नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ आने के बाद हुए एक बेहद बड़े घटनाक्रम में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के सभी प्रमुख सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में उनके विभाग से संबंधित योजनाओं को लेकर जानकारी हासिल की है. यह माना जा रहा है कि इसके अगले कदम के तौर पर केंद्र की ओर से प्रमुख योजनाओं के लिए राशि आवंटित की जा सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार के प्रमुख सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की पुष्टि करते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामलोंं के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी प्रमुख सचिवों से वीडियो कांफ्रेंसिंग में उनके विभाग की प्रमुख योजनाओं को लेकर जानकारी मांगते हुए उन्हेंं आश्वस्त किया है कि उन्हें इन योजनाओंं के निपटान के लिए न केवल केंंद्रीय मदद हासिल होगी बल्कि कैपेसिटी बिल्डिंग या कार्य निष्पादन के लिए क्षमता उन्नयन में भी मदद दी जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक जिन योजनाओंं को प्राथमिकता के आधार पर केंद्रीय मदद हासिल हो सकती है उसमें गंगा पर दूसरा पुल बनाने का कार्य और बरौनी रिफाइनरी का विस्तार कार्य शामिल है. इसके अलावा बिहार के मिथिलांचल में एक नए एम्स या मौजूदा किसी अस्पताल को रिकार्ड समय में एम्स जैसे स्तर पर करने का कार्य शामिल है.
बिहार को मिलेगा जेडीयू और बीजेपी गठबंधन का लाभ
इस वीडियो कांफ्रेंसिंग को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि जेडीयू ने अभी तक केंंद्र सरकार में शामिल होने को लेकर कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया है. ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि बिहार को प्रधानमंत्री ने इससे स्पष्ट संकेत दिया है कि वह जेडीयू के सरकार में शामिल नहीं होने पर भी यहां के विकास को अपनी प्राथमिकता में रखेंगे. जेडीयू का बीजेपी के साथ आने का लाभ किसी भी हालत में बिहार को मिलेगा.
बिहार की बात करें तो वर्ष 1990 से यह संयोग रहा है कि बिहार और केंंद्र मेंं किसी एक दल या गठबंधन की सरकार नहीं रही है. इसका प्रतिकूल असर बिहार के विकास पर पड़ता रहा है. प्रतिद्धंदी दलों की सरकार होने के वजह से उनके बीच एक टकराव रहा है और उसका नकारात्मक असर बिहार के विकास पर होता रहा है.
हाल ही में नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ किए गए अपने गठबंधन को तोड़कर फिर से बीजेपी से गठबंधन कर लिया है. इसकी वजह से नब्बे के दशक के बाद पहली बार केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार हो गई है.
करीब बीस महीने पहले जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़ते हुए लालू प्रसाद की आरजेडी के साथ गठबंधन करते हुए उसके साथ चुनाव में जाने का निश्चय किया था. जातिगत समीकरणों में यह गठबंधन बीजेपी पर भारी पड़ा और उसकी चुनाव में जीत हुई.
बीजेपी को यहां हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि कुछ समय बाद से ही इस गठबंधन में भ्रष्टाचार के आरोपोंं को लेकर दरार आनी शुरू हो गई. नीतीश ने लालू के बेटों से भ्रष्टाचार के मामलोंं पर सफाई मांगी और इसके बाद राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से घूमता रहा. अंत मेंं लालू-नीतीश का गठबंधन टूट गया.