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JDU से बक्सर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं प्रशांत किशोर, फिर अश्विनी चौबे का क्या होगा?

जेडीयू का दामन थामने वाले प्रशांत किशोर को पार्टी लोकसभा चुनाव में उनके गृह नगर यानी बक्सर सीट से मौका दे सकती है.

FP Staff

जेडीयू का दामन थामने वाले प्रशांत किशोर को पार्टी लोकसभा चुनाव में उनके गृह नगर यानी बक्सर सीट से मौका दे सकती है. सूत्रों के मुताबिक चुनाव से ठीक पहले 'पीके' की जेडीयू में जिन कारणों से एंट्री हुई है उसमें एक कारण यह भी है. 41 साल के प्रशांत किशोर का बक्सर से खासा लगाव है.

वैसे तो वो मूल रूप से रोहतास जिले के रहने वाले हैं लेकिन उनके माता-पिता सहित परिवार के लोग बक्सर में ही रहते हैं. उनका बक्सर में ही मकान भी है. ब्राह्मण जाति से आने वाले पीके की बक्सर सीट से दावेदारी इसलिये भी जानी जा रही है क्योंकि वहां के वर्तमान बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे ने इस सीट को पहले ही छोड़ने के संकेत दे दिये हैं ऐसे में ये सीट जेडीयू के खाते में जाना तय है. बक्सर सीट से जेडीयू पीके को पार्टी सबसे योग्य चेहरा मान रही है ऐसे में अगर उन्हें इस सीट से मौका मिलता है तो इसमें कुछ अचरज वाली बात नहीं होगी.


सवर्ण वोटर बाहुल्य बक्सर लोकसभा सीट में ब्राह्मण वोटरों की भी अच्छी संख्या है शायद यही कारण रहा है कि इस सीट से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में लोगों ने अधिकांशत: किसी सवर्ण या ब्राह्मण उम्मीदवार को जिताया है. अश्विनी चौबे बाहरी होने के बावजूद इस सीट से सांसद बने तो वहां के स्थानीय विधायक मुन्ना तिवारी भी ब्राह्मण हैं ऐसे में पीके के साथ ये फैक्टर भी सरप्लस है.

ये होंगे उम्मीदवार होंगे

इस सीट से एनडीए और महागठबंधन दोनों ने 2014 के चुनाव में सवर्ण उम्मीदवारों को मौका दिया था. इस चुनाव में अश्विनी चौबे ने महागठबंधन के जगदानंद सिंह को हराया था. इस बार फिर से जगदानंद सिंह महागठबंधन से इस सीट पर उम्मीदवार होंगे. ऐसे में पीके उनको टक्कर देने के लिये जेडीयू और एनडीए का चेहरा बन सकते हैं.

अगर बात बक्सर की करें तो इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीत कर केंद्र में मंत्री बनने वाले अश्विनी चौबे से वहां के लोग कुछ ज्यादा खुश नहीं है. बात चाहे जिले के विकास की हो या फिर चौबे के अपने क्षेत्र में समय देने की दोनों मुद्दों पर वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं. बक्सर के स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि अगर प्रशांत किशोर को जेडीयू इस सीट से मौका देगी तो इसका फायदा किसी अन्य उम्मीदवार को मौका देने से कहीं ज्यादा होगा. पीके की बक्सर सीट से दावेदारी इस पहलू से भी मानी जा रही है क्योंकि शाहाबाद की एक अन्य सीट आरा फिलहाल बीजेपी के खाते में है. 2014 के चुनाव में इस सीट से आर के सिंह चुनाव जीते थे जिनका इस सीट से दुबारा चुनाव लड़ना तय है ऐसे में जेडीयू के खाते में बक्सर सीट आयेगी.

अंतिम दौर में चर्चा

2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा अंतिम दौर में है ऐसे में लोगों की नजर बक्सर सीट पर भी होगी कि क्या वहां से नीतीश कुमार और जेडीयू का भरोसा जीतने में प्रशांत किशोर कामयाब होंगे, या फिर से ये सीट किसी बाहरी उम्मीदवार के खाते में जाती है.

(साभार: न्यूज 18 के लिए अमरेंद्र कुमार की रिपोर्ट)