिया जाए. लेकिन, शरद पवार के इनकार के बाद बात शरद यादव का नाम भी चर्चा के केंद्र में रह-रह कर आ जाता है.

पुराने राजनेता शरद यादव फिलहाल जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं. शरद यादव के उम्मीदवार बनने के बाद उन्हें सबसे पहले राज्यसभा की सदस्यता छोड़नी होगी. लेकिन, संख्या बल के हिसाब से फिलहाल विपक्ष के जीतने की संभावना भी कम ही होगी. ऐसी सूरत में शरद यादव क्या राष्ट्रपति चुनाव लड़ना पसंद करेंगे? ये कहना मुश्किल है.

विपक्ष कर रहा है बीजेपी के ऐलान का इंतजार

इन सभी कवायदों के बावजूद विपक्ष अभी भी बीजेपी की बारी का इंतजार कर रहा है. विपक्ष ने दिल्ली में बैठक के बाद ये तय किया है कि पहले एनडीए अपना पत्ता खोले. दरअसल, विपक्ष चाहता है कि एनडीए किसी गैरराजनीतिक हस्ती को राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार बनाने के लिए आमसहमति की कोशिश करे.

लेकिन, किसी राजनीतिक व्यक्ति के उम्मीदवार बनने की सूरत में विपक्ष फिर अपना विरोध दर्ज कराने की कोशिश करेगा और राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव भी कराना पड़ेगा.

14 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नोटिफिकेशन शुरू होगा. यानी जून के दूसरे हफ्ते से ही राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी शुरू होगी. फिलहाल इसके पहले पत्ते खोलने से सत्ताधारी बीजेपी बच रही है.