view all

राष्ट्रपति चुनाव से पहले एनडीए की बैठक, उद्धव ठाकरे भी होंगे शामिल

बीजेपी की कोशिश पूरे देश में उसकी और उसके सहयोगी दलों की बढ़ती ताकत का इजहार करना है.

Amitesh

राजधानी दिल्ली में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बैठक हो रही है जिसमें 32 दलों के नेता शिरकत कर रहे हैं. इस वक्त बीजेपी और सहयोगी दलों का गठबंधन एनडीए केंद्र की सत्ता पर काबिज है, लिहाजा केंद्र सरकार में शामिल गठबंधन के सभी सहयोगी दलों के नेता इस बैठक में भाग ले रहे हैं.

इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे या फिर बीजेपी के साथ जुड़े दूसरे दलों के नेता भी इस बैठक में शामिल हो रहे हैं.


बैठक करेगी ताकत का इजहार

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी पूरे देश में अपनी बढती ताकत का एहसास कराना चाहती है. इस वक्त ज्यादातर राज्यों में बीजेपी या एनडीए सत्ता में है. उत्तर पूर्व से लेकर गोवा तक , जम्मू-कश्मीर से लेकर आन्ध्र प्रदेश तक बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चला रही है.

तस्वीर: पीटीआई

पार्टी चाहती है कि हर हाल में उसकी ये ताकत बनी रही, खासतौर से तब जबकि अब 2019 के लोकसभा चुनाव में दो साल बाकी रह गए हैं. ऐसे में अगले साल यानी 2018 से ही लोकसभा चुनाव की भूमिका तैयार होने लगेगी.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी चाहती है कि किसी भी सूरत में एनडीए की एकता में दरार न होने पाए, मसलन, एनडीए के साथ जुड़े दल 2019 के पहले अलग रास्ता न अपनाएं या फिर उनके भीतर की कोई नाराजगी भी गठबंधन पर भारी न पड़े, बीजेपी इसके लिए प्रयासरत है.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए समर्थक को देखने की चाह

लेकिन, इसके पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी जुलाई में होना है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यूपी में जीत के बाद बीजेपी काफी उत्साहित है, अब कोशिश इस बात की हो रही है कि इन दोनों पदों पर एनडीए समर्थक उम्मीदवार ही पहुंचे. लिहाजा पार्टी की तरफ से अपने सहयोगी दलों को साधने की कोशिश भी हो रही है.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही बीजेपी का मनोबल बढ़ा हुआ है. खास तौर से यूपी की जीत के बाद बीजेपी को लग रहा है कि अपने सहयोगी दलों के सहारे राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार को जिताने में वो सफल रहेगी.

दूसरी तरफ, मनोहर पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के बाद केंद्र में अबतक रक्षा मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी वित्त मंत्री अरूण जेटली ही संभाल रहे हैं. इसके अलावा भी केंद्र की सरकार में कई मंत्रालयों में बदलाव की भी बात कही जा रही है.

माना जा रहा है कि संसद के सत्र के बाद एक बार फिर से कैबिनेट में फेरबदल हो सकती है जिसमें बीजेपी के सहयोगी दलों की भी भागेदारी हो सकती है. लिहाजा इसके पहले सहयोगी दलों के साथ बैठक का महत्व भी बढ़ जाता है.

मुंबई में बीएमसी चुनाव से ठीक पहले एक बैठक को संबोधित करते उद्धव ठाकरे

शिवसेना और बीजेपी के आपसी रिश्तों पर होगी सबकी नजर

बीजेपी की कोशिश अपने सभी सहयोगी दलों को एक साथ एक मंच पर लाकर उनके गिले-शिकवे दूर करने की है. बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ उसकी खींचतान किसी न किसी बहाने सामने आ जाती है. शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ प्रकरण ने रिश्तों को और तल्ख ही किया है. गायकवाड़ के उड़ने पर बैन के बाद शिवसेना की तरफ से एनडीए बैठक के बहिष्कार की धमकी दी गई थी. लेकिन अब बैन हटाने के बाद शिवसेना मान गई है.

इसके अलावा एलजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबुबा मुफ्ती और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी एनडीए की बैठक का हिस्सा होंगे.

बीजेपी की तरफ से उन हर छोटे-बड़े दलों की एनडीए की बैठक में बुलाया गया है जो किसी न किसी रूप में बीजेपी के साथ जुड़े रहे हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना के  अलावा आरपीआई और शेतकारी संगठन भी एनडीए का हिस्सा है. इसके अलावा मणिपुर और गोवा में भी बीजेपी ने गठबंधन की सरकार बनाई है और वहां से भी सहयोगी दल इस बैठक में शिरकत करेंगे.

बीजेपी की कोशिश पूरे देश में उसकी और उसके सहयोगी दलों की बढ़ती ताकत का इजहार करना है. पार्टी चाहती है कि इसकी धमक दिल्ली तक भी सुनाई दे.