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राष्ट्रपति चुनाव 2017: विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है शिवसेना!

शिवसेना ने यह भी कहा कि वह राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उम्मीदवारी पर जोर देती रहेगी

Bhasha

पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करके बीजेपी को शर्मिंदा कर चुकी एनडीए की अहम सहयोगी शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि वह इस चुनाव में अपना अलग रुख अपना सकती है.


शिवसेना ने यह भी कहा कि वह राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उम्मीदवारी पर जोर देती रहेगी. भागवत पहले ही कह चुके हैं कि उनकी राष्ट्रपति पद में रुचि नहीं है.

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ‘हम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अपने वोट को लेकर अलग रख अपना सकते हैं. हमने बार बार कहा है कि हम हिंदू राष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत से अधिक सक्षम किसी और को नहीं देखते.’

राज्यसभा सदस्य राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी आखिर तक भागवत का नाम सुझाती रहेगी.

पहले भी एनडीए के उम्मीदवारों का समर्थन कर चुकी है शिवसेना 

सबसे पुराने सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना ने 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करके बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी. बीजेपी ने इस पद के लिए पी ए संगमा का समर्थन किया था.

शिवसेना ने 2007 में भी एनडीए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भैंरो सिंह शेखावत के बजाय यूपीए की उम्मीदवार और कांग्रेस नेता प्रतिभा पाटिल के लिए वोट दिया था.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें ‘बड़ा भाई’ कहा था. इस तरह से उन्होंने दोनों भगवा दलों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में नरमी का संकेत दिया था.

राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और बीजेपी को उम्मीद है कि उसे शिवसेना के 18 सांसदों और 63 विधायकों का समर्थन मिलेगा.

महाराष्ट्र में किसान आंदोलन पर अपने रख को कड़ा करते हुए राउत ने बीजेपी से कहा कि अगर वह किसानों की शिकायतों का निराकरण नहीं कर सकती तो उसे सत्ता छोड़ देनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘किसानों के मुद्दे पर शिवसेना और सरकार के बीच बहुत मतभेद हैं. अगर बीजेपी किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं कर सकती और यदि उन्हें हमारा कदम परेशानी वाला लगता है तो उन्हें सत्ता को छोड़ देनी चाहिए.’