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इन वजहों से याद किए जाएंगे महामहिम प्रणब दा

प्रणब मुखर्जी ने न सिर्फ मोदी के साथ तालमेल बिठाया बल्कि नोटबंदी के बाद सदन में हंगामा करने पर कांग्रेस को शांत रहने की सीख भी दी

Pratima Sharma

यूपीए अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान जब घोटालों के दलदल में फंसी थी तो लालकृष्ण आडवाणी ने प्रणब मुखर्जी के बारे में कुछ ऐसा कहा, जिससे यह समझना आसान है कि मुखर्जी कैसे नेता हैं? उस वक्त आडवाणी ने कहा था, ' मैं कभी-कभी ये जरूर सोचता हूं कि अगर प्रणब जी इस सदन में नहीं होते तो पता नहीं यूपीए क्या-क्या करती.'


2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्हें प्रणब मुखर्जी ने शपथ दिलाई थी. उस वक्त ये कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच तालमेल नहीं रहेगा. वजह साफ थी. प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की पसंद थे और सरकार कांग्रेस की धुर विरोधी बीजेपी की बनी थी.

मोदी और मुखर्जी में शानदार तालमेल

अपने कार्यकाल के दौरान मुखर्जी ने सरकार के साथ न सिर्फ बेहतरीन तालमेल दिखाई बल्कि तेजी से फैसले लिए. प्रणब मुखर्जी ने इसी साल मार्च में एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की.

उस वक्त मुखर्जी ने कहा था, 'आप चुनाव में बहुमत हासिल कर सकते हैं लेकिन शासन करने के लिए आपको आम सहमति की जरूरत होती है. मोदी इस मामले में काफी अच्छे हैं.' मुखर्जी ने तब यह भी कहा था कि पीएम बहुत जल्दी सीखते हैं.

क्यों खास रहा मुखर्जी का कार्यकाल?

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के सबसे काबिल नेताओं में से हैं. राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हमेशा कानून और संविधान को अहमियत दी है.

8 नवंबर 2016 को जब मोदी ने नोटबंदी का फैसला लिया तो सदन में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष काफी हो-हल्ला मचा रही थी. लगातार शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही बाधित हो रही थी. तब मुखर्जी ने कहा था कि विपक्ष को सदन को काम करने का मौका देना चाहिए.

किसने दिया था मुखर्जी को धोखा?

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही बंगाली मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रणब मुखर्जी का सहारा लिया था. 2014 में कोलकाता की एक रैली में मोदी ने कहा था, 'प्रणब मुखर्जी के साथ धोखा हुआ है. मोदी ने कहा था कि अगर दादा के साथ धोखा नहीं होता तो उन्हें भी पीएम बनने का मौका मिलता.'

मुखर्जी का कार्यकाल तेजी से फैसले लेने के लिए जाना जाएगा. राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने याकुब मेमन, अजमल कसाब, अफजल गुरु सहित 24 कैदियों की दया याचिका खारिज कर दी.

मुखर्जी के कार्यकाल के दौरान कुछ अहम फैसले

निर्भया के मामले में भी प्रणब मुखर्जी ने क्रिमिनल लॉ (संशोधन) कानून, 2013 को मंजूरी दी है. 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद इंडियन पीनल कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट और कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिड्योर, 1973 में संशोधन किया. इसके अलावा मुखर्जी के कार्यकाल के दौरान कुछ अहम फैसले लिए गए. इनमें भूमि अधिग्रहण एक्ट से जुड़ा अध्यादेश पास किया. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को भी मंजूरी दी. उन्होंने बीमा से जुड़े कानून संशोधन अध्यादेश, 2015 को भी पास किया. माइंस एवं मिनरल्स स्पेशल प्रोविजन अध्यादेश, 2014 पर भी मुखर्जी ने ही साइन किया है.