17 जुलाई को भारत का नया राष्ट्रपति चुना जाना है. एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद हैं. जबकि कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया है.
कब होगा राष्ट्रपति चुनाव
चुनाव आयोग राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को कराएगा. नया राष्ट्रपति एकल वोटिंग अधिकार के हिसाब से चुना जाएगा.
कौन देता है वोट
राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के चुने गए सदस्य वोट देते हैं. फिलहाल लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 यानी कुल 776 निर्वाचित सदस्य हैं. इसके अलावा देश की सभी विधानसभाओं के 4120 सदस्य भी राष्ट्रपति के चुनाव में वोट देंगे. इनमें दिल्ली और पुदुचेरी के भी विधायक शामिल हैं.
कितनी होती है वोट की ताकत
मतदाता सूची में हर सांसद और विधायक के वोट की ताकत अलग-अलग होती है. अलग-अलग राज्यों के सांसदों और विधायकों के वोट के वजन में फर्क होता है.
विधायक के वोट की कीमत कैसे तय होती है
किसी राज्य के एक विधायक की वोट कीमत राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है. एक विधायक के वोट की कीमत 1971 की जनगणना और राज्यों में विधायकों की संख्या के आधार पर तय की जाती है. इसका फॉर्मूला है- राज्य की जनसंख्या (1971 में)/विधायकों की संख्या*1000
सभी राज्यों के विधायकों के वोट की वैल्यू फिलहाल ये है-
मिसाल के तौर पर यूपी के विधायक के वोट का मूल्य 208 है. वहीं सिक्किम के विधायक के वोट का मूल्य महज 7 है. इसके बाद सभी राज्यों
सांसदों के वोट की कीमत कैसे तय होती है-
सभी विधायकों के कुल वोटों के मूल्य जितना ही सांसदों के वोटों का मूल्य होता है. सभी राज्यों के सांसदों के वोट का वजन एक बराबर होता है.
यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि विधायकों की वोट की कीमत को सांसदों की संख्या से विभाजित करते हुए दशमलव के बाद की संख्या को इग्नोर कर दिया जाता है.
549474 (सभी विधायकों के वोटों का मूल्य)/776 (सांसदों की संख्या)= 708
सांसदों के कुल वोटों की वैल्यू: 708 X 776 = 5,49,408
तो ये है फाइनल गणित
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल मतदाता = विधायक (4120) + सांसद (776) = 4,896
इस साल के राष्ट्रपति चुनाव में सभी मतदाताओं के कुल वोटों की कीमत = 549474 + 549408 = 10,98,903
किसी भी प्रत्याशी को जीतने के लिए 549452 वैल्यू के वोट चाहिए होंगे.
ऐसे होती है वोटिंग
राष्ट्रपति चुनाव में हर मतदाता का वोट एक ही होता है. वह हर उम्मीदवार को लेकर अपनी प्राथमिकता बता सकता है. हर वोट की गिनती के लिए कम से कम एक उम्मीदवार के नाम का समर्थन जरूरी होता है. किसी भी प्रत्याशी को जीतने के लिए तयशुदा कोटे के वोट हासिल करने होते हैं. अगर पहले दौर में कोई नहीं जीतता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव मैदान से बाहर कर दिया जाता है. फिर उसके हिस्से के वोट, दूसरी प्राथमिकता वाले प्रत्याशी के खाते में डाल दिए जाते हैं. इसके बाद भी कोई नहीं जीतता, तो यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक-
कोई उम्मीदवार जीत के लिए तय कोटे के बराबर वोट हासिल नहीं कर लेता
या
एक-एक कर के सारे उम्मीदवार मुकाबले से बाहर हो जाएं और सिर्फ एक प्रत्याशी बचे.