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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश को किया संबोधित, समर्थन के लिए आभार जताया

राष्ट्रपति ने सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया

FP Staff

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में देश के नाम अपना आखिरी संबोधन किया.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में उन्हें देश की जनता से बेहद प्यार और समर्थन मिला. इसके लिए वह सदा उनके आभारी रहेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो समर्थन मिला उसके लिए वो प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को धन्यवाद देते हैं. उन्होंने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी शुभकामनाएं दी.

राष्ट्रपति ने कहा, '5 साल पहले शपथ लेने के बाद मैंने देश के संविधान की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभाई. संविधान मेरे लिए मेरा पवित्र ग्रंथ और संसद मेरे लिए मंदिर जैसा रहा है.'

उन्होंने कहा कि भारत एक विविध देश है. यह मात्र एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं विभिन्न तरह की संस्कृतियों का एक अद्भुत मेल है. उन्होंने पर्यावरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित किये जाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'हमारे देश में अनेक प्रकार के लोग रहते हैं जो अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं और अलग-अलग वेश-भूषाएं रखते है. ऐसे में एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखना ही साथ मिलकर चलने का एकमात्र रास्ता हो सकता है.'

उन्होंने देश को हिंसा मुक्त और सबके लिए सुरक्षित बनाने की बात कही.

राष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने भारतीय शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर का बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा के बेहतर स्तर के जरिए हम विकास के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं और इससे विश्व में हमारा कद भी ऊंचा होगा.

उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि वह एक ऐसे भारत के निर्माण का सपना देखते थे जहां सब मिल-जुल कर रहें और सबका विकास हो सके. इसके लिए हमें सबके लिए समान अवसर पैदा करने होंगे.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल कैसा रहा यह इतिहास तय करेगा पर उन्होंने संविधान के मुताबिक अपनी जिम्मेदारी निभाने की पूरी कोशिश की.

राष्ट्रपति के रूप में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने पहले संबोधन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह देश के नागरिकों के प्रति अपने आभार को कभी पूरी तरह से नहीं जता सकते.