विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की खराब सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही उनकी जगह एक पूर्णकालिक विदेशमंत्री को नियुक्त करने वाले हैं, जो विदेश मंत्रालय के कामकाज को संभाल सके. सुषमा स्वराज किडनी फेल होने के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज करा रहीं हैं.
प्रधानमंत्री मोदी सुषमा की जगह किसी काबिल मंत्री को ये जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं जो इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सके. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं संसद के शीतकालीन सत्र के बाद मंत्रियों के पोर्टफोलियो में मामूली बदलाव के अलावा नए विदेश मंत्री की नियुक्ति की जा सकती है. सूत्रों से फर्स्टपोस्ट को मिली जानकारी के अनुसार, सुषमा स्वराज का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाने वाला है जिसकी वजह से वे महीनों काम से दूर रह सकती हैं. ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव देखे जा रहे हैं, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के साथ नए सिरे से रिश्ते बनाने की जरूरत और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच सुषमा स्वराज की मौजूदगी पहले से ज्यादा जरूरी हो गई है.
पीएम मोदी का इज़रायल दौरा
अपने नाजुक स्वास्थ्य के कारण सुषमा के लिए सामान्य कामकाज की तरफ लौटना अभी आसान नहीं है. जब तक कि उनका किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो जाता है और वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाती हैं, तब तक वे अस्पताल में ही रहेंगी.
साल 2017 की शुरुआत के साथ ही भारत कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं की अगवानी करने वाला है जिनमें सऊदी अरब के सुल्तान सलमान के अलावा दुबई के युवराज शेख मोहम्मद बिन ज़ायद भी शामिल हैं जो गणतंत्र दिवस के समारोह में शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगले साल इज़रायल के दौरे पर जाने वाले हैं, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इज़रायल दौरा होगा. यह काफी अहम है, खासकर तब जब जब दोनों देश अपने राजनीतिक रिश्ते की सिल्वर जुबली मना रहे हैं.
एस जयशंकर बन सकते हैं विदेशमंत्री
विदेश सचिव एस जयशंकर- जो पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं- उनका कार्यकाल जनवरी महीने में पूरा होने वाला है. उनके भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और मुमकिन है कि उनकी सेवा बढ़ा दी जाए.
रविवार को ही अमृतसर में खत्म हुए एशिया सम्मेलन में सुषमा स्वराज की गैरमौजूदगी को शिद्दत से महसूस किया गया. अपने पूर्ववर्तियों के उलट एक विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा आम लोगो के साथ संवाद स्थापित करने के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने कई बार मंत्रालय और दूतावास के अधिकारियों पर आमलोगों की परेशानियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील नजरिया अपनाने का दबाव बनाया है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए कई बार मुसीबत में फंसे लोगों की मदद भी की है. इनमें हनीमून पर जाने वाले नवविवाहित जोड़ों के साथ भारतीय मजदूर, युद्धग्रस्त यमन और लीबिया में फंसे भारतीयों और चिकित्सीय मदद मांगने वाले आम लोग भी शामिल हैं. सुषमा स्वराज ने कहीं न कहीं विदेशमंत्री की स्थापित भूमिका को पूरी तरह से बदल दिया था.
लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के कई बड़े नेताओं के तरह सुषमा स्वराज भी शुरुआत में पीएम पद के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर सहमत नहीं थीं, लेकिन बाद में वे राजी हो गईं. इसके बाद मोदी ने उन्हें विदेशमंत्री के लिए चुना. इसका श्रेय कहीं न कहीं उनके द्वारा बहुत ही बेहतर तरीके से अपना पोर्टफोलियो संभालने से लेकर सौम्य व्यक्तित्व को भी जाता है. लेकिन, मुसीबत में पड़े अनिवासी भारतीयों की मदद उन्होंने जिस तत्परता से की उससे न सिर्फ उनकी साख बढ़ी बल्कि वे आम लोगो के अलावा पीएम मोदी भी उनके मुरीद हो गए.