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रोजगार है सिर्फ इसके आकंड़ों की कमी है: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा- ‘एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ के अंतर्गत संकट पैदा होने की आशंका थी

Bhasha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर अपनी सरकार के तौर तरीकों का पूरी मजबूती के साथ बचाव किया है. उन्होंने कहा पिछली सरकार में ‘अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ और ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ ने अर्थव्यवस्था को जिस रसातल में पहुंचा दिया था उनकी सरकार उसे बाहर निकालकर पटरी पर लाई है.

मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया में सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थवव्यवस्था है और इसकी मजबूत बुनियाद इसकी वृद्धि को गति देगी. अर्थव्यवस्था में रोजगार विहीन वृद्धि की आलोचना को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर एक के बाद एक राज्य में अच्छी संख्या में नौकरियां सृजित हो रही हैं, तब यह कैसे कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार रोजगार सृजन नहीं कर रहा?


कर्ज देने के मामले में बैंकों को किया राजनीति मुक्त

उन्होंने कहा कि बैंकों में समस्याओं को 2014 में ही चिन्हित कर लिया गया था और उन्हें कर्ज देने के मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से छूट दी गई. सरकार दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता लेकर आई ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कर्ज नहीं लौटाने वालों को अपनी कंपनी से हाथ धोना पड़े.

स्वराज पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि जब भाजपा सरकार में आई, अर्थव्यवस्था की स्थिति उम्मीद के विपरीत काफी खराब थी. ‘हालात विकट थे. यहां तक कि बजट के आंकड़ों को लेकर भी संदेह था.’सरकार में आने के बाद उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर श्वेत पत्र नहीं लाकर राजनीति के ऊपर राष्ट्रनीति को तवज्जो दी. उन्होंने कहा कि 2014 में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर राजनीति करना काफी आसान और राजनीतिक रूप से लाभदायक था, पर हमारी सरकार की सोच थी कि सुधारों की जरूरत है राजनीति की नहीं. हमने ‘इंडिया फर्स्ट’को तवज्जो दी.

भारतीय अर्थव्यवस्था को रसातल से निकाला

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने मुद्दों को टालना नहीं चाहा बल्कि हमारी रूचि समस्याओं के समाधान करने में ज्यादा थी. हमने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, उसे मजबूत बनाने और उसके रूपांतरण पर जोर दिया.’भारतीय अर्थव्यवस्था अविश्वसनीय रूप से रसातल में चली गयी थी और ‘एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ के अंतर्गत संकट पैदा होने की आशंका थी. उस दौरान भारत दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्था में शामिल था. मोदी ने कहा, ‘हमने इस असंतोषजनक सच को माना और उसके सुधार के लिए पहले दिन से ही काम शुरू कर दिया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके.’

जीएसटी से मिली विकास को गति

उन्होंने कहा, ‘हमने कई राजनीतिक आरोपों को बर्दाश्त किया, हमने राजनीतिक नुकसान को स्वीकार किया लेकिन यह तय किया कि हमारे देश को कोई नुकसान नहीं हो.’उन्होंने कहा कि भारत अब सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और उसकी बुनियादी मजबूती से वृद्धि को आगे गति मिलेगी. विदेशी निवेश अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंच गया है. जीएसटी से कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया और भारत कारोबार करने के लिहाज से एक बेहतर जगह बना जबकि ऐसा पहले कभी नहीं था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रोजगार को लेकर आंकड़े के अभाव के कारण यह मुद्दा है. उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रतिद्वंद्वी निश्चित रूप से अपनी रूचि के हिसाब से तस्वीर बनाने के लिए अवसर का उपयोग करेंगे. रोजगार के मुद्दे पर आरोप लगाने को लेकर हम अपने प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप नहीं लगाते. आखिर किसी के पास रोजगार को लेकर वास्तिवक आंकड़ा नहीं है. रोजगार को आंकने का जो पंरपरागत तरीका था, वह इतना बेहतर नहीं था कि जिससे नए भारत की नई अर्थव्यवस्था में सृजित हो रहे नये रोजगार का पता लगाया जा सके.’

रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस गलत

मोदी ने कहा कि गांव स्तरीय तीन लाख साझा सेवा केंद्र, 15,000 स्टार्टअप, 48 लाख नए उद्यमियों का पंजीकरण तथा मकानों, रेलवे तथा राजमार्गों के निर्माण में रोजगार सृजित हुए हैं. उन्होंने कहा कि सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक संगठित क्षेत्र में 41 लाख रोजगार सृजित हुए. यह ईपीएफओ के ‘पेरोल’ आंकड़े से पता चलता है. रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस गलत है. हमारे पास राज्यों की तरफ से रखे गए आंकड़े हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उदाहरण के लिए पूर्व कर्नाटक सरकार ने 53 लाख रोजगार सृजित करने का दावा किया. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उनके पिछले कार्यकाल में 68 लाख रोजगार सृजित हुए. अब अगर राज्य अच्छी संख्या में रोजगार सृजित कर रहे हैं, तो क्या यह संभव है कि देश में रोजगार सृजित नहीं हो रहे? क्या यह संभव है कि राज्यों में तो नौकरी सृजित हो रही है लेकिन केंद्र में रोजगार विहीनता की स्थिति है.’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार कच्चे माल की लागत में कमी लाकर, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित कर, उत्पादकता बढ़ाकर तथा आय सृजन के अन्य अवसर सृजित कर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए काम कर रही है.