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नोटबंदी: अजब आलम है सियासत का, सितमगर पर बरस रही हैं मोहब्बतें

मोदी और भाजपा के पास इस समय एक बड़ा बल है जनसमर्थन का.

Mridul Vaibhav

नोटबंदी को लेकर संसद में घमासान मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियों का हंगामा है. संसद की कार्यवाही लग ही नहीं रही कि वो संसद की कार्यवाही है. ऐसा मालूम हो रहा है, जैसे किसी खोली में सांप निकल आया है या फिर किसी के बाल-बच्चा हो रहा है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आकर बयान दें. यह सब सोमवार से ऐसे ही चल रहा है.


अब प्रधानमंत्री ने एलान कर दिया है कि वे बयान देंगे, लेकिन आप जरा लोकसभा का धरातल देखिए और कांग्रेस के राजनीतिक बल को तोलिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के पास इस समय एक बड़ा बल है जनसमर्थन का. वे यह भी कह सकते हैं कि संसद में बयान दें या न दें, लेकिन लोगों के बीच तो वे लगातार बयान दे ही रहे हैं.

आखिर लोक भी कोई चीज है. यह नरेंद्र मोदी का तर्क हो सकता है. यह अलग बात है कि संवैधानिक तौर पर संसद का मुकाबला लोगों की भीड़ नहीं कर सकती. लेकिन कांग्रेस के पास लोकसभा में अब इतना बल नहीं है कि वह सरकार पर ज्यादा जोर दे सके. कांग्रेस को यह अभ्यास भी नहीं है कि विरोध किस तरह किया जाता है.

गुस्‍से में विपक्ष 

नोटबंदी को लेकर प्रतिपक्ष बहुत गुस्से में है और उसने लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को लोकसभा में एक बार नजर जरूर आए, लेकिन ऐसे लगा जैसे उनके आने का धोखा हुआ है. इस सियासी धोखे ने विपक्ष को काफी हद तक उम्मीद बंधाई और वह ज्यादा ताकत से विरोध करता हुआ दिखाई दिया, लेकिन संभवत: यह विपक्ष के लिए भी एक चूक की तरफ बढ़ना है.

अगर नरेंद्र मोदी की अब तक की रणनीति को याद करें तो ऐसा लगेगा कि विपक्ष खुद ब खुद उनके बुने जाल में फंसता जा रहा है.

प्रधानमंत्री को अब तक विपक्ष कभी भी लोकसभा में काबू नहीं कर पाया है. और अभी तो अंदरूनी सच चाहे कुछ भी हो, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि मोदी समर्थकों ने बैंकों की कतार में लगे और परेशान हो रहे लोगों को विरोध में उतरने से बचाए रखा है.

हर जगह से आवाज, भले वह बनावटी ही क्यों न हो, यही आ रही है कि नरेंद्र मोदी ठीक कर रहे हैं और हमें कुछ दिन की परेशानी भले क्यों न हो, अगर काली कमाई का खेल बंद होता है तो वे लोग यह कष्ट झेल लेंगे. ये आवाजें  राहुल गांधी समेत विपक्ष का दिल जरूर दुखाती होंगी.

विपक्ष पर हावी मोदी 

नरेंद्र मोदी लोकसभा में भले पहली बार पहुंचे हों, लेकिन लाेगों की नब्ज पर उनका हाथ राहुल से कहीं अधिक शिद्दत से रखा हुआ है. यह एक अजब सूरत है कि पूरा देश परेशान हो रहा है और तरह-तरह से दिक्कतें झेल रहा है, लेकिन कांग्रेस या बाकी विपक्ष को कहीं भी हाथ धरने को जगह नहीं मिल रही है.

यह अजब आलम है कि लोग परेशान भी हों और सरकार को कष्ट भी नहीं आए. प्रधानमंत्री अगर बयान देंगे तो जैसे वे अब तक करते रहे हैं, विपक्ष को संसद के भीतर भी और संसद के बाहर भी प्यासा ही रखेंगे. परेशान ही रखेंगे. ये हालात इसलिए हैं क्योंकि विपक्ष पूरी तरह लोगों से कटा हुआ है.

सच बात तो ये है कि लोगों को सरकार से ज्यादा नाराजगी विपक्ष से है. यह लोक हृदय की एक टीस है, क्योंकि लोकतंत्र में विपक्ष एक ऐसी आवाज है, जो हर जगह बुरे समय में लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है, लेकिन आज ऐसा नहीं है.

अब वो कोई जो दोस्त हुआ करता था अच्छे दिनों का, जो पिछली मुसीबजदा रात से याद तो आ रहा है, लेकिन लोगों के आसपास कहीं नहीं है. वह दोस्त आसपास नहीं है, इसलिए कई बार सियासत में सितमगर को भी बड़ी चाहत से प्रेम करना पड़ता है और देश का तेजतर्रार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर इस मौके को छोड़ने वाला नहीं है.