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अबतक सिर्फ दो बार ही संसद से पास नहीं हुआ है धन्यवाद प्रस्ताव, क्या एकबार फिर होगा ऐसा?

केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद पस्ताव को Rajya Sabha से पास कराने की है. अगर यह पास नहीं होता है तो भारतीय संसद के इतिहास में तीसरा मौका होगा जब धन्यवाद प्रस्ताव पास न हो पाया हो

FP Staff

संसद के बजट सत्र का आज आखिरी दिन है. केंद्र सरकार सत्र के अंतिम दिन कई लंबित कामों को पूरा कर लेना चाहती है. लेकिन आम चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ती तल्खी को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसके लिए सरकार को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद पस्ताव को राज्यसभा से पास कराने की है. अगर यह पास नहीं होता है तो भारतीय संसद के इतिहास में तीसरा मौका होगा जब धन्यवाद प्रस्ताव पास न हो पाया हो.

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव


संसद के सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद की संयुक्त सत्र को संबोधित किया था. उनके अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में इसे पास कराना बाकी है. इससे पहले सिर्फ दो ही मौके आए हैं जब धन्यवाद प्रस्ताव किसी कारणवश पारित नहीं हो पाया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को पास कराना सरकार के लिए संविधान के तहत जरूरी होता है. संसद के राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को रिकॉर्ड कराना होता है और इसके बारे में राष्ट्रपति भवन को बताना होता है. 1991 में जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे तब उनके इस्तीफे के कारण यह संसद से पारित नहीं हो पाया था. इसके अलावा 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं हो पाया था. उस समय वाजपेयी की सरकार 13 दिन के अंदर ही गिर गई थी.

नागरिकता संशोधन विधेयक और ट्रिपल तलाक बिल भी पास कराना चुनौती

इसके अलावा सरकार की कोशिश है कि नागरिकता संशोधन विधेयक और ट्रिपल तलाक बिल को भी राज्यसभा से पारित करा लिया जाए. दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं. अगर ये दोनों बिल राज्यसभा से पास नहीं होते हैं तो लैप्स कर जाएंगे.

न्यूज-18 की खबर के मुताबिक, राज्यसभा की विधायी प्रक्रिया के अनुसार, अगर एक बिल लोकसभा से पारित नहीं हुआ हो और राज्यसभा में लंबित हो तो राज्यसभा भंग होने पर वह बिल लैप्स नहीं माना जाता है. लेकिन अगर बिल लोकसभा से पारित हो चुका हो और राज्यसभा में लंबित हो तो संसद के भंग होने पर वह बिल लैप्स हो जाता है.