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जींद उपचुनाव पर दांव लगाकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टियां

इंडियन नेश्नल लोकदल (आईएनएलडी) विधायक हरि चंद मिड्ढा के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है.

FP Staff

हरियाणा में जींद विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए उनके सम्मान की लड़ाई में बदल चुकी है. आगामी लोकसभा चुनावों में इस उपचुनाव की धुन जरूर सुनाई देगी. यह जीत लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बड़ा फैसला साबित होने वाली है. न्यूज 18 की खबर के अनुसार जींद में सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां जीतने के लिए अपनी कमर कस चुकी हैं. बता दें कि इंडियन नेश्नल लोकदल (आईएनएलडी) विधायक हरि चंद मिड्ढा के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है.

जींद में ब्राह्मण और पंजाबी समुदाय के लगभग 12,000 हजार वोट हैं


मीड्ढा के पुत्र कृष्ण मीड्ढा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. राज्य में बीजेपी का शासन है. मीड्ढा की बीजेपी उम्मीदवारी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. पेशे से एक आयुर्वेदिक डॉक्टर कृष्ण मीड्ढा पंजाबी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, हालांकि जींद विधानसभा में जाटों का दबदबा है. साल 1972 से ही किसी जाट नेता ने जींद की सीट नहीं जीती है. जींद में ब्राह्मण और पंजाबी समुदाय के लगभग 12,000 हजार वोट हैं. इस चुनाव में 21 उम्मीदवार उतरे हैं. इन राजनीतिक पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, आईएनएलडी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.

सैनी, जो ओबीसी और पंजाबी ब्राह्मण वोटों पर राजनीति कर रहे हैं

वहीं बीजेपी के कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद राजकुमार सैनी ने भी अपनी पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से एक पंजाबी ब्राह्मण उम्मीदवार को विधानसभा चुनाव में उतारा है. दो बार के नगर परिषद प्रमुख विनोद आसरी एलएसपी में शामिल होने से पहले कांग्रेस के नेता थे. सैनी, जो ओबीसी और पंजाबी ब्राह्मण वोटों पर राजनीति कर रहे हैं, कई पार्टियों का गेम खराब कर सकते हैं. अब उपचुनाव एक बड़ी प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल गया है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरजेवाला के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है. उन्हें कांग्रेस की ओर से सीएम पद का उम्मीदवार भी माना जा रहा है. आईएनएलडी और जेजेपी के लिए यह उपचुनाव विभाजन के बाद मिले जनसमर्थन को साबित करेगा.

जींद में ओबीसी मतदाताओं की संख्या लगभग 45,000 हजार है

लगभग 1.70 लाख की आबादी के साथ इस सीट पर लगभग 1.07 लाख शहरी मतदाता हैं, जिनमें से 45,000 से अधिक मतदाता जाट समुदाय के हैं. सुरजेवाला जाट समाज के बड़े नेता है. इनेलो ने उम्मेद सिंह रेडू को मैदान में उतारा है और जेजेपी दिग्विजय चौटाला को. दोनों पहली बार चुनावी समर में उतर रहे हैं. जींद में ओबीसी मतदाताओं की संख्या लगभग 45,000 हजार है, जबकि अनुसूचित जातियों के मतदाता 38,000 हजार की संख्या में हैं. वैश्य समुदाय जिसके पास लगभग 11,000 वोट हैं निर्णायक फैसला तय कर सकते हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) ने जेजेपी को अपना समर्थन दिया है. आप सांसद सुशील गुप्ता भी वैश्य समाज से ही आते हैं. जींद उपचुनाव के लिए मतदान 28 जनवरी को होगा, जबकि मतगणना 31 जनवरी को होगी.